SalePaperback
6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद पूरा भारत दंगों की चपेट में आ गया था। सांप्रदायिक अशांति को लेकर हमेशा ही अतिसंवेदनशील रही मुंबई में दिसंबर 1992 और फिर जनवरी 1993 में जो हिंसा हुई, वह अभूतपूर्व थी। दो महीने बाद, मार्च के महीने में सिलसिलेवार धमाकों ने शहर को दहला दिया, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए। सांप्रदायिक दंगों के बाद छिड़े गैंगवार और अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं ने शहर को तहस-नहस कर दिया। इन सबने मुंबई को हमेशा के लिए बदल दिया।
प्रस्तुत पुस्तक बताती है कि पिछले तीन दशकों में मुंबई ने अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव का कैसा दौर देखा है। 1992 के बाद, मुंबई अंडरवल्र्ड में एक विभाजन ने राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया, जिसने शहर की जनसांख्यिकी को बदल दिया और नई नई बस्तियों को जन्म दिया। कुछ समय की खामोशी के बाद, वर्ष 2002 में एक बार फिर धमाकों और आतंकवादी हमलों ने इसे हिला दिया। यह हिंसा का एक ऐसा चक्र था, जो 2008 में 26/11 के भयानक आतंकवादी हमलों के साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। मुंबई को जिन प्रमुख घटनाओं और लोगों ने वर्तमान रूप दिया है, उनके विषय में बताने के साथ ही, इस पुस्तक ने शहर के चरित्र में बदलाव, इसके भौतिक रूप और नागरिक मुद्दों से लेकर इसकी अर्थव्यवस्था, रियल एस्टेट और राजनीति तक में बदलाव को शब्दों में बुना है।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “Ayodhya Ne Kaise Badal Di Bambai” Cancel reply
Description
6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद पूरा भारत दंगों की चपेट में आ गया था। सांप्रदायिक अशांति को लेकर हमेशा ही अतिसंवेदनशील रही मुंबई में दिसंबर 1992 और फिर जनवरी 1993 में जो हिंसा हुई, वह अभूतपूर्व थी। दो महीने बाद, मार्च के महीने में सिलसिलेवार धमाकों ने शहर को दहला दिया, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए। सांप्रदायिक दंगों के बाद छिड़े गैंगवार और अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं ने शहर को तहस-नहस कर दिया। इन सबने मुंबई को हमेशा के लिए बदल दिया।
प्रस्तुत पुस्तक बताती है कि पिछले तीन दशकों में मुंबई ने अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव का कैसा दौर देखा है। 1992 के बाद, मुंबई अंडरवल्र्ड में एक विभाजन ने राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया, जिसने शहर की जनसांख्यिकी को बदल दिया और नई नई बस्तियों को जन्म दिया। कुछ समय की खामोशी के बाद, वर्ष 2002 में एक बार फिर धमाकों और आतंकवादी हमलों ने इसे हिला दिया। यह हिंसा का एक ऐसा चक्र था, जो 2008 में 26/11 के भयानक आतंकवादी हमलों के साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। मुंबई को जिन प्रमुख घटनाओं और लोगों ने वर्तमान रूप दिया है, उनके विषय में बताने के साथ ही, इस पुस्तक ने शहर के चरित्र में बदलाव, इसके भौतिक रूप और नागरिक मुद्दों से लेकर इसकी अर्थव्यवस्था, रियल एस्टेट और राजनीति तक में बदलाव को शब्दों में बुना है।
About Author
जीतेंद्र दीक्षित—प्रख्यात लेखक जीतेंद्र दीक्षित मुंबई में ए.बी.पी. नेटवर्क के वेस्ट इंडिया एडिटर हैं। अपने बचपन में उन्होंने गैंग वॉर से जुड़ी हिंसा को करीब से देखा और सांप्रदायिक दंगों का खौफ महसूस किया। इन्हीं अनुभवों ने उन्हें पत्रकारिता में अपना कॅरियर बनाने और क्राइम तथा संघर्ष को कवर करने में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित किया। 22 के गुजरात दंगों से लेकर मुंबई अंडरवल्र्ड के गैंग वॉर और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों तक दीक्षित ने ढाई दशक के अपने कॅरियर में जमीनी रिपोर्टिंग की है। कश्मीर चुनाव 214 पर उनकी डॉक्यूमेंट्री ने रेडइंक अवॉर्ड जीता। उन्होंने 211 में न्यूयॉर्क शहर में एफ.बी.आई. की कॉम्बैट इंटरनेशनल ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। उनकी पिछली पुस्तकें 'वे उनसठ घंटे', '35 डेज', 'बॉम्बे 3', 'वैली ऑफ रेड स्नो', 'कश्मीर 37 के साथ और बाद' और 'सबसे बड़ी बगावत' हैं। वे एक पुस्तक-प्रेमी, यायावर और प्रमाणित समुद्री गोताखोर हैं। संपर्क : bombayman79@gmail.com
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “Ayodhya Ne Kaise Badal Di Bambai” Cancel reply
YOU MAY ALSO LIKE…
Recently Viewed
Help ! My Mother Left Her Mind Behind ! (P.B)
Save: 25%
Constitutional Law of India (Set of 3 Vols) 4th Edn.
Save: 25%
Swann’s Way: In Search of Lost Time, Volume 1
Save: 60%
Bleach Box Set-1: Volumes 1-21 | Box Set 2: Volumes 22-48
Save: 70%
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.