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Adhyapan Karm, Adhyapak Ki Chhavi Va Asmita

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सम्पादक : शिवानी नाग, हृदय कान्त दीवान और मनोज कुमार
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सम्पादक : शिवानी नाग, हृदय कान्त दीवान और मनोज कुमार
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789390678334 Category
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464

अध्यापन कर्म, अध्यापक की छवि व अस्मिता से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रित यह संकलन अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सरोकारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साझा करने और उनके साथ निरन्तर संवाद स्थापित करने की दिशा में एक शुरुआती पहल का हिस्सा है। यह संकलन विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी में आयोजित सेमिनार श्रृंखला ‘शिक्षा के सरोकार’ के पहले सेमिनार में प्रस्तुत चुनिन्दा आलेखों का दूसरा खण्ड है।

यह संकलन जमीनी स्तर पर काम कर रहे शिक्षाकर्मियों तथा विश्वविद्यालय व अन्य संस्थानों में शोध एवं अध्ययन कर रहे अध्येताओं के बीच पारस्परिक संवाद का प्रतिफलन है। कोशिश है कि स्कूल से सीधे जुड़े हुए लोगों के साथ काम कर रहे कार्यकर्ता अपने प्रयासों को दर्ज़ करें, अपने अनुभवों पर मनन व चिन्तन करें तथा उन्हें ज़्यादा बारीकी से और व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें। अपने अनुभव का विश्लेषण कर वे अपनी सीख व समझ औरों के सामने रखें ताकि उस पर व्यापक चर्चा हो सके। सेमिनार और प्रकाशन की इस पहलकदमी का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में नये अनुभवों से गुजर रहे लोगों की अभिव्यक्तियों और संवेदनशीलताओं को शामिल करने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करना है।

संकलन में शामिल लेख अध्यापन कर्म, अध्यापक की छवि व अस्मिता के अलग-अलग पहलुओं को टटोलते हैं। इसमें शामिल विषयों में से कुछ हैं : अध्यापन- कर्म क्या है? उसे कैसे समझा जाता है? उस पर किस तरह का नीतिगत विमर्श होता रहा है और होना चाहिए? अध्यापकीय कर्म को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में किस तरह समझा गया है? आदि। संकलन में अध्यापन की छवि, उसकी अस्मिता और उसके काम को लेकर कुछ समसामयिक मुद्दों पर चर्चा है और यह संकलन शिक्षक की बृहत् सामाजिक-सांस्कृतिक भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय सर्वे नम्बर 66, बुरुगुटे विलेज, बिक्कनाहल्ली मेन रोड, सरजापुरा, बेंगलूरु, कर्नाटक-562 125
Email: publications@apu.edu.in
Website: www.azimpremjiuniversity.edu.in

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Description

अध्यापन कर्म, अध्यापक की छवि व अस्मिता से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रित यह संकलन अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सरोकारों को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साझा करने और उनके साथ निरन्तर संवाद स्थापित करने की दिशा में एक शुरुआती पहल का हिस्सा है। यह संकलन विश्वविद्यालय द्वारा हिन्दी में आयोजित सेमिनार श्रृंखला ‘शिक्षा के सरोकार’ के पहले सेमिनार में प्रस्तुत चुनिन्दा आलेखों का दूसरा खण्ड है।

यह संकलन जमीनी स्तर पर काम कर रहे शिक्षाकर्मियों तथा विश्वविद्यालय व अन्य संस्थानों में शोध एवं अध्ययन कर रहे अध्येताओं के बीच पारस्परिक संवाद का प्रतिफलन है। कोशिश है कि स्कूल से सीधे जुड़े हुए लोगों के साथ काम कर रहे कार्यकर्ता अपने प्रयासों को दर्ज़ करें, अपने अनुभवों पर मनन व चिन्तन करें तथा उन्हें ज़्यादा बारीकी से और व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें। अपने अनुभव का विश्लेषण कर वे अपनी सीख व समझ औरों के सामने रखें ताकि उस पर व्यापक चर्चा हो सके। सेमिनार और प्रकाशन की इस पहलकदमी का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में नये अनुभवों से गुजर रहे लोगों की अभिव्यक्तियों और संवेदनशीलताओं को शामिल करने के लिए एक बड़ा मंच प्रदान करना है।

संकलन में शामिल लेख अध्यापन कर्म, अध्यापक की छवि व अस्मिता के अलग-अलग पहलुओं को टटोलते हैं। इसमें शामिल विषयों में से कुछ हैं : अध्यापन- कर्म क्या है? उसे कैसे समझा जाता है? उस पर किस तरह का नीतिगत विमर्श होता रहा है और होना चाहिए? अध्यापकीय कर्म को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में किस तरह समझा गया है? आदि। संकलन में अध्यापन की छवि, उसकी अस्मिता और उसके काम को लेकर कुछ समसामयिक मुद्दों पर चर्चा है और यह संकलन शिक्षक की बृहत् सामाजिक-सांस्कृतिक भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।

अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय सर्वे नम्बर 66, बुरुगुटे विलेज, बिक्कनाहल्ली मेन रोड, सरजापुरा, बेंगलूरु, कर्नाटक-562 125
Email: publications@apu.edu.in
Website: www.azimpremjiuniversity.edu.in

About Author

शिवानी नाग शिवानी नाग अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के स्कूल ऑफ एजुकेशन स्टडीज़ में सहायक प्राध्यापक हैं। वे पिछले एक दशक से शिक्षा और सामजिक मसलों पर लेखन एवं एक्टिविज्म से जुड़ी हुई हैं। उनके लेखन, अध्यापन और शोध के मुख्य विषय हैं: 'क्रिटिकल और फैमिनिस्ट पेडागॉजी' (आलोचनात्मक और नारीवादी शिक्षणशास्त्र), बहुभाषी शिक्षण, शिक्षा में हाशिए का समावेश और ज्ञान और सीखने के सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त । ई-मेल : shivani@aud.ac.in हृदय कान्त दीवान हृदय कान्त दीवान अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बेंगलूरु में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वे अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के 'अनुवाद पहल' कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। ई-मेल: hardy@azimpremjifoundation.org मनोज कुमार मनोज कुमार अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एजुकेशन में सहायक प्राध्यापक हैं। वे विश्वविद्यालय के एम.ए. एजुकेशन प्रोग्राम के विद्यार्थियों को शिक्षा का समाजशास्त्र और राजनीतिक-अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। विश्वविद्यालय में अध्यापन के अतिरिक्त मनोज ने 'दिगन्तर' और 'रूम टू रीड आदि स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर सेवारत शिक्षक-प्रशिक्षण, बाल-साहित्य, भाषा-शिक्षण और साक्षरता के क्षेत्र में काम किया है। वे पिछले दो दशकों से शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। ई-मेल : manoj.kumar@apu.edu.in

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