Cricket

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
के.एल. मोहन वर्मा अनुवाद टी. के. भास्कर वर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
के.एल. मोहन वर्मा अनुवाद टी. के. भास्कर वर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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316

क्रिकेट –
‘क्रिकेट’ मलयालम के चर्चित उपन्यासकार श्री के.एल. मोहन वर्मा का अत्यन्त रोचक उपन्यास है।
इसकी कथावस्तु भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच से जुड़ी घटनाओं/क्रियाओं/प्रतिक्रियाओं से जुड़ी हुई है। इसके तमाम चरित्र जिस तरह विकसित हुए हैं, उससे क्रिकेट एक विराट रूपक जैसा बन जाता है। उपन्यास की संरचना में शामिल कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं—असफल प्रेम, असफलता का कारण बननेवाले प्रेमी से नैतिक प्रतिशोध लेती नारी, क्रिकेट में अधोलोक की घुसपैठ की कोशिश, दोनों टीमों के वरिष्ठ खिलाड़ियों की स्पोर्ट्समैनशिप, भारतीय महाद्वीप के लोगों की मूलभूत एकता और मैत्री, क्रिकेट की राजनीति और राजनीति में क्रिकेट और क्रिकेट में जारी सट्टेबाज़ी। जहाँ तक खेल की तकनीकी जानकारी का सवाल है, लेखक ख़ुद किसी मैच रेफ़री से कम नहीं। क्रिकेट सम्बन्धी रोचक तथ्यों, आँकड़ों और उपाख्यानों की भरमार इस रचना में है लेकिन लेखकीय कौशल इतना चुस्त कि यह सब कथावस्तु के सहज प्रवाह में बाधक बनकर उपस्थित नहीं होता, बल्कि सहायक के रूप में आता है।

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Description

क्रिकेट –
‘क्रिकेट’ मलयालम के चर्चित उपन्यासकार श्री के.एल. मोहन वर्मा का अत्यन्त रोचक उपन्यास है।
इसकी कथावस्तु भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच से जुड़ी घटनाओं/क्रियाओं/प्रतिक्रियाओं से जुड़ी हुई है। इसके तमाम चरित्र जिस तरह विकसित हुए हैं, उससे क्रिकेट एक विराट रूपक जैसा बन जाता है। उपन्यास की संरचना में शामिल कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं—असफल प्रेम, असफलता का कारण बननेवाले प्रेमी से नैतिक प्रतिशोध लेती नारी, क्रिकेट में अधोलोक की घुसपैठ की कोशिश, दोनों टीमों के वरिष्ठ खिलाड़ियों की स्पोर्ट्समैनशिप, भारतीय महाद्वीप के लोगों की मूलभूत एकता और मैत्री, क्रिकेट की राजनीति और राजनीति में क्रिकेट और क्रिकेट में जारी सट्टेबाज़ी। जहाँ तक खेल की तकनीकी जानकारी का सवाल है, लेखक ख़ुद किसी मैच रेफ़री से कम नहीं। क्रिकेट सम्बन्धी रोचक तथ्यों, आँकड़ों और उपाख्यानों की भरमार इस रचना में है लेकिन लेखकीय कौशल इतना चुस्त कि यह सब कथावस्तु के सहज प्रवाह में बाधक बनकर उपस्थित नहीं होता, बल्कि सहायक के रूप में आता है।

About Author

के.एल. मोहन वर्मा - जन्म : 1936, आलप्पुषा ज़िले के चेन्नित्तला गाँव में । अकाउंट और मैनेजमेंट की डिग्रियाँ लेने के बाद भारत सरकार के लेखा विभाग में नौकरी । कुछ समय तक पाइको पब्लिकेशन्स के मुख्य सम्पादक और दो साल तक कुवैत की एक ब्रिटिश कम्पनी में लेखा प्रबन्धक रहे । दीर्घ काल तक केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखपत्र 'वीक्षणम' के मुख्य सम्पादक रहे। केरल साहित्य अकादमी के सचिव तथा कोचीन फ़िल्म सोसाइटी के अध्यक्ष भी रहे। सम्प्रति कोचीन साहित्यवेदी तथा केरल कलापीठम से जुड़े हुए हैं। कृतियाँ : मलयालम तथा अंग्रेज़ी में चालीस के लगभग उपन्यास, पाँच सौ से ज़्यादा कहानियाँ तथा पाँच सौ से ज़्यादा लेख प्रकाशित हैं। अंग्रेज़ी और मलयालम के स्तम्भ लेखक के रूप में भी विख्यात। कई रचनाएँ अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित। उनका हिन्दी में अनूदित एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास 'मृगतृष्णा' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित है। 'केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'ब्रिटिश काउंसिल पुरस्कार', 'अबुधाबी मलयाली समाजम पुरस्कार', 'तोप्पिल रवि पुरस्कार', 'मस्केट प्रवासी मलयाली पुरस्कार' तथा 'केरल गाँधी स्मारक ट्रस्ट पुरस्कार' से सम्मानित।

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