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Dard Jo Saha Maine (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Aasha Apraad
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Aasha Apraad
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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9788126725045
Category Hindi
Category: Hindi
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‘दर्द जो सहा मैंने…’ आशा आपराद की आत्मकथा है। ‘एक भारतीय मुस्लिम परिवार’ में जन्मी ऐसी स्त्री की गाथा जिसने बचपन से स्वयं को संघर्षों के बीच पाया। संघर्षों से जूझते हुए किस प्रकार आशा ने शिक्षा प्राप्त की, परिवार का पालन-पोषण किया, अपने घर का सपना साकार किया—यह सब इस पुस्तक के शब्द-शब्द में व्यंजित है।
अपनी माँ से लेखिका को जो कष्ट मिले, उनका विवरण पढ़कर किसी का भी मन विचलित हो सकता है। लेकिन पिता का स्नेह इस तपते रेतीले सफ़र में मरुद्यान की भाँति रहा। इस आत्मकथा में आशा आपराद ने जीवन की गहराई में जाकर और भी अनेक रिश्ते-नातों का वर्णन किया है।
सुख-दुःख, मिलन-बिछोह और अभाव-उपलब्धि के धागों से बुनी एक अविस्मरणीय आत्मकथा है ‘दर्द जो सहा मैंने…’
‘मनोगत’ में आशा आपराद ने लिखा है : “मेरी किताब सिर्फ़ ‘मेरी’ नहीं, यह तो प्रातिनिधिक स्वरूप की है, ऐसा मैं मानती हूँ। हमारा देश तो स्वतंत्र हुआ लेकिन यहाँ का इंसान ‘ग़ुलामी’ में जी रहा है। अगर यह सच न होता तो आज भी औरतों को, पिछड़े वर्ग को, ग़रीब वर्ग को अधिकार और न्याय के लिए बरसों तक झगड़ना पड़ता क्या! आज भी स्त्रियों पर अनन्त अत्याचार होते हैं। दहेज के लिए आज भी कितनों को जलना पड़ता है। बेटी पैदा होने से पहले ही उसे गर्भ में ‘मरने का’ तंत्र विकसित हो गया है। मैं चाहती हूँ, जो स्त्री-पुरुष ग़ुलामी का दर्द, अन्याय सह रहे हैं, शोषित हैं, अत्याचार में झुलस रहे हैं, उन सबको अत्याचार के विरोध में लड़ने की, मुक़ाबला करने की शक्ति प्राप्त हो, बल प्राप्त हो।”
निश्चित रूप से यह आत्मकथा प्रत्येक पाठक को प्रेरणा प्रदान करेगी।
मराठी से हिन्दी में अनुवाद स्वयं आशा आपराद ने किया है। जो अपने मराठी आस्वाद के चलते एक अद् भुत पाठकीय अनुभव प्रदान करता है।
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Description
‘दर्द जो सहा मैंने…’ आशा आपराद की आत्मकथा है। ‘एक भारतीय मुस्लिम परिवार’ में जन्मी ऐसी स्त्री की गाथा जिसने बचपन से स्वयं को संघर्षों के बीच पाया। संघर्षों से जूझते हुए किस प्रकार आशा ने शिक्षा प्राप्त की, परिवार का पालन-पोषण किया, अपने घर का सपना साकार किया—यह सब इस पुस्तक के शब्द-शब्द में व्यंजित है।
अपनी माँ से लेखिका को जो कष्ट मिले, उनका विवरण पढ़कर किसी का भी मन विचलित हो सकता है। लेकिन पिता का स्नेह इस तपते रेतीले सफ़र में मरुद्यान की भाँति रहा। इस आत्मकथा में आशा आपराद ने जीवन की गहराई में जाकर और भी अनेक रिश्ते-नातों का वर्णन किया है।
सुख-दुःख, मिलन-बिछोह और अभाव-उपलब्धि के धागों से बुनी एक अविस्मरणीय आत्मकथा है ‘दर्द जो सहा मैंने…’
‘मनोगत’ में आशा आपराद ने लिखा है : “मेरी किताब सिर्फ़ ‘मेरी’ नहीं, यह तो प्रातिनिधिक स्वरूप की है, ऐसा मैं मानती हूँ। हमारा देश तो स्वतंत्र हुआ लेकिन यहाँ का इंसान ‘ग़ुलामी’ में जी रहा है। अगर यह सच न होता तो आज भी औरतों को, पिछड़े वर्ग को, ग़रीब वर्ग को अधिकार और न्याय के लिए बरसों तक झगड़ना पड़ता क्या! आज भी स्त्रियों पर अनन्त अत्याचार होते हैं। दहेज के लिए आज भी कितनों को जलना पड़ता है। बेटी पैदा होने से पहले ही उसे गर्भ में ‘मरने का’ तंत्र विकसित हो गया है। मैं चाहती हूँ, जो स्त्री-पुरुष ग़ुलामी का दर्द, अन्याय सह रहे हैं, शोषित हैं, अत्याचार में झुलस रहे हैं, उन सबको अत्याचार के विरोध में लड़ने की, मुक़ाबला करने की शक्ति प्राप्त हो, बल प्राप्त हो।”
निश्चित रूप से यह आत्मकथा प्रत्येक पाठक को प्रेरणा प्रदान करेगी।
मराठी से हिन्दी में अनुवाद स्वयं आशा आपराद ने किया है। जो अपने मराठी आस्वाद के चलते एक अद् भुत पाठकीय अनुभव प्रदान करता है।
About Author
आशा आपराद
जन्म : 14 अप्रैल, 1952, कोल्हापुर (महाराष्ट्र)।
शिक्षा : एम.ए., बी.एड., एम.फ़िल्.।
यशवन्तराव चव्हाण कॉलेज में हिन्दी विषय की अध्यापिका रहीं।
1984 से महिला दक्षता समिति (कोरगावकर ट्रस्ट) की उपाध्यक्षा।
मुस्लिम तथा अन्य महिलाओं के जन-जागरण हेतु क़ानूनी जानकारी, साक्षरता का महत्त्व, अन्धश्रद्धा निर्मूलन, मासाबालसंगोपन आदि विषयों पर संगोष्ठी, व्याख्यान व शिविर का आयोजन।
‘मुस्लिम महिला सानक मुक्ति मोर्चा’ तथा शाहबानो आन्दोलन में सक्रिय सहभाग।
कोल्हापुर में आयोजित मुस्लिम मराठी साहित्य सम्मेलन में ‘इसनममध्ये स्त्री चे स्थान’ विषय पर आलेख वाचन।
सम्मान : ‘उर्मिलकाकी सबनीस सामाजिक पुरस्कार’, ‘लक्ष्मीबाई टिळक स्मृति प्रीत्यर्थ पुरस्कार’, ‘भैरूरसन दमाणी साहित्य पुरस्कार’, महाराष्ट्र शासन का ‘उत्कृष्ट मराठी वाङ्मय राज्य पुरस्कार’, ‘सुधासाई जोशी जी.ए. पुरस्कार’, ‘व्हिक्टर पैलेस पुरस्कार’, ‘क्रान्तिवीर तांबटकाका पुरस्कार’, ‘कोहिनूर पुरस्कार’, ‘कै. काकासाहेब गाडगिल पुरस्कार’, ‘डॉ. काशिबाई नवरंगे गौरव पुरस्कार’, साहित्य सम्राट न.चि. केळकर ग्रन्थालय मुसुंड द्वारा ‘साहित्य साधना पुरस्कार’ आदि।
निधन : 23 अगस्त, 2019
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