SalePaperback
Dilip Kumar: Ahadnama-e-Mohabbat
₹450 ₹338
Save: 25%
Hollywood Bollywood
₹125 ₹124
Save: 1%
Guftgoo
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
फिराक गोरखपुरी
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
फिराक गोरखपुरी
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹75 ₹74
Save: 1%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789352292158
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
160
गुफ़्तगू – फ़िराक़ गोरखपुरी –
श्री शौक़ को क़रीब तीन वर्षों पूर्व अंग्रेज़ी में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘द् स्पोक फ़िराक़’ की वजह से ख्याति मिली और वे चर्चा का विषय बने। प्रस्तुत पुस्तक उसी का हिन्दी संस्करण है। यह पुस्तक उर्दू के महान् शायर, पद्मभूषण रघुपति सहाय फ़िराक़ गोरखपुरी के बारे में उपलब्ध श्रेष्ठ सन्दर्भ-ग्रन्थों में से है। इस पुस्तक को उर्दू साहित्य में अंशदान मानते हुए इसकी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समाचार पत्रों में व्यापक रूप से चर्चा हुई। ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स’ में श्री शौक़ के बारे में एक लम्बी टिप्पणी में शामिल की गयी, क्योंकि उनकी यह पुस्तक किसी प्रख्यात हस्ती के साथ अभी तक विदित सबसे लम्बे साक्षात्कार पर आधारित है, जिसे पूरा करने में उन्हें 16 वर्ष 4 महीने लगे। प्रस्तुत हिन्दी संस्करण में मूल पुस्तक के अतिरिक्त फ़िराक़ की कुछ चुनिन्दा नज़्में, ग़ज़लें और रुबाइयाँ भी दी गयी हैं।
Be the first to review “Guftgoo” Cancel reply
Description
गुफ़्तगू – फ़िराक़ गोरखपुरी –
श्री शौक़ को क़रीब तीन वर्षों पूर्व अंग्रेज़ी में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘द् स्पोक फ़िराक़’ की वजह से ख्याति मिली और वे चर्चा का विषय बने। प्रस्तुत पुस्तक उसी का हिन्दी संस्करण है। यह पुस्तक उर्दू के महान् शायर, पद्मभूषण रघुपति सहाय फ़िराक़ गोरखपुरी के बारे में उपलब्ध श्रेष्ठ सन्दर्भ-ग्रन्थों में से है। इस पुस्तक को उर्दू साहित्य में अंशदान मानते हुए इसकी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय समाचार पत्रों में व्यापक रूप से चर्चा हुई। ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स’ में श्री शौक़ के बारे में एक लम्बी टिप्पणी में शामिल की गयी, क्योंकि उनकी यह पुस्तक किसी प्रख्यात हस्ती के साथ अभी तक विदित सबसे लम्बे साक्षात्कार पर आधारित है, जिसे पूरा करने में उन्हें 16 वर्ष 4 महीने लगे। प्रस्तुत हिन्दी संस्करण में मूल पुस्तक के अतिरिक्त फ़िराक़ की कुछ चुनिन्दा नज़्में, ग़ज़लें और रुबाइयाँ भी दी गयी हैं।
About Author
फ़िराक़ गोरखपुरी -
जन्म 28 अगस्त, 1896।
उपनाम फ़िराक़ (मूल नाम रघुपति सहाय)-(28 अगस्त 1896 - 3 मार्च 1972) उर्दू भाषा के प्रसिद्ध रचनाकार है। उनका जन्म गोरखपुर,उत्तर प्रदेश में कायस्थ परिवार में हुआ। इनका मूल नाम रघुपति सहाय था। रामकृष्ण की कहानियों से शुरुआत के बाद की शिक्षा अरबी, फारसी और अंग्रेज़ी में हुई। आंदोलन जेल से छूटने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस के दफ्तर में अवर सचिव की जगह दिला दी। बाद में नेहरू जी के यूरोप चले जाने के बाद अवर सचिव का पद छोड़ दिया। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में १९३० से लेकर 1951 तक अंग्रेज़ी के अध्यापक रहे। फ़िराक़ जी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में अध्यापक रहे। साहित्य अकादेमी सदस्य आधिकारिक सूची शायरी फ़िराक़ गोरखपुरी की शायरी में गुल-ए-नग़्मा, मश्अल, रूहे-क़ायनात, नग़्म-ए-साज, गज़ालिस्तान, शेरिस्तान, शबनमिस्तान, रूप, धरती की करवट, गुलबाग, रम्ज व क़ायनात, चिरागां, शोअला व साज, हज़ार दास्तान, बज़्में ज़िन्दगी रंगे शायरी के साथ हिंडोला, जुगनू, नकूश, आधीरात, परछाइयाँ और तरान-ए-इश्क़ जैसी ख़ूबसूरत नज़्में और सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जैसी रुबाइयों की रचना फ़िराक़ साहब ने की है। उन्होंने एक उपन्यास साधु और कुटिया और कई कहानियाँ भी लिखी हैं। उर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषा में दस गद्य कृतियाँ भी प्रकाशित हुई हैं। साहित्यिक जीवन फिराक ने अपने साहित्यिक जीवन का श्रीगणेश ग़ज़ल से किया था। अपने साहित्यिक जीवन में आरम्भिक समय में ६ दिसम्बर, 1926 को ब्रिटिश सरकार के राजनैतिक बन्दी बनाये गये। उर्दू शायरी का बड़ा हिस्सा रूमानियत, रहस्य और शास्त्रीयता से बँधा रहा है जिसमें लोकजीवन और प्रकृति के पक्ष बहुत कम उभर पाए हैं। नज़ीर अकबराबादी, इल्ताफ़ हुसैन हाली जैसे जिन कुछ शायरों ने इस रिवायत को तोड़ा है, उनमें एक प्रमुख नाम फ़िराक़ गोरखपुरी का भी है। फ़िराक़ ने परम्परागत भावबोध और शब्द-भण्डार का उपयोग करते हुए उसे नयी भाषा और नये विषयों से जोड़ा। उनके यहाँ सामाजिक दुख-दर्द व्यक्तिगत अनुभूति बनकर शायरी में ढला है। दैनिक जीवन के कड़वे सच और आने वाले कल के प्रति उम्मीद, दोनों को भारतीय संस्कृति और लोकभाषा के प्रतीकों से जोड़कर फ़िराक़ ने अपनी शायरी का अनूठा महल खड़ा किया। फारसी, हिन्दी, ब्रजभाषा और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ के कारण उनकी शायरी में भारत की मूल पहचान रच-बस गयी है। कृतियाँ गुले-नग़मा, बज़्में ज़िन्दगी रंगे-शायरी, सरगम पुरस्कार उन्हें गुले-नग़्मा के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें गुले-नग़मा के लिये 1969 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फ़िराक़ गोरखपुरी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1967 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से अलंकृत किया था।
निधन : 1982।
सुमत प्रकाश 'शौक़' -
18 जुलाई, 1930 को दिल्ली में जन्मे सुमत प्रकाश 'शौक़' एक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और शायर हैं। 1962 से आकाशवाणी दिल्ली से आपकी नज्म, ग़ज़लें और वार्ताएँ प्रसारित होती रही हैं। आपकी रचनाएँ भारत और पाकिस्तान की प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। पिछले चालीस वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े श्री 'शौक़' गत 12 वर्षों से विदेशी समाचार माध्यमों के लिए भी लिख रहे हैं।
1958-1962 के दौरान लगातार चार वर्षों तक आपकी उर्दू शायरी के लिए आपको दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1975-77 के दौरान दिल्ली प्रशासन की उर्दू सलाहकार समिति का सदस्य मनोनीत किया गया। 1987 में ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन शिमला, ने उर्दू साहित्य में अंशदान के लिए आपको 'ऑर्डर ऑफ़ पीपल्स नेशनल अवार्ड' से सम्मानित किया। 1990 में जर्मनी के ऐतिहासिक एकीकरण के अवसर पर आपको जर्मनी आमन्त्रित किया गया।
अक्तूबर 1994 में जर्मन विमान सेवा लुफ्यासा के विशेष मेहमान की हैसियत से एक अन्य यात्रा के दौरान बर्लिन में एशियन जर्मन रिफ़ाही सोसायटी ने आपका अभिनन्दन किया। आप जापान एअरलाइंस (जाल) के सहयोग से जाल फ़ाउंडेशन, तोक्यो द्वारा उर्दू और हिन्दी में आयोजित प्रथम 'जाल वर्ल्ड चिल्ड्रन हाइकू प्रतिस्पर्द्धा-1992' के निर्णायक मंडल के सदस्यों में से थे।
जून 1995 में आपने कुवैत सरकार के निमन्त्रण पर कुवैत की यात्रा की। मार्च 1996 में आपने जर्मन सरकार के निमन्त्रण पर जर्मनी की यात्रा की।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Guftgoo” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.