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विन्सेन्ट : Vincent
Publisher:
Sambhavna Prakashan
| Author:
Irving Stone | Ashok Pande (Editor, Foreword)
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Sambhavna Prakashan
Author:
Irving Stone | Ashok Pande (Editor, Foreword)
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹650 ₹488
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Page Extent:
574
कुछ समय बाद उसकी समझ में एक बात आ गई—जिसका प्रयोग करके इन कलाकारों ने चित्रकला के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। वे अपने चित्रों की हवा को ठोस रंगों से भरा करते थे और वह जीवित, गतिमान हवा, अपने भीतर से गुज़रकर देखी जाने वाली चीज़ो को कुछ नया प्रभाव प्रदान करती थी। विन्सेन्ट जानता था कि शास्त्रीय शिक्षाविदों के लिए हवा का कोई मतलब नहीं था। उनके लिए हवा एक मृत चीज थी, जिसके भीतर वे वस्तुओं को व्यवस्थित किया करते थे। पर ये नए लोग! इन्होंने हवा को खोज लिया था। इन्होंने रोशनी, साँस, वातावरण और सूरज को खोज लिया था; वे जान गए थे कि चीज़ें हवा नाम की उस बहनेवाली चीज़ के बीच काँपती हज़ारों ताक़तों से छन कर दिखाई पड़ती हैं। विन्सेन्ट जान पाया कि चित्रकला अब वैसी नहीं रह जाएगी। फोटो मशीनें और शिक्षाविद नक़लें बनाया करेंगे; कलाकार चीज़ों को अपनी प्रकृति से छना हुआ बनाएँगे—उन्हें वे उस सूरज की रोशनी से तप्त हवा के साथ बनाएँगे, जिसके नीचे बैठकर वे काम करते हैं। उसे ऐसा लगा मानो इन चित्राकारों ने बिल्कुल नई कला की शुरुआत कर दी हो। —इसी किताब से
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Description
कुछ समय बाद उसकी समझ में एक बात आ गई—जिसका प्रयोग करके इन कलाकारों ने चित्रकला के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। वे अपने चित्रों की हवा को ठोस रंगों से भरा करते थे और वह जीवित, गतिमान हवा, अपने भीतर से गुज़रकर देखी जाने वाली चीज़ो को कुछ नया प्रभाव प्रदान करती थी। विन्सेन्ट जानता था कि शास्त्रीय शिक्षाविदों के लिए हवा का कोई मतलब नहीं था। उनके लिए हवा एक मृत चीज थी, जिसके भीतर वे वस्तुओं को व्यवस्थित किया करते थे। पर ये नए लोग! इन्होंने हवा को खोज लिया था। इन्होंने रोशनी, साँस, वातावरण और सूरज को खोज लिया था; वे जान गए थे कि चीज़ें हवा नाम की उस बहनेवाली चीज़ के बीच काँपती हज़ारों ताक़तों से छन कर दिखाई पड़ती हैं। विन्सेन्ट जान पाया कि चित्रकला अब वैसी नहीं रह जाएगी। फोटो मशीनें और शिक्षाविद नक़लें बनाया करेंगे; कलाकार चीज़ों को अपनी प्रकृति से छना हुआ बनाएँगे—उन्हें वे उस सूरज की रोशनी से तप्त हवा के साथ बनाएँगे, जिसके नीचे बैठकर वे काम करते हैं। उसे ऐसा लगा मानो इन चित्राकारों ने बिल्कुल नई कला की शुरुआत कर दी हो। —इसी किताब से
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