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Brahma Kamyology
Publisher:
Ramesh Publishing House
| Author:
Tarun Engineer
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹225 ₹169
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ISBN:
SKU 9789386298072 Category Engineering
Category: Engineering
Page Extent:
216
शरीर और आत्मा में बसा है सेक्स कहते हैं प्रेम में लोग पागल हो जाते हैं और मरने-मारने पर आमादा हो जाते हैं। क्योंकि प्रेम एक विद्युत लहर है, इसलिए प्रेम करने वाले को पता ही नहीं चलता कि यह कब हुआ और कैसे वह इसकी गिरफ्त में आ गया ? क्योंकि प्रेम जब होता है, तो हो ही जाता है। वह किसी की सुनता नहीं। प्रेमी.मन को समझाया नहीं जा सकता। इसलिए प्रेम की एक परिभाषा यह है कि वह अंधा होता है। पुराणों से लेकर इतिहास तक की प्रेमकथाएँ उठा लीजिए, सिद्ध हो जाएगा कि प्रेम सभी अंतरों को पाट देता है। ब्रह्मा काम्योलॉजी के अनुसार प्रेम की चार स्थितियाँ होती हैं। पहली स्थिति है किसी को पाने की लालसा पैदा होना, जो विपरीत लिंग वाले के प्रति झुकाव पैदा करती है। दूसरी स्थिति है आकर्षण का उत्पन्न होना। इस प्रक्रिया में तीन न्यूरा.ट्रांसमीटर दिमाग में एक साथ सक्रिय हो जाते हैं। जिन्हें एडेमालीन, डोपामाइन और सेरोटोनिन कहते हैं। फिर नसों में रक्त का संचार बढ़ जाता है और चेहरे पर लालिमा आ जाती है। जो बताती है कि जिसकी आपको तलाश थी, वह मिल गया है। प्रेम का तीसरा कीड़ा है सेरोटोनिन रसायन। यह आपकी उस शक्ति को खत्म कर देता है, जो अच्छे.बुरे की पहचान कराती है। उसके बाद चौथी स्थिति आती है अटैचमेंट की। इस स्टेज में दो हार्मोन तेजी से डवलप होते हैं। उनके नाम हैं ऑक्सीटोसिन और वासोप्रेसिन। तब स्त्री और पुरूष एक.दूसरे को ज्यादा करीब महसूस करते हैं। उसके बाद क्या होता है, जानने के लिए इस पुस्तक को तुरन्त पढ़ें। क्योंकि तरुण इन्जीनियर वो सब बताने जा रहे हैं, जो ओशो आपको बताना भूल गये थे?पहली सीढ़ी: दो आत्माओं का मिलन; दूसरी सीढ़ी: प्यार के कैमिकल लोचे को जानें; तीसरी सीढ़ी: नारी तुम क्या हो, इश्क, मोहब्बत या प्यार?; चौथी सीढ़ी: आपके दिमाग में छिपा है प्यार का सर्किट; पाँचवी सीढ़ी: कामुकता और काम के बीच का अंतर समझें; छठी सीढ़ी: प्रेम के देवी-देवताओं से प्रेरणा लें; सातवीं सीढ़ी: कामुकता से होता है सृष्टि का विस्तार; आठवी सीढ़ी: अपने लवटैंक को ऊपर तक फुल करें; नौवीं सीढ़ी: प्रेम के बीज को अंकुरित होने दें; दसवीं सीढ़ी: प्रेम है दुनिया का नया खुदा; ग्यारहवीं सीढ़ी: सम्भोग से उत्पन्न होता है प्रेम का महायोग; बारहवीं सीढ़ी: प्रेम का धर्म से गहरा रिश्ता है; तेरहवीं सीढ़ी: काम के बाद याद आता है राम का नाम; लेखक की आपसे सीधी बात; लेखक का जीवन परिचय
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Description
शरीर और आत्मा में बसा है सेक्स कहते हैं प्रेम में लोग पागल हो जाते हैं और मरने-मारने पर आमादा हो जाते हैं। क्योंकि प्रेम एक विद्युत लहर है, इसलिए प्रेम करने वाले को पता ही नहीं चलता कि यह कब हुआ और कैसे वह इसकी गिरफ्त में आ गया ? क्योंकि प्रेम जब होता है, तो हो ही जाता है। वह किसी की सुनता नहीं। प्रेमी.मन को समझाया नहीं जा सकता। इसलिए प्रेम की एक परिभाषा यह है कि वह अंधा होता है। पुराणों से लेकर इतिहास तक की प्रेमकथाएँ उठा लीजिए, सिद्ध हो जाएगा कि प्रेम सभी अंतरों को पाट देता है। ब्रह्मा काम्योलॉजी के अनुसार प्रेम की चार स्थितियाँ होती हैं। पहली स्थिति है किसी को पाने की लालसा पैदा होना, जो विपरीत लिंग वाले के प्रति झुकाव पैदा करती है। दूसरी स्थिति है आकर्षण का उत्पन्न होना। इस प्रक्रिया में तीन न्यूरा.ट्रांसमीटर दिमाग में एक साथ सक्रिय हो जाते हैं। जिन्हें एडेमालीन, डोपामाइन और सेरोटोनिन कहते हैं। फिर नसों में रक्त का संचार बढ़ जाता है और चेहरे पर लालिमा आ जाती है। जो बताती है कि जिसकी आपको तलाश थी, वह मिल गया है। प्रेम का तीसरा कीड़ा है सेरोटोनिन रसायन। यह आपकी उस शक्ति को खत्म कर देता है, जो अच्छे.बुरे की पहचान कराती है। उसके बाद चौथी स्थिति आती है अटैचमेंट की। इस स्टेज में दो हार्मोन तेजी से डवलप होते हैं। उनके नाम हैं ऑक्सीटोसिन और वासोप्रेसिन। तब स्त्री और पुरूष एक.दूसरे को ज्यादा करीब महसूस करते हैं। उसके बाद क्या होता है, जानने के लिए इस पुस्तक को तुरन्त पढ़ें। क्योंकि तरुण इन्जीनियर वो सब बताने जा रहे हैं, जो ओशो आपको बताना भूल गये थे?पहली सीढ़ी: दो आत्माओं का मिलन; दूसरी सीढ़ी: प्यार के कैमिकल लोचे को जानें; तीसरी सीढ़ी: नारी तुम क्या हो, इश्क, मोहब्बत या प्यार?; चौथी सीढ़ी: आपके दिमाग में छिपा है प्यार का सर्किट; पाँचवी सीढ़ी: कामुकता और काम के बीच का अंतर समझें; छठी सीढ़ी: प्रेम के देवी-देवताओं से प्रेरणा लें; सातवीं सीढ़ी: कामुकता से होता है सृष्टि का विस्तार; आठवी सीढ़ी: अपने लवटैंक को ऊपर तक फुल करें; नौवीं सीढ़ी: प्रेम के बीज को अंकुरित होने दें; दसवीं सीढ़ी: प्रेम है दुनिया का नया खुदा; ग्यारहवीं सीढ़ी: सम्भोग से उत्पन्न होता है प्रेम का महायोग; बारहवीं सीढ़ी: प्रेम का धर्म से गहरा रिश्ता है; तेरहवीं सीढ़ी: काम के बाद याद आता है राम का नाम; लेखक की आपसे सीधी बात; लेखक का जीवन परिचय
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