SaleHardback
Mere Tuneer, Mere
Baan ₹300 ₹225
Save: 25%
Sangh, Rajneeti Aur
Media ₹400 ₹300
Save: 25%
Aapaatnama
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Manohar Puri
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Hindi, Politics/Government
Page Extent:
184
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के जख्म बड़े गहरे हैं। ‘आपातनामा’ उस काली रात की दास्तान है, जिसने उन्नीस महीने तक प्रजातंत्र के सूर्य को उगने ही नहीं दिया। सत्ता का नशा कैसे भ्रष्ट व्यक्तियों को जन्म देता है, यह ‘आपातनामा’ उपन्यास के कथानक से झलकता है। कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नौकरशाहों और नेताओं के पास बंदी बना ली गई थी। कैसे न्यायपालिका को कार्यपालिका के हाथों की कठपुतली बनाकर नचाया जा रहा था। देश में किस प्रकार से अराजक तत्त्व मनमानी करने लगे थे और किस प्रकार से तानाशाही को खुलकर खेलने का अवसर मिल रहा था, यह सब इस कथानक के मूल मुद्दे हैं। ‘आपातनामा’ में आपातकाल की हकीकत को बड़ी ही संजीदगी से मर्मस्पर्शी शैली में अभिव्यक्त किया गया है। सरकार के मौखिक आदेश लोगों पर इस कदर कहर बरसा रहे थे कि कुछ लोग अंग्रेजों के दमनचक्र से भी अधिक खौफनाक दौर से गुजरने लगे थे। सरकार की अमानुषिक एवं आतंकित कर देनेवाली गतिविधियों से बेबस, समझौतापरस्त, उदासीन जनता को लेखक ने विद्रोह-चेतना का हथौड़ा मारकर जगाया है, जिसे वह क्रांति का लघुदर्शन मानता है, ताकि संसदीय प्रजातंत्र का मजाक न बन सके, अभिव्यक्ति की आजादी कुंठित न हो और व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें।.
Be the first to review “Aapaatnama” Cancel reply
Description
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के जख्म बड़े गहरे हैं। ‘आपातनामा’ उस काली रात की दास्तान है, जिसने उन्नीस महीने तक प्रजातंत्र के सूर्य को उगने ही नहीं दिया। सत्ता का नशा कैसे भ्रष्ट व्यक्तियों को जन्म देता है, यह ‘आपातनामा’ उपन्यास के कथानक से झलकता है। कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नौकरशाहों और नेताओं के पास बंदी बना ली गई थी। कैसे न्यायपालिका को कार्यपालिका के हाथों की कठपुतली बनाकर नचाया जा रहा था। देश में किस प्रकार से अराजक तत्त्व मनमानी करने लगे थे और किस प्रकार से तानाशाही को खुलकर खेलने का अवसर मिल रहा था, यह सब इस कथानक के मूल मुद्दे हैं। ‘आपातनामा’ में आपातकाल की हकीकत को बड़ी ही संजीदगी से मर्मस्पर्शी शैली में अभिव्यक्त किया गया है। सरकार के मौखिक आदेश लोगों पर इस कदर कहर बरसा रहे थे कि कुछ लोग अंग्रेजों के दमनचक्र से भी अधिक खौफनाक दौर से गुजरने लगे थे। सरकार की अमानुषिक एवं आतंकित कर देनेवाली गतिविधियों से बेबस, समझौतापरस्त, उदासीन जनता को लेखक ने विद्रोह-चेतना का हथौड़ा मारकर जगाया है, जिसे वह क्रांति का लघुदर्शन मानता है, ताकि संसदीय प्रजातंत्र का मजाक न बन सके, अभिव्यक्ति की आजादी कुंठित न हो और व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें।.
About Author
जन्म: 2 अक्तूबर, 1944। शिक्षा: एम.ए. (राजनीति विज्ञान)। कृतित्व: प्लेटो और अरस्तू के दार्शनिक सिद्धांत, दो साम्यवादी व्यवस्थाएँ, प्राचीन यूनानी, विचारक, समकालीन भारत एवं ट्रकवाहिनी रेल व्यवस्था (समीक्षात्मक ग्रंथ), जिंदगी और जुगाड़, उन्नीस महीने (उपन्यास), अतीत की परछाइयाँ (लघु काव्य), सीप में समुद्र (कविता-संग्रह), मेरा भारत महान्, चंद बीवियों की तलाश, जूठन, रौंदकर दौडि़ए, लोकतंत्र के पाये और शतरंज के प्यादे (व्यंग्य-संग्रह), तूलिका और यूँ ही कह दिया होगा (कहानी-संग्रह) तथा सैकड़ों बाल कहानियों के रचयिता। हिंदी, अंग्रेजी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में संचार, पत्रकारिता, पर्यटन, पर्वतारोहण इत्यादि विषयों पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित। गत 45 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं अन्य अनेक प्रतिष्ठित भारतीय एवं विदेशी संचार माध्यमों में लेखन। सम्मान: हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्यकार सम्मान, रेल मंत्रालय का ‘तकनीकी-मौलिक लेखन पुरस्कार’, ‘भारतीय साहित्य रत्न सम्मान’, ‘बहुमुखी प्रतिभा रत्न’, ‘पत्रकार रत्न सम्मान’। संप्रति: बहुभाषायी समाचार एवं प्रसंग लेख सेवा एक्सप्रेस मीडिया सर्विस के राजनीतिक संपादक।.
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Aapaatnama” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
Information Infrastructures in India: The Long View
Save: 20%
HOMELAND INSECURITIES: AUTONOMY, CONFLICT, AND MIGRATION IN ASSAM
Save: 20%
Reviews
There are no reviews yet.