AASMA FURSAT MEIN HAIN (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
MADAM MOHAN DANISH
| Language:
English
| Format:
Paperback

174

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1-4 Days

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Book Type

ISBN:
Page Extent:
132

ग़ज़ल अपने शायर को हर लम्हा रूमान में भी रखती है और इम्तिहान में भी I ग़ज़ल चाहती है कि उसका शायर हर मंज़र के होने को न सिर्फ़ तस्लीम करे|बल्कि उसे इस शिद्दत से महसूस करे कि मंज़र खुद उसे अपने पसमंज़र तक ले जाये. उसकी निगाह हैरान हो. वो देखे हुए के सरहद से आगे निकल कर उन नई सिम्तों को ईजाद करे जो उसे गुमशुदा मंज़िलों का सुराग दें I ग़ज़ल की इन ख़्वाहिशों को रूप देने के लिए मदन मोहन दानिश के तजरुबों ने उनका साथ निभाया I उनकी रचनाओं में तजरुबों के साथ-साथ आने वाले कल की तस्वीर भी तसव्वुर में झिलमिलाती है और कल को बेहतर बनाने का ख्वाब भी दिखती हैं I मदन मोहन दानिश उर्दू शायरी की दुनिया का वो नाम हैं जो अपने मख़सूस लहजे और ख़ास डिक्शन की वजह से अलग से पहचाना जाता है. मुश्किल से मुश्किल बात को भी आसानी से कह देने का कमल मदन मोहन दानिश को हासिल है. दानिश की शायरी ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ रंगों से सजा हुआ एक ऐसा कोलाज है जिसमें हर आदमी को अपना रंग नज़र आता है. यही वजह है कि दानिश की शायरी की ख़ुशबू मुल्क की सरहदों से होती हुई दुनिया के तमाम मुल्कों में फ़ैल चुकी है.

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Description

ग़ज़ल अपने शायर को हर लम्हा रूमान में भी रखती है और इम्तिहान में भी I ग़ज़ल चाहती है कि उसका शायर हर मंज़र के होने को न सिर्फ़ तस्लीम करे|बल्कि उसे इस शिद्दत से महसूस करे कि मंज़र खुद उसे अपने पसमंज़र तक ले जाये. उसकी निगाह हैरान हो. वो देखे हुए के सरहद से आगे निकल कर उन नई सिम्तों को ईजाद करे जो उसे गुमशुदा मंज़िलों का सुराग दें I ग़ज़ल की इन ख़्वाहिशों को रूप देने के लिए मदन मोहन दानिश के तजरुबों ने उनका साथ निभाया I उनकी रचनाओं में तजरुबों के साथ-साथ आने वाले कल की तस्वीर भी तसव्वुर में झिलमिलाती है और कल को बेहतर बनाने का ख्वाब भी दिखती हैं I मदन मोहन दानिश उर्दू शायरी की दुनिया का वो नाम हैं जो अपने मख़सूस लहजे और ख़ास डिक्शन की वजह से अलग से पहचाना जाता है. मुश्किल से मुश्किल बात को भी आसानी से कह देने का कमल मदन मोहन दानिश को हासिल है. दानिश की शायरी ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ रंगों से सजा हुआ एक ऐसा कोलाज है जिसमें हर आदमी को अपना रंग नज़र आता है. यही वजह है कि दानिश की शायरी की ख़ुशबू मुल्क की सरहदों से होती हुई दुनिया के तमाम मुल्कों में फ़ैल चुकी है.

About Author

8 सितम्बर 1961 को उत्तर प्रदेश के जिला बलिया के रामगढ में जन्मे मदन मोहन दानिश की ज़िन्दगी उन्हें रामगढ से भोपाल और फिर ग्वालियर तक ले आई. आजकल वे आकाशवाणी ग्वालियर में कार्यरत हैं. उन्हें कई अहम अदबी अवार्डों से नवाज़ा जा चुका है, जिनमें कुल अदबी अवदान के लिए मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी का महत्वपूर्ण अवार्ड, जयपुर का राष्ट्रीय डॉ. भगवतशरण चतुर्वेदी स्मृति सम्मान, राष्ट्रीय अनामिका साहित्य परिषद् सम्मान, राष्ट्रीय अनामिका साहित्य परिषद् सम्मान और अन्य शामिल हैं.
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