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Bharat Ka Rashtriya Pakshi Aur Rajyo Ke Rajya Pakshi (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Parashuram Shukla
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Parashuram Shukla
Language:
Hindi
Format:
Hardback

560

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‘भारत का राष्ट्रीय पक्षी और राज्यों के राज्य पक्षी’ एक अनूठी पुस्तक है। इसका उद्देश्य है पाठकों को अपने पर्यावरण के प्रति सचेत व सहृदय बनाना।
पिछली अनेक शताब्दियों से विश्व स्तर पर वन-सम्पदा तेजी से नष्ट हो रही है। बीसवीं शताब्दी आते-आते अनेक जीव-जन्तु तथा वृक्ष धरती से समाप्त  हो गए। पर्यावरणविदों और पर्यावरण सुरक्षा से सम्बद्ध अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसे गम्भीरता से लिया। वन्यजीवों को बचाने के लिए डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. ने चीन के राष्ट्रीय पशु दैत्याकार पांडा को अपना प्रतीक चिह्न बनाया। इससे विलुप्तप्राय पांडा को नया जीवन मिला। इसके साथ ही इस संस्था ने बर्ड फीजैंट एसोसिएशन, इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ़ नेचर जैसी अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर वन्य पशुओं, पक्षियों, वृक्षों, पुष्पों के संरक्षण का कार्य आरम्भ किया। विभिन्न देशों के राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय वृक्ष और राष्ट्रीय पुष्प इसी का परिणाम हैं। राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रचिह्न, राष्ट्रभाषा आदि के समान ये भी राष्ट्र का गौरव हैं।
भारत ने स्वतंत्रता के बाद यह कार्य भारतीय वन्यजीव बोर्ड (इंडियन बोर्ड फ़ॉर वाइल्ड लाइफ़) को सौंपा। इस बोर्ड की संस्तुति पर जनवरी, 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया। इसके बाद अनेक राज्यों ने भी अपने-अपने राज्य पक्षी घोषित किए। किन्तु कुछ पक्षी ऐसे हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है। धनेस, पहाड़ी मैना, मोनाल राज हारिल और श्रीमती ह्यूम फीजैंट ऐसे ही पक्षी हैं। नीलकंठ एक ऐसा पक्षी है, जिसे तीन राज्यों ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है। भारत में दिल्ली और आसाम दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने अभी तक अपने राज्य पक्षी घोषित नहीं किए हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों में केवल लक्षद्वीप ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है।
समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् डॉ. परशुराम शुक्ल ने इस पुस्तक में इन पक्षियों के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी हैं। ये रोचक और ज्ञानवर्द्धक हैं। हिन्दी में अपने विषय पर यह अकेली पुस्तक है।

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Description

‘भारत का राष्ट्रीय पक्षी और राज्यों के राज्य पक्षी’ एक अनूठी पुस्तक है। इसका उद्देश्य है पाठकों को अपने पर्यावरण के प्रति सचेत व सहृदय बनाना।
पिछली अनेक शताब्दियों से विश्व स्तर पर वन-सम्पदा तेजी से नष्ट हो रही है। बीसवीं शताब्दी आते-आते अनेक जीव-जन्तु तथा वृक्ष धरती से समाप्त  हो गए। पर्यावरणविदों और पर्यावरण सुरक्षा से सम्बद्ध अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसे गम्भीरता से लिया। वन्यजीवों को बचाने के लिए डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. ने चीन के राष्ट्रीय पशु दैत्याकार पांडा को अपना प्रतीक चिह्न बनाया। इससे विलुप्तप्राय पांडा को नया जीवन मिला। इसके साथ ही इस संस्था ने बर्ड फीजैंट एसोसिएशन, इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंजरवेशन ऑफ़ नेचर जैसी अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर वन्य पशुओं, पक्षियों, वृक्षों, पुष्पों के संरक्षण का कार्य आरम्भ किया। विभिन्न देशों के राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय वृक्ष और राष्ट्रीय पुष्प इसी का परिणाम हैं। राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रचिह्न, राष्ट्रभाषा आदि के समान ये भी राष्ट्र का गौरव हैं।
भारत ने स्वतंत्रता के बाद यह कार्य भारतीय वन्यजीव बोर्ड (इंडियन बोर्ड फ़ॉर वाइल्ड लाइफ़) को सौंपा। इस बोर्ड की संस्तुति पर जनवरी, 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया। इसके बाद अनेक राज्यों ने भी अपने-अपने राज्य पक्षी घोषित किए। किन्तु कुछ पक्षी ऐसे हैं, जिन्हें दो-दो राज्यों ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है। धनेस, पहाड़ी मैना, मोनाल राज हारिल और श्रीमती ह्यूम फीजैंट ऐसे ही पक्षी हैं। नीलकंठ एक ऐसा पक्षी है, जिसे तीन राज्यों ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है। भारत में दिल्ली और आसाम दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने अभी तक अपने राज्य पक्षी घोषित नहीं किए हैं। केन्द्रशासित प्रदेशों में केवल लक्षद्वीप ने अपना राज्य पक्षी घोषित किया है।
समाजशास्त्री और पर्यावरणविद् डॉ. परशुराम शुक्ल ने इस पुस्तक में इन पक्षियों के बारे में विस्तार से जानकारियाँ दी हैं। ये रोचक और ज्ञानवर्द्धक हैं। हिन्दी में अपने विषय पर यह अकेली पुस्तक है।

About Author

परशुराम शुक्ल

जन्म : 6 जून, 1947; कानपुर (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.।

प्रकाशन : ‘भारतीय वन्यजीव’ (पुरस्कृत), ‘भारतीय हिरन और गवय’, ‘भारत का राष्ट्रीय पशु और राज्यों के राज्य पशु’ सहित दो दर्जन से अधिक पुस्तकें और 6 हज़ार से अधिक स्फुट रचनाएँ प्रकाशित। अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कृतियों पर कई शोध।

पुरस्कार एवं सम्मान : समाज कल्याण मंत्रालय; पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली; चिल्ड्रंस बुक ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली; हिन्दी अकादमी, हैदराबाद सहित अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित।

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