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Aurat Ki Kahani

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सम्पादक सुधा अरोड़ा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सम्पादक सुधा अरोड़ा
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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1-4 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126314409 Category
Category:
Page Extent:
208

औरत की कहानी –

‘औरत की कहानी’ में औरत की जिन्दगी के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित कुछ विशिष्ट कहानियों का सम्पादन सुप्रसिद्ध कथाकार सुधा अरोड़ा द्वारा किया गया है। इस संग्रह में सम्मिलित है महाश्वेता देवी, मन्नू भंडारी, ममता कालिया, उर्मिला पवार, मृदुला गर्ग, मृणाल पांडे, राजी सेठ, नासिरा शर्मा, चित्रा मुद्गल, ज्योत्स्ना मिलन, सूर्यबाला, मैत्रेयी पुष्पा, नमिता सिंह, कमलेश बक्षी, रमणिका गुप्ता एवं सुधा अरोड़ा की कहानियाँ । संग्रह की विशेषता है कि प्रत्येक लेखिका ने अपनी चुनी हुई कहानी देने से पहले कहानी के सन्दर्भ में अपना वक्तव्य भी दिया है। ये वक्तव्य लेखिकाओं के अनुभव की सघनता को प्रमाणित करते हैं। पश्चिम के नारीवाद के बरक्स खाँटी भारतीय नारीवाद की सैद्धान्तिकी गढ़ने का प्रयास करता यह संग्रह वैचारिक अभिव्यक्तियों एवं सर्जनात्मक अनुभूतियों में गुँथे स्त्री-विमर्श का हृदय व मस्तिष्क-सा बन जाता है। युग बदले, युग के प्रतिमान बदले, नहीं बदला तो नारी का अनवरत अवमूल्यन। आदि आचार्यों से लेकर आधुनिक चिन्तक तक उसके प्रश्नों को अनदेखा करते रहे हैं। अन्ततः वह अपने प्रश्नों के उत्तर खोजने स्वयं निकल पड़ी है। यही कारण है कि इस संग्रह की कहानियों में अपनी अस्मिता के लिए लड़ी जानेवाली स्त्रियों की सामूहिक लड़ाई का स्पष्ट, निर्भीक और संकल्पबद्ध स्वर सुनाई देता है।

इस संग्रह की कहानियों को पढ़कर यह तथ्य रेखांकित किया जा सकता है कि स्त्री का समय बदल रहा है। स्त्री-विमर्श के विभिन्न आयामों में सक्रिय ‘आधी दुनिया’ के लिए एक रचनात्मक और बहुमूल्य दस्तावेज ।

܀܀܀

औरत की कहानी –

आनेवाले दिनों में सच्ची औरत, मौजूदा वक्त के साथ कदम से कदम मिलाती हुई, प्रतिरोध के आन्दोलन से जुड़ेगी। वह चुप्पी ओढ़कर बैठ नहीं जाएगी, ‘रिटायर’ नहीं हो जाएगी।

– महाश्वेता देवी

पिछले चालीस-पचास वर्षों में स्त्री की स्थिति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। शिक्षा, आर्थिक स्वतन्त्रता, अपनी अस्मिता की पहचान, बड़े-बड़े पदों पर काम करने से उपजे आत्मविश्वास ने एक बिलकुल नयी स्त्री को जन्म दिया है।

– मन्नू भण्डारी

फेमिनिज्म का मतलब नारी मुक्ति नहीं, सोच की मुक्ति है। अगर स्त्री मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक नीति और इतिहास को उन मानदंडों के अनुसार परख सकती है, जो उसने खुद ईजाद किये हैं, तो वह फेमिनिस्ट है।

– मृदुला गर्ग

पिंजड़ा लोहे का हो या पीतल का, या फिर हीरा मोती जड़ा सोने का, उसके भीतर पाँव टिकाने भर की अलगनी स्त्री की ज़मीन है और उसकी तीलियों के बाहर का आसमान उसका आसमान।

– चित्रा मुद्गल

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Description

औरत की कहानी –

‘औरत की कहानी’ में औरत की जिन्दगी के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित कुछ विशिष्ट कहानियों का सम्पादन सुप्रसिद्ध कथाकार सुधा अरोड़ा द्वारा किया गया है। इस संग्रह में सम्मिलित है महाश्वेता देवी, मन्नू भंडारी, ममता कालिया, उर्मिला पवार, मृदुला गर्ग, मृणाल पांडे, राजी सेठ, नासिरा शर्मा, चित्रा मुद्गल, ज्योत्स्ना मिलन, सूर्यबाला, मैत्रेयी पुष्पा, नमिता सिंह, कमलेश बक्षी, रमणिका गुप्ता एवं सुधा अरोड़ा की कहानियाँ । संग्रह की विशेषता है कि प्रत्येक लेखिका ने अपनी चुनी हुई कहानी देने से पहले कहानी के सन्दर्भ में अपना वक्तव्य भी दिया है। ये वक्तव्य लेखिकाओं के अनुभव की सघनता को प्रमाणित करते हैं। पश्चिम के नारीवाद के बरक्स खाँटी भारतीय नारीवाद की सैद्धान्तिकी गढ़ने का प्रयास करता यह संग्रह वैचारिक अभिव्यक्तियों एवं सर्जनात्मक अनुभूतियों में गुँथे स्त्री-विमर्श का हृदय व मस्तिष्क-सा बन जाता है। युग बदले, युग के प्रतिमान बदले, नहीं बदला तो नारी का अनवरत अवमूल्यन। आदि आचार्यों से लेकर आधुनिक चिन्तक तक उसके प्रश्नों को अनदेखा करते रहे हैं। अन्ततः वह अपने प्रश्नों के उत्तर खोजने स्वयं निकल पड़ी है। यही कारण है कि इस संग्रह की कहानियों में अपनी अस्मिता के लिए लड़ी जानेवाली स्त्रियों की सामूहिक लड़ाई का स्पष्ट, निर्भीक और संकल्पबद्ध स्वर सुनाई देता है।

इस संग्रह की कहानियों को पढ़कर यह तथ्य रेखांकित किया जा सकता है कि स्त्री का समय बदल रहा है। स्त्री-विमर्श के विभिन्न आयामों में सक्रिय ‘आधी दुनिया’ के लिए एक रचनात्मक और बहुमूल्य दस्तावेज ।

܀܀܀

औरत की कहानी –

आनेवाले दिनों में सच्ची औरत, मौजूदा वक्त के साथ कदम से कदम मिलाती हुई, प्रतिरोध के आन्दोलन से जुड़ेगी। वह चुप्पी ओढ़कर बैठ नहीं जाएगी, ‘रिटायर’ नहीं हो जाएगी।

– महाश्वेता देवी

पिछले चालीस-पचास वर्षों में स्त्री की स्थिति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। शिक्षा, आर्थिक स्वतन्त्रता, अपनी अस्मिता की पहचान, बड़े-बड़े पदों पर काम करने से उपजे आत्मविश्वास ने एक बिलकुल नयी स्त्री को जन्म दिया है।

– मन्नू भण्डारी

फेमिनिज्म का मतलब नारी मुक्ति नहीं, सोच की मुक्ति है। अगर स्त्री मौजूदा राजनीतिक, आर्थिक नीति और इतिहास को उन मानदंडों के अनुसार परख सकती है, जो उसने खुद ईजाद किये हैं, तो वह फेमिनिस्ट है।

– मृदुला गर्ग

पिंजड़ा लोहे का हो या पीतल का, या फिर हीरा मोती जड़ा सोने का, उसके भीतर पाँव टिकाने भर की अलगनी स्त्री की ज़मीन है और उसकी तीलियों के बाहर का आसमान उसका आसमान।

– चित्रा मुद्गल

About Author

सुधा अरोड़ा - जन्म : 1946, लाहौर (अब पाकिस्तान में)। शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी साहित्य), कलकत्ता विश्वविद्यालय से। अध्यापन : 1969-1971 के बीच कलकत्ता के दो महाविद्यालयों में। प्रकाशन : बगैर तराशे हुए, युद्धविराम, महानगर की मैथिली, काला शुक्रवार, काँसे का गिलास, मेरी तेरह कहानियाँ, रहोगी तुम वही (कहानी-संग्रह), आम औरत : ज़िन्दा सवाल (आलेख-संग्रह)। स्तम्भ लेखन : 'सारिका' 'जनसत्ता' और 'कथादेश' में तमाम स्त्री-प्रश्नों पर चर्चित लेखन। सम्पादन-अनुवाद : भारतीय महिला कलाकारों के आत्मकथ्यों के दो संकलन 'दहलीज़ को लाँघते हुए' व 'पंखों की उड़ान'। 'औरत की कहानी' (श्रृंखला एक व दो)। विभिन्न कहानियों का प्रायः समस्त भारतीय भाषाओं के साथ अँग्रेजी, फ्रेंच, पोलिश, चेक, जापानी, जर्मन व इतालवी में अनुवाद। अन्यान्य : 'युद्ध विराम', 'दहलीज़ पर संवाद', 'इतिहास दोहराता है' तथा 'जानकीनामा' कहानियों पर दूरदर्शन द्वारा लघु-फिल्मों का निर्माण। 1993 से महिला संगठनों के सामाजिक कार्यों व सलाहकार केन्द्रों से सक्रिय जुड़ाव । सम्मान : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का विशेष पुरस्कार। सम्प्रति : भारतीय भाषाओं के पुस्तक केन्द्र 'वसुंधरा' (मुम्बई) की मानद निदेशक । सम्पर्क : 'वसुंधरा' 602, गेटवे प्लाजा, हीरानंदानी गार्डेन्स, पवई, मुम्बई-400076 दूरभाष : 022-25797872/40057872 मो. : 09821883980 ई-मेल : sudhaarora@gmail.com

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