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Aap Hi Baniye Krishna (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Dr. Girish P. Jakhotiya
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Rajkamal
Author:
Dr. Girish P. Jakhotiya
Language:
Hindi
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Paperback

200

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SKU 9788126715039 Category
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महाभारत के चरित्रों में अकेले कृष्ण हैं, जिनका किसी न किसी रूप में प्रायः सभी चरित्रों से जुडाव रहा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सिंहासन पर विराजमान सम्राट से लेकर गली-कूचों में घूमनेवाली ग्वालिनों तक सबसे उनके स्तर पर जाकर संवाद ही नहीं कर लेते थे, उन्हें अपनी नीति और राजनीति का पोषक भी बना लेते थे। बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक देश-भर में उन्होंने जो किया और जैसे किया, उनके सिवा और कौन कर सका? अपने हर काम से वे विपक्षी को पस्त-परास्त और निरस्त्र ही नहीं कर देते थे, उसे अपना अनुरक्त भी बना लिया करते थे। अपने कारनामों के औचित्य के अदभुत-अपूर्व तर्क भी वे जुटा लिया करते थे। धरती के भविष्य को सँवारने और पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ सबको प्यार देने और सबका प्यार पाने में कृष्ण पूर्णतः सफल सिद्ध हुए। योगेश्वर कृष्ण की क्रन्तिकारी नीतियों, सफल रणनीतियों, दार्शनिक विचारों और नेतृत्व की अदभुत शैलियों को प्रबन्‍धन की दृष्टि से विवेचित-विश्लेषित करनेवाली हिन्‍दी की एक ऐसी पुस्तक, जिसे पढ़कर आप भी अपने जीवन को कृष्ण की तरह एक विजेता के रूप में ढाल सकते हैं।

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Description

महाभारत के चरित्रों में अकेले कृष्ण हैं, जिनका किसी न किसी रूप में प्रायः सभी चरित्रों से जुडाव रहा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सिंहासन पर विराजमान सम्राट से लेकर गली-कूचों में घूमनेवाली ग्वालिनों तक सबसे उनके स्तर पर जाकर संवाद ही नहीं कर लेते थे, उन्हें अपनी नीति और राजनीति का पोषक भी बना लेते थे। बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक देश-भर में उन्होंने जो किया और जैसे किया, उनके सिवा और कौन कर सका? अपने हर काम से वे विपक्षी को पस्त-परास्त और निरस्त्र ही नहीं कर देते थे, उसे अपना अनुरक्त भी बना लिया करते थे। अपने कारनामों के औचित्य के अदभुत-अपूर्व तर्क भी वे जुटा लिया करते थे। धरती के भविष्य को सँवारने और पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ सबको प्यार देने और सबका प्यार पाने में कृष्ण पूर्णतः सफल सिद्ध हुए। योगेश्वर कृष्ण की क्रन्तिकारी नीतियों, सफल रणनीतियों, दार्शनिक विचारों और नेतृत्व की अदभुत शैलियों को प्रबन्‍धन की दृष्टि से विवेचित-विश्लेषित करनेवाली हिन्‍दी की एक ऐसी पुस्तक, जिसे पढ़कर आप भी अपने जीवन को कृष्ण की तरह एक विजेता के रूप में ढाल सकते हैं।

About Author

डॉ. गिरीश पी. जाखोटिया

 

डॉ. गिरीश पी. जाखोटिया 1985 से 1999 तक ‘जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज’ (मुम्बई विश्वविद्यालय) में वित्त और रणनीति के प्रोफ़ेसर रहे हैं। वे प्रसिद्ध प्रबन्‍धन सलाहकार, लेखक और वक्‍ता भी हैं। आधा दर्जन से ज्‍़यादा किताबों की रचना की जिनमें मोनोग्राफ़ भी शामिल हैं। 'सर्वश्रेष्ठ प्रबन्धन शिक्षक पुरस्कार' सहित कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित हैं। वे टाटा जैसे कुछ प्रसिद्ध भारतीय और बहुराष्ट्रीय निगमों के अलावा ‘ब्रिटिश पेट्रोलियम’, ‘सीमेंस’, ‘महिंद्रा एंड महिंद्रा’, ‘सेसा गोवा’, ‘फिलिप्स’, ‘फ़ोर्ब्स एंड कंपनी’, ‘सेंट्रल बैंक ऑफ़ ओमान’, ‘हिन्दुस्तान यूनिलीवर’, ‘डेम्पो ग्रुप’, ‘इंडियन ऑयल’, ‘एमटीएनएल’, ‘आरपीजी ग्रुप’, ‘एलएंडटी ग्रुप’, ‘एडिडास ग्रुप’ आदि के व्यवसाय के लिए विभिन्न परामर्श-कार्य से जुड़े रहे। उनकी AGNI (Aggregate Growth with Networking and Innovation) एक पथ-ब्रेकिंग मॉडल है जो रणनीतिक योजना, प्रबन्धन नियंत्रण और वित्त को जोड़ती है। वर्तमान में वे ‘जखोटिया एंड एसोसिएट्स’, मुम्‍बई में मुख्य सलाहकार हैं।

 

सम्‍पर्क : girishjakhotiya@gmail.com

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