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Dard Aaya Tha Dabe Paon
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
जे.एन. कौशल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
जे.एन. कौशल
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹375 ₹281
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ISBN:
SKU
9788126316144
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
264
दर्द आया था दबे पाँव –
जे. एन. कौशल (जितेन्द्र नाथ कौशल) रंगमंच के एक प्रतिभाशाली शिक्षक, निर्माता और लेखक थे। ‘दर्द आया था दबे पाँव’ में उनके 28 लेखों, रंग-प्रसंगों व संस्मरणों का संचयन है। इनके माध्यम से भारतीय विशेषकर हिन्दी रंगमंच का चालीस वर्ष का इतिहास एक रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है। भिन्न प्रस्तुत सभी संस्मरण प्रायः चर्चित रंगकर्मियों से सम्बद्ध हैं या फिर कुछ अवसरों को रेखांकित करते हैं। बेहद रोचक और आकर्षक शैली में लिखे गये इन संस्मरणों को पढ़ते हुए लगता है जैसे घटनाएँ दृश्य-चित्रों के रूप में बड़ी नाटकीयता से हमारी आँखों के सामने आकार ग्रहण कर रही हों।
‘दर्द आया था दबे पाँव’ में एक ओर ब. व. कारन्त, विजय तेन्दुलकर, बी. एम. शाह जैसे बारह महान रंगकर्मियों का अन्तरंग चित्रण है तो अन्य लेखों में घटनापरक कुछ भावभीनी स्मृतियाँ और कथ्यपरक आलेख हैं।
आज़ादी के बाद उभरे जिन व्यक्तित्वों भारतीय रंगमंच को नयी दिशा दी है, उन्हें जानने-समझने में कौशल जी की यह महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों के लिए निस्सन्देह सहायक सिद्ध होगी।
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Description
दर्द आया था दबे पाँव –
जे. एन. कौशल (जितेन्द्र नाथ कौशल) रंगमंच के एक प्रतिभाशाली शिक्षक, निर्माता और लेखक थे। ‘दर्द आया था दबे पाँव’ में उनके 28 लेखों, रंग-प्रसंगों व संस्मरणों का संचयन है। इनके माध्यम से भारतीय विशेषकर हिन्दी रंगमंच का चालीस वर्ष का इतिहास एक रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुआ है। भिन्न प्रस्तुत सभी संस्मरण प्रायः चर्चित रंगकर्मियों से सम्बद्ध हैं या फिर कुछ अवसरों को रेखांकित करते हैं। बेहद रोचक और आकर्षक शैली में लिखे गये इन संस्मरणों को पढ़ते हुए लगता है जैसे घटनाएँ दृश्य-चित्रों के रूप में बड़ी नाटकीयता से हमारी आँखों के सामने आकार ग्रहण कर रही हों।
‘दर्द आया था दबे पाँव’ में एक ओर ब. व. कारन्त, विजय तेन्दुलकर, बी. एम. शाह जैसे बारह महान रंगकर्मियों का अन्तरंग चित्रण है तो अन्य लेखों में घटनापरक कुछ भावभीनी स्मृतियाँ और कथ्यपरक आलेख हैं।
आज़ादी के बाद उभरे जिन व्यक्तित्वों भारतीय रंगमंच को नयी दिशा दी है, उन्हें जानने-समझने में कौशल जी की यह महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों के लिए निस्सन्देह सहायक सिद्ध होगी।
About Author
जे. एन. कौशल -
जन्म: 4 जनवरी, 1936 को पश्चिमी पंजाब के सरगोधा (अब पाकिस्तान) में।
शिक्षा: अंग्रेज़ी में स्नातक और हिन्दी ऑनर्स करने के बाद, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अध्यापन कार्य के साथ ही वे वहाँ रंगमण्डल के प्रमुख रहे। भारतीय नाट्य संघ, आकाशवाणी और दूरदर्शन, साहित्य कला परिषद, उर्दू अकादेमी, पंजाबी अकादेमी, संगीत नाटक अकादेमी जैसे राष्ट्रीय संस्थानों और मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के संस्कृति विभाग, रक्षा मन्त्रालय आदि से भी सक्रिय रूप से सम्बद्ध रहे।
प्रकाशन-अनुवाद: 22 एकांकी, दो बड़े नाटक, 3 कठपुतली नाटक, पटकथा, रेडियो फीचर, टेली प्ले का लेखन। लोकप्रिय दूरदर्शन धारावाहिक 'लेखू'।
देश-विदेश की लगभग 40 श्रेष्ठ कृतियों के हिन्दी अनुवाद और रूपान्तरण। अनेक रंगमंचीय पत्रिकाओं के सम्पादक रहे। लगभग 50 नाटकों में संगीत दिया।
पुरस्कार सम्मान: दिल्ली नाट्य संघ के वर्ल्ड थियेटर डे अवार्ड, साहित्य कला परिषद के परिषद सम्मान, पंजाब कला संगम के कलाश्री सम्मान, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के बी. एम. शाह नेशनल अवार्ड, संगीत नाटक अकादेमी अवार्ड आदि से विभूषित।
अप्रैल 2004 में दिल्ली में देहावसान।
किरण भटनागर -
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक।
सम्पादन सहयोग: 'रंग-यात्रा', सहसम्पादक : 'न्यूज़लैटर'।
सम्प्रति: उपसचिव, संगीत नाटक अकादेमी (नाटक), नयी दिल्ली।
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