Dhara Ankurai (HB) 396

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Dhara Ankurai (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Asghar Wajahat
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Asghar Wajahat
Language:
Hindi
Format:
Paperback

239

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SKU 9788126729067 Category
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प्रतिष्ठित कथाकार असगर वजाहत की उपन्यास-त्रयी का अन्तिम भाग ‘धरा अँकुराई’ एक बहुआयामी कथानक को जीवन की सच्चाइयों तक पहुँचाता है। ‘कैसी आगी लगाई’ और ‘बरखा रचाई’ शीर्षक से त्रयी के दो भाग पूर्व में प्रकाशित होकर पर्याप्त प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं। अनेक विवरणों, वृत्तान्तों, परिस्थितियों और अन्त:संघर्षों से गुज़रती यह कथा-यात्रा ‘जीवन के अर्थ’ का आईना बन जाती है।
एक दीगर प्रसंग में आया वाक्य है, ‘…यह यात्रा संसार के हर आदमी को जीवन में एक बार तो करनी ही चाहिए।’ यह अन्त:यात्रा है। इससे व्यक्ति जहाँ पहुँचता है, वहाँ एक प्रश्न गूँज रहा है कि आख़‍िर इस जीवन की सार्थकता व प्रासंगिकता क्या है? उपन्यास-त्रयी के तीन प्रमुख पात्रों में से एक सैयद साजिद अली, जिन्होंने पत्रकारिता की कामयाब ज़‍िन्दगी जी है, महसूस करते हैं कि उनके भीतर एक ख़ालीपन फैलता जा रहा है। लगता है कि अब तक जिया सब बेमक़सद रहा। सैयद साजिद अली ‘ज़‍िन्दगी का अर्थ’ समझने के लिए उसी छोटी-सी जगह लौटते हैं, जहाँ से निकलकर वे जाने कहाँ-कहाँ गए थे।
उपन्यासकार ने छोटी-छोटी घटनाओं के ज़रिए व्यक्ति और समाज की कशमकश को शब्द दिए हैं। प्रवाहपूर्ण भाषा ने पठनीयता में इज़ाफ़ा किया है। मौक़े-ब-मौक़े उपन्यास में वर्तमान की समीक्षा भी है, ‘‘जनता का पैसा किसी का पैसा नहीं है। यह माले-मुफ़्त है जो हमारे देश में बेदर्दी से बहाया जाता है और इसकी बारिश में अफ़सर, नेता और ठेकेदार नहाते हैं। हमने लोकतंत्र के साथ-साथ ‘विकास’ का भी एक विरला स्वरूप विकसित किया है जो कम ही देशों में देखने को मिलेगा।’’
एक पठनीय व संग्रहणीय उपन्यास।

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Description

प्रतिष्ठित कथाकार असगर वजाहत की उपन्यास-त्रयी का अन्तिम भाग ‘धरा अँकुराई’ एक बहुआयामी कथानक को जीवन की सच्चाइयों तक पहुँचाता है। ‘कैसी आगी लगाई’ और ‘बरखा रचाई’ शीर्षक से त्रयी के दो भाग पूर्व में प्रकाशित होकर पर्याप्त प्रशंसा प्राप्त कर चुके हैं। अनेक विवरणों, वृत्तान्तों, परिस्थितियों और अन्त:संघर्षों से गुज़रती यह कथा-यात्रा ‘जीवन के अर्थ’ का आईना बन जाती है।
एक दीगर प्रसंग में आया वाक्य है, ‘…यह यात्रा संसार के हर आदमी को जीवन में एक बार तो करनी ही चाहिए।’ यह अन्त:यात्रा है। इससे व्यक्ति जहाँ पहुँचता है, वहाँ एक प्रश्न गूँज रहा है कि आख़‍िर इस जीवन की सार्थकता व प्रासंगिकता क्या है? उपन्यास-त्रयी के तीन प्रमुख पात्रों में से एक सैयद साजिद अली, जिन्होंने पत्रकारिता की कामयाब ज़‍िन्दगी जी है, महसूस करते हैं कि उनके भीतर एक ख़ालीपन फैलता जा रहा है। लगता है कि अब तक जिया सब बेमक़सद रहा। सैयद साजिद अली ‘ज़‍िन्दगी का अर्थ’ समझने के लिए उसी छोटी-सी जगह लौटते हैं, जहाँ से निकलकर वे जाने कहाँ-कहाँ गए थे।
उपन्यासकार ने छोटी-छोटी घटनाओं के ज़रिए व्यक्ति और समाज की कशमकश को शब्द दिए हैं। प्रवाहपूर्ण भाषा ने पठनीयता में इज़ाफ़ा किया है। मौक़े-ब-मौक़े उपन्यास में वर्तमान की समीक्षा भी है, ‘‘जनता का पैसा किसी का पैसा नहीं है। यह माले-मुफ़्त है जो हमारे देश में बेदर्दी से बहाया जाता है और इसकी बारिश में अफ़सर, नेता और ठेकेदार नहाते हैं। हमने लोकतंत्र के साथ-साथ ‘विकास’ का भी एक विरला स्वरूप विकसित किया है जो कम ही देशों में देखने को मिलेगा।’’
एक पठनीय व संग्रहणीय उपन्यास।

About Author

असग़र वजाहत

5 जुलाई, 1946 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में जन्मे असग़र वजाहत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए., पीएच.डी. और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से पोस्ट डाक्टोरल रिसर्च की। 1971 से 2011 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया। पाँच वर्षों तक ओत्वोश लोरांड विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट, हंगरी में भी पढ़ाया। यूरोप और अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए।

पाँच कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, एक उपन्यास त्रयी, दो लघु उपन्यास, दस नाटक, एक नुक्कड़ नाटक-संग्रह और यात्रा-संस्मरण की चार पुस्तकों सहित दो दर्जन से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी रचनाएँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।  ‘बीबीसी हिन्दी’, ‘हंस’ और ‘वर्तमान साहित्य’ के विशेषांकों का अतिथि सम्पादन भी किया। फ़ि‍ल्मों के लिए पटकथाएँ लिखने के अलावा धारावाहिक और डॉक्यूमेंटरी फ़ि‍ल्में भी बनाई हैं।

चित्रकला और पर्यटन में गहरी रुचि है।

साहित्यिक अवदान के लिए ‘कथा यूके सम्मान’, हिन्दी अकादेमी, दिल्ली के ‘शलाका सम्मान’, ‘स्पन्दन कथा शिखर सम्मान’, व्यास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान-पुरस्कार।

इन दिनों स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : awajahat45@gmail.com

 

 

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