Dev-Stuti

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
जुगल किशोर सर्राफ
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
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जुगल किशोर सर्राफ
Language:
Hindi
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Hardback

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136

देव स्तुति –
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। परम्परागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है।
श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा भक्ति, मर्यादा मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
श्रीमद्भागवत में 18 हज़ार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कन्धों में विष्णु के लीलावतारों का वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है। परन्तु भगवान कृष्ण की ललित लीलाओं का विशद विवरण प्रस्तुत करनेवाला दशम स्कन्ध श्रीमद्भागवत का हृदय है।
लेखक ने इस पुस्तक में श्रीमद्भागवत पुराण के कुछ मन्त्रों का सहज-सरल हिन्दी में भावार्थ मानव के लाभार्थ प्रस्तुत करने का पुनीत कार्य किया है। इस पुस्तक का निश्चय ही स्वागत किया जाना चाहिए।

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Description

देव स्तुति –
भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। परम्परागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है।
श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा भक्ति, मर्यादा मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
श्रीमद्भागवत में 18 हज़ार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कन्धों में विष्णु के लीलावतारों का वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है। परन्तु भगवान कृष्ण की ललित लीलाओं का विशद विवरण प्रस्तुत करनेवाला दशम स्कन्ध श्रीमद्भागवत का हृदय है।
लेखक ने इस पुस्तक में श्रीमद्भागवत पुराण के कुछ मन्त्रों का सहज-सरल हिन्दी में भावार्थ मानव के लाभार्थ प्रस्तुत करने का पुनीत कार्य किया है। इस पुस्तक का निश्चय ही स्वागत किया जाना चाहिए।

About Author

जुगल किशोर सर्राफ - 7 अगस्त, 1933 को राजस्थान के रामगढ़ में जन्म। कोलकाता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट। अध्यात्म, साहित्य, संगीत, नाटक, एवं कला फ़िल्मों के साथ-साथ सामाजिक, राजनैतिक कार्यों में विशेष रुचि। प्रकाशित पुस्तकें: देव स्तुति, मेरी प्रिय कविताएँ, जीवन चक्र। अनेकों खेल एवं सांस्कृतिक एसोसिएशनों के सदस्य एवं सलाहकार, नेशनल म्यूज़ियम कोलकाता के विज़िटिंग मेम्बर, नेशनल ट्रस्ट ऑफ़ आर्ट-कल्चर के आजीवन सदस्य, अनामिका कला संगम, भारतीय क्लासिकल संगीत, संगीत कला मन्दिर, श्री विशुद्धानन्द हॉस्पिटल के सक्रिय सदस्य। मारवाड़ी सम्मेलन की समाज सुधार समिति के अध्यक्ष तथा चिली गणराज्य के मानद कॉन्सलेट (महावाणिज्य दूत)। श्रीलंका के 'द ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी' से दर्शन में डॉक्टरेट की मानद उपाधि। चिली गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा कॉमेन्डाडोर का सर्वोच्च सम्मान एवं अन्य बहुत सी संस्थाओं के सलाहकार।

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