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Lal Deewaron Ka Makan
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समकालीन कहानी लेखन में जयशंकर का विशिष्ट स्थान है। प्रख्यात कथाकार निर्मल वर्मा ने इधर लिखी जा रही कहानियों में इस विशिष्टता को रेखांकित भी किया है। जयशंकर की कहानियाँ प्रचलित मुद्राओं से पृथक् अपनी लय को बहुत ही धैर्य के साथ साधती हैं। उनके लेखन की विनम्रता, संवेदनशीलता पाठक को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है।
आलोचक मदन सोनी के शब्दों में, ‘ये एक ख़ास अनुभूति को लेकर लिखी गयी कहानियाँ हैं, उन अनुभूतियों से नितान्त अलग जो इन कहानियों में बिखरी हैं। यह कहानी होने की अनुभूति है। अनुभव, विचार या दर्शन नहीं, अनुभूति। यह बोध नहीं कि यह सारा जगत एक कहानी है बल्कि कुछ इस तरह का अहसास आसपास व्याप्त जीवन अपनी पूर्णता के लिए, अपने परिष्कार के लिए कहानी की प्रतीक्षा में हैं।’
जयशंकर की कहानियाँ पढ़ते हुए पायेंगे कि आसपास व्याप्त जीवन की पूर्णता के लिए, उसके परिष्कार के लिए बहुत ही विनम्रता के साथ वे उस प्रतीक्षित कहानी को बिसराते नहीं हैं बल्कि उसके बीचोबीच उतरते हैं…और पाठक भी ऐसे अवसर पर मात्र द्रष्टा बन खड़ा नहीं रहता बल्कि वह भी उनके साथ-साथ चलता है।
समकालीन कहानी लेखन में जयशंकर का विशिष्ट स्थान है। प्रख्यात कथाकार निर्मल वर्मा ने इधर लिखी जा रही कहानियों में इस विशिष्टता को रेखांकित भी किया है। जयशंकर की कहानियाँ प्रचलित मुद्राओं से पृथक् अपनी लय को बहुत ही धैर्य के साथ साधती हैं। उनके लेखन की विनम्रता, संवेदनशीलता पाठक को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है।
आलोचक मदन सोनी के शब्दों में, ‘ये एक ख़ास अनुभूति को लेकर लिखी गयी कहानियाँ हैं, उन अनुभूतियों से नितान्त अलग जो इन कहानियों में बिखरी हैं। यह कहानी होने की अनुभूति है। अनुभव, विचार या दर्शन नहीं, अनुभूति। यह बोध नहीं कि यह सारा जगत एक कहानी है बल्कि कुछ इस तरह का अहसास आसपास व्याप्त जीवन अपनी पूर्णता के लिए, अपने परिष्कार के लिए कहानी की प्रतीक्षा में हैं।’
जयशंकर की कहानियाँ पढ़ते हुए पायेंगे कि आसपास व्याप्त जीवन की पूर्णता के लिए, उसके परिष्कार के लिए बहुत ही विनम्रता के साथ वे उस प्रतीक्षित कहानी को बिसराते नहीं हैं बल्कि उसके बीचोबीच उतरते हैं…और पाठक भी ऐसे अवसर पर मात्र द्रष्टा बन खड़ा नहीं रहता बल्कि वह भी उनके साथ-साथ चलता है।
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