Hindi Paryayavachi Kosh

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Bhola Nath Tiwari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Bhola Nath Tiwari
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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712

आप छात्र हों या शिक्षक, लेखक हों या पत्रकार, शोधकर्ता हों या वक्‍ता- अकसर कहानी, कविता, निबंध, भाषण या रिपोर्ट लिखते समय सही और सटीक शब्द की खोज में आपकी लेखनी अटक जाती है । समस्या तब और जटिल हो सकती है, जब किसी शब्द की एकाधिक अर्थ -छटाएँ आपको असमंजस में डाल दें । यह ‘ पर्यायवाची कोश ‘ अभिव्यक्‍त‌ि की ऐसी अनेक अड़चनों को एक नजर में ही दूर करने में समर्थ है । प्राय: 18000 शब्दों के इस पर्यायवाची कोश में, वर्णमाला के अनुक्रम से, शब्द-संपादन सभी शिक्षा-स्तरों के पाठकों की सुविधा हेतु किया गया है । शब्द-पर्याय के लिए तद‍्भव, तत्सम और देशज शब्दों के साथ ही उर्दू और अंग्रेजी के भी बहुप्रचलित शब्दों का उपयोगी संकलन है इसमें । अमूर्त संकल्पनाओं के लिए हिंदी में नए गढ़े गए शब्दों के साथ उनके समानार्थी अंग्रेजी शब्द भी कोष्‍ठकों में समाहित हैं । इस प्रकार अपनी सभी विशेषताओं सहित यह संग्रहणीय कोश-ग्रंथ आपको अभिव्यक्‍त‌ि की अर्थपूर्णता और शब्द-सामर्थ्य की सिद्धि में सर्वाधिक सहायक होगा-हमें विश्‍वास है!.

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Description

आप छात्र हों या शिक्षक, लेखक हों या पत्रकार, शोधकर्ता हों या वक्‍ता- अकसर कहानी, कविता, निबंध, भाषण या रिपोर्ट लिखते समय सही और सटीक शब्द की खोज में आपकी लेखनी अटक जाती है । समस्या तब और जटिल हो सकती है, जब किसी शब्द की एकाधिक अर्थ -छटाएँ आपको असमंजस में डाल दें । यह ‘ पर्यायवाची कोश ‘ अभिव्यक्‍त‌ि की ऐसी अनेक अड़चनों को एक नजर में ही दूर करने में समर्थ है । प्राय: 18000 शब्दों के इस पर्यायवाची कोश में, वर्णमाला के अनुक्रम से, शब्द-संपादन सभी शिक्षा-स्तरों के पाठकों की सुविधा हेतु किया गया है । शब्द-पर्याय के लिए तद‍्भव, तत्सम और देशज शब्दों के साथ ही उर्दू और अंग्रेजी के भी बहुप्रचलित शब्दों का उपयोगी संकलन है इसमें । अमूर्त संकल्पनाओं के लिए हिंदी में नए गढ़े गए शब्दों के साथ उनके समानार्थी अंग्रेजी शब्द भी कोष्‍ठकों में समाहित हैं । इस प्रकार अपनी सभी विशेषताओं सहित यह संग्रहणीय कोश-ग्रंथ आपको अभिव्यक्‍त‌ि की अर्थपूर्णता और शब्द-सामर्थ्य की सिद्धि में सर्वाधिक सहायक होगा-हमें विश्‍वास है!.

About Author

डॉ. भोलानाथ तिवारी ( 4 नवंबर, 1923 - 25 अक्‍तूबर, 1989) गाजीपुर ( उ.प्र.) के एक अनाम: ग्रामीण परिवार में जनमे डॉ. तिवारी का जीवन बहुआयामी संघर्ष की अनवरत यात्रा थी, जो अपने सामर्थ्य की चरम सार्थकता तक पहुँची । बचपन से ही भारत के स्वाधीनता -संघर्ष में सक्रियता के सिवा अपने जीवन -संघर्ष में कुलीगिरी से आरंभ करके अंतत: प्रतिष्‍ठ‌ित प्रोफेसर बनने तक की जीवंत जय -यात्रा डॉ. तिवारी ने अपने अंतरज्ञान और कर्म में अनन्य आस्था के बल पर गौरव सहित पूर्ण की । हिंदी के शब्द कोशीय और भाषा वैज्ञानिक आयाम को समृद्ध और संपूर्ण करने का सर्वाधिक श्रेय मिला डॉ तिवारी को । भाषा-विज्ञान, हिंदी भाषा की संरचना, अनुवाद के सिद्धांत और प्रयोग, शैली- विज्ञान, कोश-विज्ञान, कोश-रचना और साहित्य - समालोचन जैसे ज्ञान-गंभीर और श्रमसाध्य विषयों पर एक से बढ़कर एक प्राय: 88 ग्रंथरत्‍नों का सृजन कर उन्होंने कृतित्व का कीर्तिमान स्थापित किया । कुल 66 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया ।.

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