SaleHardback
Aarthik Vatavaran : Badalte Aayam
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Vandna Dangi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹700 ₹525
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
13
People watching this product now!
In stock
ISBN:
Page Extent:
352
हर किसी की इच्छा है कि एक बेहतर विश्व बने, जहाँ कंपनियाँ अपने हितधारकों से कुछ न छिपाते हुए अपने कामकाज के लिए प्रतिबद्धता लें और उनके कामकाज में पारदर्शिता हो। एक ऐसी वैश्विक अर्थव्यवस्था हो, जिसमें स्वतंत्र व्यपार संभव हो और सभी राष्ट्र एक दूसरे के व्यापारिक या आर्थिक हितों को नुकसान न पहुँचाते हुए अपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नीतियों का निर्धारण करें। आज एक राष्ट्र में हलचल होती है, तो उसकी सरसराहट दूर तक सुनाई देती है। फिर वो जापान में आई सूनामी हो या यूरो जोन क्राइसिस या फिर अमेरिकी रेटिंग का डाउनग्रेड या भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, दुनिया भर के शेयर मार्केट इस प्रकार की घटनाओं से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। यही नहीं घरेलू स्तर पर भी जो सरकारी या संस्थागत निर्णय अथवा नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं, उनका प्रभाव विभिन्न तबके के लोगों और विभिन्न आकार और क्षेत्र के उद्योगों पर अवश्य पड़ता है। इन्हीं सब समसामयिक नीतियों और ज्वलंत मुद्दों की व्याख्या करना, विवेचना करना और उन पर अपना दृष्टिकोण अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना ही लेखिका का उद्देश्य है। सभी आयु वर्ग के पाठकों को ही नहीं, समाज और उद्योग-जगत् के लोगों के लिए उपयोगी पुस्तक|
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “Aarthik Vatavaran :
Badalte Aayam” Cancel reply
Description
हर किसी की इच्छा है कि एक बेहतर विश्व बने, जहाँ कंपनियाँ अपने हितधारकों से कुछ न छिपाते हुए अपने कामकाज के लिए प्रतिबद्धता लें और उनके कामकाज में पारदर्शिता हो। एक ऐसी वैश्विक अर्थव्यवस्था हो, जिसमें स्वतंत्र व्यपार संभव हो और सभी राष्ट्र एक दूसरे के व्यापारिक या आर्थिक हितों को नुकसान न पहुँचाते हुए अपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नीतियों का निर्धारण करें। आज एक राष्ट्र में हलचल होती है, तो उसकी सरसराहट दूर तक सुनाई देती है। फिर वो जापान में आई सूनामी हो या यूरो जोन क्राइसिस या फिर अमेरिकी रेटिंग का डाउनग्रेड या भारत में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, दुनिया भर के शेयर मार्केट इस प्रकार की घटनाओं से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। यही नहीं घरेलू स्तर पर भी जो सरकारी या संस्थागत निर्णय अथवा नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं, उनका प्रभाव विभिन्न तबके के लोगों और विभिन्न आकार और क्षेत्र के उद्योगों पर अवश्य पड़ता है। इन्हीं सब समसामयिक नीतियों और ज्वलंत मुद्दों की व्याख्या करना, विवेचना करना और उन पर अपना दृष्टिकोण अपने पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना ही लेखिका का उद्देश्य है। सभी आयु वर्ग के पाठकों को ही नहीं, समाज और उद्योग-जगत् के लोगों के लिए उपयोगी पुस्तक|
About Author
डॉ. वंदना डांगी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और लिबोर्ड फाइनेंस लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र में बी.ए. (ऑनर्स) तथा प्रबंध-शास्त्र में एम.बी.ए. एवं पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय के जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज सहित अनेक प्रतिष्ठित प्रबंध संस्थानों में ‘बिजनेस एनवॉयरमेंट’, ‘मैनेजीरियल इकोनॉमिक्स’ और ‘रिसर्च मैथडोलॉजी’ आदि विषयों में अध्यापन किया है। वे जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित ‘एस.एस. नाडकर्णी मेमोरियल रिसर्च मोनोग्राफ’ तथा बी.एस.ई. ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट द्वारा प्रकाशित ‘प्राइमर ऑन कैपीटल मार्केट्स ऐंड माइक्रोइकोनॉमी’ नामक पुस्तकों में सह-लेखिका रही हैं। इसके अलावा उनके द्वारा लिखित दो अन्य पुस्तकें ‘भारतीय अर्थव्यवस्था: बदलते स्वरूप’ एवं ‘कॉर्पोरेट गर्वनेस-इमर्जिंग इश्यूज’ भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “Aarthik Vatavaran :
Badalte Aayam” Cancel reply
YOU MAY ALSO LIKE…
INDUSTRIAL RELATIONS AND LABOUR LAWS, 2ND EDN
Save: 20%
INTERNATIONAL ECONOMICS: THEORY AND POLICY, 10TH EDN
Save: 30%
The Economic History Of India 1857-2010, 4/Ed
Save: 20%
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.