Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Shivkumar Tiwari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Shivkumar Tiwari
Language:
Hindi
Format:
Hardback

960

Save: 20%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.82 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126724352 Category
Category:
Page Extent:

अधोलिखित 9 प्रमुख विशेषताओं से युक्त प्रस्तुत विश्वकोश भारतीय संरक्षित क्षेत्रों के पर्यावरण एवं प्राणिजात के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी देनेवाला न केवल हिन्दी वरन् अन्य देशी भाषाओं में भी प्रकाशित अब तक का सबसे अधिक वैज्ञानिक सन्दर्भ-ग्रन्थ है। विश्वकोश की नौ प्रमुख विशेषताएँ : 1. संरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से भारतीय पर्यावरण एवं प्राणिजात की सर्वांगीण प्रस्तुति करनेवाला भारतीय परम्परा एवं हिन्दी भाषा में लिखा गया भारतीय भाषाओं का अनूठा ग्रन्थ। 2. विश्वकोश की वैश्विक अवधारणा के अनुकूल ग्रन्थ का संयोजन एवं विषयवस्तु की प्रस्तुति। 3. विश्वकोश में अपेक्षित ‘जानकारी की सम्पूर्णता’ का पूरा प्रयास, सभी वर्गों के संरक्षित (क्षेत्रों अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व, रामसर साइट्‌स इत्यादि) में से प्रतिनिधि संरक्षित क्षेत्रों का न केवल उल्लेख अपितु उनकी विशिष्टताओं का विवेचन भी। 4. संरक्षित क्षेत्रों के सभी वैज्ञानिक पक्षों का सरल सुबोध भाषा में विवेचन। विश्वकोश में विज्ञानों के ये तथ्य संकलित हैं (i) इकोलॉजी पारिस्थितिकी, (ii) इथोलॉजी (व्यवहार विज्ञान), (iii) वर्गिकी (टैक्सानामी), (iv) लताजी (जीवविज्ञान), (v). आर्निथोलॉजी (पक्षीविज्ञान), (vi) ज्योग्राफ़ी (भूगोल), (vii) जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), (viii) पेलिअन्टोलॉजी (पूरा विज्ञान-जीवाश्म विज्ञान तथा) (ix) बाटनी (वनस्पति विज्ञान)। 5. संरक्षित क्षेत्रों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए आवश्यक मानचित्र दिए गए हैं। 6. संरक्षित क्षेत्रों के इतिहास और वर्तमान की विस्तृत जानकारियाँ विश्वकोश में संकलित हैं। आवश्यक स्थलों पर सन्दर्भ-ग्रन्थों का भी उल्लेख है। 7. विश्वकोश में संरक्षित क्षेत्रों की समकालीन घटनाओं और स्थिति को निरपेक्षता से प्रस्तुत किया गया है। तथ्यों की पुष्टि के लिए स्रोत को उद्धृत किया गया है। अंग्रेज़ी भाषा के स्रोतों को उद्धृत किया गया है। 8. विश्वकोश में पूरी तरह से हिन्दी भाषा का प्रयोग किया गया है अन्य भाषाएँ प्रमुख पाठ से अलग हाशिये पर या परिशिष्ट में ही देखी जा सकती हैं। परिशिष्ट में आधारभूत अध्ययन सामग्री की क्रमबद्ध सूचियाँ हैं। 9. विश्वकोश में प्रारम्भ से अन्त तक पठनीयता को बनाए रखा गया है। विश्वकोश की अनेक टिप्पणियाँ एवं आलेख स्वतंत्र रूप से पठनीय हैं।
 

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

अधोलिखित 9 प्रमुख विशेषताओं से युक्त प्रस्तुत विश्वकोश भारतीय संरक्षित क्षेत्रों के पर्यावरण एवं प्राणिजात के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी देनेवाला न केवल हिन्दी वरन् अन्य देशी भाषाओं में भी प्रकाशित अब तक का सबसे अधिक वैज्ञानिक सन्दर्भ-ग्रन्थ है। विश्वकोश की नौ प्रमुख विशेषताएँ : 1. संरक्षित क्षेत्रों के माध्यम से भारतीय पर्यावरण एवं प्राणिजात की सर्वांगीण प्रस्तुति करनेवाला भारतीय परम्परा एवं हिन्दी भाषा में लिखा गया भारतीय भाषाओं का अनूठा ग्रन्थ। 2. विश्वकोश की वैश्विक अवधारणा के अनुकूल ग्रन्थ का संयोजन एवं विषयवस्तु की प्रस्तुति। 3. विश्वकोश में अपेक्षित ‘जानकारी की सम्पूर्णता’ का पूरा प्रयास, सभी वर्गों के संरक्षित (क्षेत्रों अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, बायोस्फियर रिजर्व, रामसर साइट्‌स इत्यादि) में से प्रतिनिधि संरक्षित क्षेत्रों का न केवल उल्लेख अपितु उनकी विशिष्टताओं का विवेचन भी। 4. संरक्षित क्षेत्रों के सभी वैज्ञानिक पक्षों का सरल सुबोध भाषा में विवेचन। विश्वकोश में विज्ञानों के ये तथ्य संकलित हैं (i) इकोलॉजी पारिस्थितिकी, (ii) इथोलॉजी (व्यवहार विज्ञान), (iii) वर्गिकी (टैक्सानामी), (iv) लताजी (जीवविज्ञान), (v). आर्निथोलॉजी (पक्षीविज्ञान), (vi) ज्योग्राफ़ी (भूगोल), (vii) जियोलॉजी (भूगर्भ विज्ञान), (viii) पेलिअन्टोलॉजी (पूरा विज्ञान-जीवाश्म विज्ञान तथा) (ix) बाटनी (वनस्पति विज्ञान)। 5. संरक्षित क्षेत्रों को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए आवश्यक मानचित्र दिए गए हैं। 6. संरक्षित क्षेत्रों के इतिहास और वर्तमान की विस्तृत जानकारियाँ विश्वकोश में संकलित हैं। आवश्यक स्थलों पर सन्दर्भ-ग्रन्थों का भी उल्लेख है। 7. विश्वकोश में संरक्षित क्षेत्रों की समकालीन घटनाओं और स्थिति को निरपेक्षता से प्रस्तुत किया गया है। तथ्यों की पुष्टि के लिए स्रोत को उद्धृत किया गया है। अंग्रेज़ी भाषा के स्रोतों को उद्धृत किया गया है। 8. विश्वकोश में पूरी तरह से हिन्दी भाषा का प्रयोग किया गया है अन्य भाषाएँ प्रमुख पाठ से अलग हाशिये पर या परिशिष्ट में ही देखी जा सकती हैं। परिशिष्ट में आधारभूत अध्ययन सामग्री की क्रमबद्ध सूचियाँ हैं। 9. विश्वकोश में प्रारम्भ से अन्त तक पठनीयता को बनाए रखा गया है। विश्वकोश की अनेक टिप्पणियाँ एवं आलेख स्वतंत्र रूप से पठनीय हैं।
 

About Author

शिवकुमार तिवारी

जन्म : 1941, जबलपुर।

शिक्षा : विश्वविद्यालयीन परीक्षाएँ (बी.ए., एम.ए.) विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण, ‘नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप’, जैवभूगोल में शोधकार्य एवं डॉक्टरेट की उपाधि।

25 वर्षों (1964 से 1990) तक मध्य प्रदेश की महाविद्यालयीन सेवा में भूगोल विषय के सहायक प्राध्यापक एवं प्राध्यापक पदों पर रहकर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य। भूगोल, मानवविज्ञान, पर्यावरण, जनजातीय संस्कृति एवं चिकित्सा भूगोल पर मानक ग्रन्थ तथा अनेक शोध पत्र। 13 वर्ष (1990 से 2003) तक रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में जनजातीय अध्ययन विभाग में अध्यक्ष के रूप में कार्यरत। विश्वविद्यालय में कार्य करते हुए बीस पीएच.डी. शोध कार्यों का निर्देशन। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद् तथा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् जैसी संस्थाओं द्वारा प्रायोजित क्षेत्रीय शोध परियोजनाओं के निदेशक। भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अनुदान प्राप्त क्षेत्रीय शोध परियोजनाओं के निदेशक। इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की शाखा जनजातीय आयुर्विज्ञान शोध संस्थान के मानद सदस्य। हिन्दी भाषा में बारह ग्रन्थों का प्रकाशन जिनमें से छह मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल (मध्य प्रदेश शासन) से तथा अन्य निजी प्रकाशन गृहों द्वारा प्रकाशित हुए हैं। अंग्रेज़ी भाषा में बीस ग्रन्थों का प्रकाशन।

प्रकाशित कृतियाँ : नवीन ग्रन्थ ‘ज्याग्राफ़िक बायोज्याग्राफ़ी’ (2007) एवं 'अर्ली मेन ऑफ इंडियन रॉकशेल्टर्स’ (2009)। राजकमल प्रकाशन द्वारा 'चरितानि राजगोंडानाम’ (2008), ‘राजगोंडों की वंशगाथा’ (2012) एवं ‘भारतीय वन्यप्राणियों के संरक्षित क्षेत्रों का विश्वकोष’ (2013) प्रकाशित।

सम्मान : मध्य प्रदेश शासन द्वारा हिन्दी भाषा में विश्वविद्यालयीन स्तर के मानक ग्रन्थों के लेखन हेतु ‘डॉ. शंकरदयाल शर्मा सृजन सम्मान’ (वर्ष 2009) से सम्मानित एवं पुरस्कृत।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bhartiya Vanya Praniyon ke Sanrakshit Kshetro ka Vishvkosh (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED