Aadi Turk Kaleen Bharat (1206 1290) (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Tr. : Saiyad Athar Abbas Rizvi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
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Tr. : Saiyad Athar Abbas Rizvi
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Hindi
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आदि तुर्क वंश के इस इतिहास में 1206 ई. से 1290 ई. तक समस्त प्रमुख फ़ारसी तथा अरबी इतिहास ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद है। इसमें मिनहाज सिराज की ‘तबक़ाते नासिरी’ तथा ज़ियाउद्दीन बरनी की ‘तारीख़े फ़ीरोज़शाही’ को मुख्य आधार माना गया है।
दूसरे भाग में समकालीन इतिहासकारों की कृतियों का अनुवाद है। इनमें फ़ख़रे मुदब्बिर की ‘तारीख़े फ़ख़रुद्दीन मुबारकशाह’, ‘आदाबुल हर्ब वश्शुजाअत’, सद्रे निजशमी की ‘ताजशुल मआसिर’, अमीर ख़ुसरो के ‘दीवाने वस्तुल हयात’ एवं क़ेरानुस्सादैन के संक्षिप्त तथा परमावश्यक अंशों का अनुवाद भी सम्मिलित है। बाद के भी दो प्रमुख इतिहासकारों की रचनाओं के अनुवाद किए गए हैं—एसामी की ‘फ़ुतूहुस्सलातीन’ का और अरबी में लिखी हुई इब्ने बतूता की यात्रा के वर्णन का।
मध्यकालीन भारतीय इतिहास पर प्रामाणिक रोशनी डालनेवाले इन ग्रन्थों का अनुवाद कुछ विद्वानों ने अंग्रेज़ी में भी किया था, लेकिन उनमें पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेज़ी अनुवादों में दोष रह गए हैं। इस कारण अनेक भ्रम-पूर्ण रूढ़ियों को आश्रय मिल गया है। इस प्रकार की त्रुटियों से बचने के उद्देश्य से प्रस्तुत ग्रन्थ में पारिभाषिक और मध्यकालीन वातावरण के परिचायक शब्दों को मूल रूप में ही ग्रहण किया गया है और उन शब्दों की व्याख्या पाद-टिप्पणियों में कर दी गई है।

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आदि तुर्क वंश के इस इतिहास में 1206 ई. से 1290 ई. तक समस्त प्रमुख फ़ारसी तथा अरबी इतिहास ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद है। इसमें मिनहाज सिराज की ‘तबक़ाते नासिरी’ तथा ज़ियाउद्दीन बरनी की ‘तारीख़े फ़ीरोज़शाही’ को मुख्य आधार माना गया है।
दूसरे भाग में समकालीन इतिहासकारों की कृतियों का अनुवाद है। इनमें फ़ख़रे मुदब्बिर की ‘तारीख़े फ़ख़रुद्दीन मुबारकशाह’, ‘आदाबुल हर्ब वश्शुजाअत’, सद्रे निजशमी की ‘ताजशुल मआसिर’, अमीर ख़ुसरो के ‘दीवाने वस्तुल हयात’ एवं क़ेरानुस्सादैन के संक्षिप्त तथा परमावश्यक अंशों का अनुवाद भी सम्मिलित है। बाद के भी दो प्रमुख इतिहासकारों की रचनाओं के अनुवाद किए गए हैं—एसामी की ‘फ़ुतूहुस्सलातीन’ का और अरबी में लिखी हुई इब्ने बतूता की यात्रा के वर्णन का।
मध्यकालीन भारतीय इतिहास पर प्रामाणिक रोशनी डालनेवाले इन ग्रन्थों का अनुवाद कुछ विद्वानों ने अंग्रेज़ी में भी किया था, लेकिन उनमें पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेज़ी अनुवादों में दोष रह गए हैं। इस कारण अनेक भ्रम-पूर्ण रूढ़ियों को आश्रय मिल गया है। इस प्रकार की त्रुटियों से बचने के उद्देश्य से प्रस्तुत ग्रन्थ में पारिभाषिक और मध्यकालीन वातावरण के परिचायक शब्दों को मूल रूप में ही ग्रहण किया गया है और उन शब्दों की व्याख्या पाद-टिप्पणियों में कर दी गई है।

About Author

सैयद अतहर अब्बास रिज़वी

विख्यात इतिहासविद्, सम्पादक, अनुवादक।

जन्म : सन् 1921

कृतियाँ : ‘मुस्लिम रिवाइवलिस्ट मूवमेंट्स इन नार्दर्न इंडिया इन द सिक्सटींथ एंड सेवेंटींथ सेंचुरीज़’ (1965), ‘इंटेलेक्चुअल हिस्ट्री ऑफ़ अकबर्स रेन’ (1971), ‘ए हिस्ट्री ऑफ़ सूफ़ीज्म इन इंडिया’ (दो खंड, 1978 व 1988), ‘शाह वली अल्लाह एंड हिज टाइम्स’ (1980), ‘शाह अब्दुल अज़ीज़’ (1982), ‘सोशियो-इंटेलेक्चुअल हिस्ट्री ऑफ़ द इश्ना अश्री शियाज इन इंडिया’ (दो खंड, 1986)।

अनूदित कृतियाँ : ‘मुक़द्दिमा’ (1961), ‘फतेहपुर सीकरी’ (वी.जे.ए. फ्लीन के साथ, 1975), ‘ईरान : रॉयल्टी, रिलीजन एंड रिवोल्यूशन’ (1980), ‘द वंडर दैट वाज इंडिया’ (दो खंड, 1987)।

विभिन्न पत्रिकाओं व जर्नल्स में आलेख।

निधन : 3 सितम्बर, 1994

 

 

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