SaleHardback
Yuddhabeej
₹120 ₹119
Save: 1%
Nepathya Nayak : Lakshmi Chandra Jain
₹115 ₹114
Save: 1%
Dhalan Ki Vela
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
भवेन्द्रनाथ शइकिया अनुवाद महेन्द्रनाथ दुबे
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
भवेन्द्रनाथ शइकिया अनुवाद महेन्द्रनाथ दुबे
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹100 ₹99
Save: 1%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
8126303476
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
154
ढलान की वेला –
असमिया साहित्य-लोक में बहुमुखी प्रतिभा के धनी कथाकार एवं नाटककार भवेन्द्रनाथ शइकीया के इस संग्रह में उनकी सात लम्बी कहानियाँ संकलित हैं। इन कहानियों में मुख्यतः निम्न-मध्य वर्ग की दशा का चित्रण है। कथानक की भाषा भी पूरी तरह जन-साधारण की— कहीं कोई बनावट नहीं, कहीं कोई लाग-लपेट नहीं और न ही किसी तरह के शब्दाडम्बर का घटाटोप।
शइकीया जी की भावचेतना और कलात्मक संरचना से हिन्दी के सुविज्ञ एवं सहृदय पाठकों को निकटता से परिचय कराने की दिशा में इस संग्रह ने निश्चित ही अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
Be the first to review “Dhalan Ki Vela” Cancel reply
Description
ढलान की वेला –
असमिया साहित्य-लोक में बहुमुखी प्रतिभा के धनी कथाकार एवं नाटककार भवेन्द्रनाथ शइकीया के इस संग्रह में उनकी सात लम्बी कहानियाँ संकलित हैं। इन कहानियों में मुख्यतः निम्न-मध्य वर्ग की दशा का चित्रण है। कथानक की भाषा भी पूरी तरह जन-साधारण की— कहीं कोई बनावट नहीं, कहीं कोई लाग-लपेट नहीं और न ही किसी तरह के शब्दाडम्बर का घटाटोप।
शइकीया जी की भावचेतना और कलात्मक संरचना से हिन्दी के सुविज्ञ एवं सहृदय पाठकों को निकटता से परिचय कराने की दिशा में इस संग्रह ने निश्चित ही अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
About Author
डॉ. भवेन्द्रनाथ शइकीया -
जन्म: 1932 में, असम के नवगाँव शहर में।
शिक्षा: प्रेसीडेंसी कॉलिज, कलकत्ता से भौतिक विज्ञान में एम.एससी. और लन्दन यूनिवर्सिटी से भौतिक विज्ञान में पीएच.डी.।
कार्यक्षेत्र: गुवाहाटी विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के रीडर। कला और संस्कृति के व्यापक क्षेत्र में विशेष ख्याति।
प्रकाशन: 'प्रहरी' (1963), 'वृन्दावन' (1965), 'तरंग' (1969), 'गह्वर' (1969), 'सेन्दूर' (1970), श्रृंखल' (1975), 'आकाश' (1988) उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। 'अन्तरीप', 'अग्निस्नान', 'सन्ध्याराग' जैसे प्रसिद्ध उपन्यासों की रचना के अतिरिक्त उन्होंने गुवाहाटी के 'मूविंग थियेटर' के लिए चौदह नाटक भी लिखे और उनका मंचन-प्रदर्शन भी किया। अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Dhalan Ki Vela” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.