Akhiri Daon

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Nilamber Kaushik
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

225

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1-4 Days

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Book Type

ISBN:
Categories: ,
Page Extent:
16

नीलांबरजी में वह सृजनात्मक ऊर्जा है, जो किसी भी रचनाकार के लिए आवश्यक होती है। वस्तुतः यह ऊर्जा ही पाठकों को अपनी ओर खींचती है। घटनाओं, पात्रों, उनके चरित्रों और लेखक के विचारों से उनका तादात्म्य कराती है। नीलांबरजी की कहानियाँ विषय-वस्तु और रूप-विधान के स्तर पर विशुद्ध कहानियों की श्रेणी में आती हैं। वे परंपरावादी होकर भी विषय-वस्तु की दृष्टि से यथार्थवादी हैं। उनकी कहानियों में समकालीन सामाजिक यथार्थ के सभी पक्ष, तथ्य, जीवन के अनुभव और मनःस्थितियाँ हैं। उन्होंने अपनी रचना को जीवन से जोड़ने की भरपूर कोशिश की है। ये कहानियाँ बोझिल या ऊबाऊ नहीं हैं। सहज, सरस, किस्सागोई से भरपूर और अनुभूति प्रधान हैं। संग्रह की कहानियाँ अलग-अलग कालखंडों में लिखी गईं, जो अलग-अलग विषय-वस्तु की हैं। बावजूद इसके वे डेटेड नहीं लगतीं, क्योंकि उनमें निहित मानवीय संवदेना और सांस्कृतिक चेतना के स्वर सार्वकालिक हैं। नीलांबरजी की अधिकांश कहानियाँ अपनी कहन शक्ति, रोचकता, कुतूहल और कथातत्त्व से भरपूर हैं। भाषा सहज और संप्रेष्य है। सामाजिक समस्याओं और जीवंत चरित्रों के कारण ये कहानियाँ पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाएगी, ऐसी आशा है।

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Description

नीलांबरजी में वह सृजनात्मक ऊर्जा है, जो किसी भी रचनाकार के लिए आवश्यक होती है। वस्तुतः यह ऊर्जा ही पाठकों को अपनी ओर खींचती है। घटनाओं, पात्रों, उनके चरित्रों और लेखक के विचारों से उनका तादात्म्य कराती है। नीलांबरजी की कहानियाँ विषय-वस्तु और रूप-विधान के स्तर पर विशुद्ध कहानियों की श्रेणी में आती हैं। वे परंपरावादी होकर भी विषय-वस्तु की दृष्टि से यथार्थवादी हैं। उनकी कहानियों में समकालीन सामाजिक यथार्थ के सभी पक्ष, तथ्य, जीवन के अनुभव और मनःस्थितियाँ हैं। उन्होंने अपनी रचना को जीवन से जोड़ने की भरपूर कोशिश की है। ये कहानियाँ बोझिल या ऊबाऊ नहीं हैं। सहज, सरस, किस्सागोई से भरपूर और अनुभूति प्रधान हैं। संग्रह की कहानियाँ अलग-अलग कालखंडों में लिखी गईं, जो अलग-अलग विषय-वस्तु की हैं। बावजूद इसके वे डेटेड नहीं लगतीं, क्योंकि उनमें निहित मानवीय संवदेना और सांस्कृतिक चेतना के स्वर सार्वकालिक हैं। नीलांबरजी की अधिकांश कहानियाँ अपनी कहन शक्ति, रोचकता, कुतूहल और कथातत्त्व से भरपूर हैं। भाषा सहज और संप्रेष्य है। सामाजिक समस्याओं और जीवंत चरित्रों के कारण ये कहानियाँ पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाएगी, ऐसी आशा है।

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