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Ashtavakra Ke Divya Upadesh
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परब्रह्म परमात्मा की अहैतुक कृपा एवं प्रेरणा और उनके परम ज्ञान की दैवी शक्ति माँ शारदा की दैवी अनुग्रह से सङ्कलनकर्ता ने आस्थावान, निष्ठावान, विश्वासी और श्रद्धालु भगवत्भक्तों की अभिलाषा की पूर्ति के लिए आध्यात्मिक गुरु अष्टावक्र द्वारा महाराज जनक को दिये गए दिव्य उपदेशों को जन कल्याणार्थ हिन्दीभाषी सुधी पाठकों की बोधगम्यता के पुनीत उद्देश्य से हिन्दी में सङ्कलित किया है। सङ्कलनकर्ता को पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि विजिगीषु पाठकगण लाभान्वित होंगे। पूर्ण आस्था, श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और लगन से अष्टावक्र के उपदेशों का मनसा अथवा वाचा स्वाध्याय स्वाध्यायी के आध्यात्मिक स्तरोन्त्रयन में अनिवार्यतः सफलप्रद सिद्ध होगा।
परब्रह्म परमात्मा की अहैतुक कृपा एवं प्रेरणा और उनके परम ज्ञान की दैवी शक्ति माँ शारदा की दैवी अनुग्रह से सङ्कलनकर्ता ने आस्थावान, निष्ठावान, विश्वासी और श्रद्धालु भगवत्भक्तों की अभिलाषा की पूर्ति के लिए आध्यात्मिक गुरु अष्टावक्र द्वारा महाराज जनक को दिये गए दिव्य उपदेशों को जन कल्याणार्थ हिन्दीभाषी सुधी पाठकों की बोधगम्यता के पुनीत उद्देश्य से हिन्दी में सङ्कलित किया है। सङ्कलनकर्ता को पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि विजिगीषु पाठकगण लाभान्वित होंगे। पूर्ण आस्था, श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा और लगन से अष्टावक्र के उपदेशों का मनसा अथवा वाचा स्वाध्याय स्वाध्यायी के आध्यात्मिक स्तरोन्त्रयन में अनिवार्यतः सफलप्रद सिद्ध होगा।
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