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Antaheen (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Ramesh Pokhariyal 'Nishank'
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Ramesh Pokhariyal 'Nishank'
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9788183616539
Category Hindi
Category: Hindi
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कहानियाँ हमारे आसपास बिखरी होती हैं। उन्हें तलाशने के लिए दूर की कौड़ी नहीं लानी पड़ती। एक पारखी निगाह और संवेदनशील मन इनकी शिनाख़्त कर लेता है। ‘अन्तहीन’ कहानी-संग्रह में शामिल रचनाएँ इस बात को साबित करती हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ज़िन्दगी के खुरदुरे धरातल पर खड़ी सच्चाइयों को अपनी कहानियों में आवाज़ दी है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि ‘निशंक’ की अनेक कहानियाँ हाशिये का जीवन जी रहे लोगों की व्यथा-कथा हैं। ग़रीबी, रिश्तों में घुसता बाज़ारवाद, स्त्रियों से जुड़े कई प्रश्न, परिस्थितियों की विडम्बना आदि से ‘निशंक’ ने कथा-सूत्र एकत्र किए हैं। सूत्रों का विस्तार करते हुए वे पाठकों को कल्पना की भूलभुलैया में भटकाते नहीं। सीधी सरल सादगी से भरी भाषा शैली में अपनी बात कह जाते हैं। ‘गेहूँ के दाने’ इस सन्दर्भ में पठनीय है। मध्यवर्गीय कश-म-कश को भी लेखक ने लक्षित किया है। ‘कैसे सम्बन्ध’ और ‘दहलीज़’ सरीखी कहानियों से पता चलता है कि अभी तक जाने कितनी वर्जनाएँ प्रगति का रास्ता रोककर खड़ी हैं। ‘फिर ज़िन्दा कैसे’ कहानी के नायक सुनील का पागलपन अन्दर तक झकझोर देता है। ‘अन्तहीन’ की कहानियाँ जीवन के अँधेरे और उजाले की गवाहियाँ हैं।
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Description
कहानियाँ हमारे आसपास बिखरी होती हैं। उन्हें तलाशने के लिए दूर की कौड़ी नहीं लानी पड़ती। एक पारखी निगाह और संवेदनशील मन इनकी शिनाख़्त कर लेता है। ‘अन्तहीन’ कहानी-संग्रह में शामिल रचनाएँ इस बात को साबित करती हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ज़िन्दगी के खुरदुरे धरातल पर खड़ी सच्चाइयों को अपनी कहानियों में आवाज़ दी है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि ‘निशंक’ की अनेक कहानियाँ हाशिये का जीवन जी रहे लोगों की व्यथा-कथा हैं। ग़रीबी, रिश्तों में घुसता बाज़ारवाद, स्त्रियों से जुड़े कई प्रश्न, परिस्थितियों की विडम्बना आदि से ‘निशंक’ ने कथा-सूत्र एकत्र किए हैं। सूत्रों का विस्तार करते हुए वे पाठकों को कल्पना की भूलभुलैया में भटकाते नहीं। सीधी सरल सादगी से भरी भाषा शैली में अपनी बात कह जाते हैं। ‘गेहूँ के दाने’ इस सन्दर्भ में पठनीय है। मध्यवर्गीय कश-म-कश को भी लेखक ने लक्षित किया है। ‘कैसे सम्बन्ध’ और ‘दहलीज़’ सरीखी कहानियों से पता चलता है कि अभी तक जाने कितनी वर्जनाएँ प्रगति का रास्ता रोककर खड़ी हैं। ‘फिर ज़िन्दा कैसे’ कहानी के नायक सुनील का पागलपन अन्दर तक झकझोर देता है। ‘अन्तहीन’ की कहानियाँ जीवन के अँधेरे और उजाले की गवाहियाँ हैं।
About Author
रमेश पोखरियाल 'निशंक'
जन्म : 15 अगस्त, 1958; ग्राम—पिनानी, पौड़ी गढ़वाल।
राजनीति में ज़मीनी सक्रियता के पक्षधर, प्रभावशाली वक्ता। वे उत्तराखंड राज्य के पाँचवें मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
फ़िलहाल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मंत्री-पद पर आसीन।
साहित्य, कला और संस्कृति में गहरी अभिरुचि। कहानी, उपन्यास, कविता और अन्य विधाओं में किताबें प्रकाशित।
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘संसार कायरों के लिए नहीं’ (जीवन-प्रबन्धन), ‘अन्तहीन’ (कहानी-संग्रह) आदि।
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