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स्मृतियों में बसा समय | SMRITIYON MEIN BASA SAMAYA
Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
CHANDRAKUMAR
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Setu Prakashan
Author:
CHANDRAKUMAR
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹140 ₹139
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3-5 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789391277338
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
104
स्मृतियों में बसा समय – चन्द्र कुमार
समय गति है, जिससे स्थायी-स्वभाव वाली स्मृति उलझती रहती है। समय और स्मृति के इसी उलझाव- सुलझाव में हमारी पहचान पोशीदा है। अज्ञेय जब कहते हैं कि ‘होना’ और ‘मैं’ दोनों स्मृति में बँधे हैं या ‘स्मरण करना’ ‘होना’ है तो सिलसिला ‘सर्वशास्त्राणं प्रथमं ब्रह्मणां स्मृतम्’ तक पहुँचता है। अर्थात् प्राचीनता के साथ नित्य नवीनता तक।
बहुत सम्भव है चन्द्रकुमार ने इसीलिए स्मृतियों को चुनना पसन्द किया हो। अक्सर/ स्मृतियाँ ही चुनता हूँ/ मैं प्रेमी से ज़्यादा/ कवि बनकर जीता हूँ।
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Description
स्मृतियों में बसा समय – चन्द्र कुमार
समय गति है, जिससे स्थायी-स्वभाव वाली स्मृति उलझती रहती है। समय और स्मृति के इसी उलझाव- सुलझाव में हमारी पहचान पोशीदा है। अज्ञेय जब कहते हैं कि ‘होना’ और ‘मैं’ दोनों स्मृति में बँधे हैं या ‘स्मरण करना’ ‘होना’ है तो सिलसिला ‘सर्वशास्त्राणं प्रथमं ब्रह्मणां स्मृतम्’ तक पहुँचता है। अर्थात् प्राचीनता के साथ नित्य नवीनता तक।
बहुत सम्भव है चन्द्रकुमार ने इसीलिए स्मृतियों को चुनना पसन्द किया हो। अक्सर/ स्मृतियाँ ही चुनता हूँ/ मैं प्रेमी से ज़्यादा/ कवि बनकर जीता हूँ।
About Author
चन्द्र कुमार एक निजी सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनी में निदेशक का कार्यभार सँभालने के साथ-साथ साहित्य और सम-सामयिक विषयों पर पठन-लेखन करते हैं। स्थानीय समाचारपत्र में युवाओं के मार्गदर्शन के लिए लम्बे समय तक स्तम्भ लेखन के साथ ही कला, संस्कृति, लोक-जीवन, शिक्षा, खेल, विज्ञान और समकालीन मुद्दों पर उनके आलेख मधुमती, नवनीत, नटरंग, उदन्ती, क, आकृति, सुजस, जनसत्ता इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
हाल ही में प्रकाशित ‘आर्टिफिशियल इण्टेलिजेन्स बनाम लेखन का भविष्य’ मधुमती और ‘तकनीकी विकास और संवेदना का संक्रान्ति काल’ नवनीत में प्रकाशित आलेखों ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है।
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