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Kahani : Aaj Ki Kahani
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Bhasha Evam Bhasha Shikshan - 3
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Mahangi Kavita
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
ओमा द अक्
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
ओमा द अक्
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹25,000 ₹18,750
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789357752787
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
352
कहते हैं, तारे गाते हैं। गहन सन्नाटा अपने खरहा -कान उठाये हुए जो वे सारी श्रुतियाँ- अनुश्रुतियाँ तारों की गायी हुई होंगी। सृष्टि की आदिलय गुँथी सुनता है, होती है उनमें-ठाह, दुगुन, चौगुन- एक लय, जिसमें किसान अपनी जुती ज़मीन पर बीज छिड़कता है, एक और लय जो बारिश की होती है और तीसरी लय, जिसमें औरतें, मंगलगान गाती हुई अक्षत-दूर्वा छिड़कती हैं नववधू पर !
ओमा जी की कविता में ये तीनों लयें अनुस्यूत हैं। जब सिद्ध मौन की उर्वर माटी पर ओमा जी अपने शब्द छिड़कते हैं, अलग-अलग स्रोतों से आये हुए शब्द-तो ये तीनों लयें घुमरीपरैया-सी खेलती जान पड़ती हैं। मूलाधार से सहस्रार तक जितने ऊर्जा वर्तुल माने गये हैं, शब्दों के मेरुदण्ड पर भी वे तीनों लयकारियाँ खेलती- नाचती हैं, इनकी कविताओं में ।
अलग-अलग स्रोतों से आये हुए शब्दों की बात मैंने की तो कुछ प्रमुख स्रोतों की चर्चा भी करती जाऊँ- पहला स्रोत तो स्वयं बनारस की गलियाँ हैं, दूसरा स्रोत आगम निगम, शास्त्र-पुराण, तीसरा स्रोत सिने जगत्, चौथा उर्दू की कालजयी कृतियाँ और पाँचवाँ राजनीतिक दंगल। कुल मिलाकर इनकी कविता विरुद्धों का सुखद सामंजस्य है- बनारस का औघड़पन, लखनऊ की नफासत, इलाहाबादी कुम्भ का दृश्य-सौष्ठव और गोरखपुर की गोरखबानी का अन्तर्नाद ।
इसी सामंजस्य के कारण इस युवा कवि की भाषा एक अलग तरह से सधुक्कड़ी ठाठ की भाषा है, एक अलग तरह की सन्ध्या-भाषा है यह, जिसमें आगरा के नज़ीर अकबराबादी की अनुगूँजें भी आ मिली हैं।
तरह-तरह के अन्तःपाठों और गहनतम जातीय स्मृतियों से महमह ये कविताएँ कभी-कभी जन गीतों का भी आस्वाद मन में जगा सकती हैं, पर कहते वे इनको ‘महँगी कविता’ हैं तो शायद इसलिए जान अरपकर जो बेखुद हासिल हो, इनकी कविता वहीं से फूटी हैं।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत लेखिका
-अनामिका
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Description
कहते हैं, तारे गाते हैं। गहन सन्नाटा अपने खरहा -कान उठाये हुए जो वे सारी श्रुतियाँ- अनुश्रुतियाँ तारों की गायी हुई होंगी। सृष्टि की आदिलय गुँथी सुनता है, होती है उनमें-ठाह, दुगुन, चौगुन- एक लय, जिसमें किसान अपनी जुती ज़मीन पर बीज छिड़कता है, एक और लय जो बारिश की होती है और तीसरी लय, जिसमें औरतें, मंगलगान गाती हुई अक्षत-दूर्वा छिड़कती हैं नववधू पर !
ओमा जी की कविता में ये तीनों लयें अनुस्यूत हैं। जब सिद्ध मौन की उर्वर माटी पर ओमा जी अपने शब्द छिड़कते हैं, अलग-अलग स्रोतों से आये हुए शब्द-तो ये तीनों लयें घुमरीपरैया-सी खेलती जान पड़ती हैं। मूलाधार से सहस्रार तक जितने ऊर्जा वर्तुल माने गये हैं, शब्दों के मेरुदण्ड पर भी वे तीनों लयकारियाँ खेलती- नाचती हैं, इनकी कविताओं में ।
अलग-अलग स्रोतों से आये हुए शब्दों की बात मैंने की तो कुछ प्रमुख स्रोतों की चर्चा भी करती जाऊँ- पहला स्रोत तो स्वयं बनारस की गलियाँ हैं, दूसरा स्रोत आगम निगम, शास्त्र-पुराण, तीसरा स्रोत सिने जगत्, चौथा उर्दू की कालजयी कृतियाँ और पाँचवाँ राजनीतिक दंगल। कुल मिलाकर इनकी कविता विरुद्धों का सुखद सामंजस्य है- बनारस का औघड़पन, लखनऊ की नफासत, इलाहाबादी कुम्भ का दृश्य-सौष्ठव और गोरखपुर की गोरखबानी का अन्तर्नाद ।
इसी सामंजस्य के कारण इस युवा कवि की भाषा एक अलग तरह से सधुक्कड़ी ठाठ की भाषा है, एक अलग तरह की सन्ध्या-भाषा है यह, जिसमें आगरा के नज़ीर अकबराबादी की अनुगूँजें भी आ मिली हैं।
तरह-तरह के अन्तःपाठों और गहनतम जातीय स्मृतियों से महमह ये कविताएँ कभी-कभी जन गीतों का भी आस्वाद मन में जगा सकती हैं, पर कहते वे इनको ‘महँगी कविता’ हैं तो शायद इसलिए जान अरपकर जो बेखुद हासिल हो, इनकी कविता वहीं से फूटी हैं।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार से पुरस्कृत लेखिका
-अनामिका
About Author
ओमा द अक् -
आध्यात्मिक विचारक ओमा द अक् का जन्म भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी में हुआ। आप शुरू से ही क्रान्तिकारी विचारधारा के रहे हैं । आपने बचपन से ही शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया था, साथ ही साथ विज्ञान और ज्योतिष में भी आपकी गहन रुचि बनी रही। आपको पारम्परिक शिक्षा पद्धति (स्कूली शिक्षा) में कभी भी रुचि नहीं रही अतः आपने बी. ए. प्रथम वर्ष उत्तीर्ण करने के पश्चात ही पढ़ाई छोड़ दी किन्तु आपका पढ़ना-लिखना कभी नहीं छूटा। आपने हज़ारों कविताएँ, सैकड़ों लेख, कुछ कहानियाँ और नाटक लिखे। आपने हिन्दी, हिन्दुस्तानी और उर्दू में अपनी अनेक रचनाएँ की हैं जिनमें से कुछ एक देश-विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपने कई लघु फ़िल्में, वृत्तचित्र और संगीत विडियोज भी बनाये है जो अलग-अलग विषयों पर हैं। आपने जे.एन.यू. समेत कई शिक्षण संस्थाओं में अनेक दार्शनिक विषयों पर छात्रों को संबोधित किया। आपकी दृष्टि मानव जीवन के अनेक पक्षों पर निरन्तर बनी रही है जिसके परिणामस्वरूप आपने कई प्रकार के आध्यात्मिक सामाजिक अभियानों का भी प्रारम्भ किया यथा अक्, चरित्र यात्रा, कैरेक्टर ट्री अवार्ड, हम भारत हैं अभियान, जागृत मतदाता मंच, भारत अगेंस्ट अब्यूज (#बा) मातृभाषा अभियान, ग्रामश्री योजना, मंदिर चलो अभियान, हरियाली काशी मतवाली काशी, चिराग़-ए-दैर सम्मान इत्यादि । आपके अनेक आध्यात्मिक सामाजिक कार्यों और ज्योतिष के क्षेत्र में आपके योगदान को देखते हुए उत्तरप्रदेश सरकार ने आपको 2016 में उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "यश भारती" प्रदान किया गया। आपकी फोटोग्राफी में भी गहरी रुचि है जिसकी एक झलक इस पुस्तक में भी है जिसका नाम है "महँगी कविता" जो आपके लेखन जीवन में प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम पुस्तक है।
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