Tajmahal Ka Udghatan (PB)
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ताजमहल का टेंडर तो जारी हो चुका था। चीफ़ इंजीनियर गुप्ता जी की देखरेख में उनके विश्वस्त ठेकेदार भइया जी को ठेका मिलना ही था। ठेका मिला भी और घोटाले के आरोपों के बीच काम भी शुरू हो गया। किन्तु मुग़ल शासन की समस्या का अन्त नहीं। इधर औरंगजेब ने सत्ता सँभाली और उधर दारा शिकोह उसके पीछे पड़ गया। अदालत ने हस्तक्षेप किया तो औरंगजेब की ताजपोशी ही ख़तरे में पड़ गई। अब क्या औरंगजेब को भी चुनाव लड़ना पड़ेगा? ऐसी परिस्थिति में ताजमहल का उद्घाटन कैसे होगा?
ताजमहल का टेंडर तो जारी हो चुका था। चीफ़ इंजीनियर गुप्ता जी की देखरेख में उनके विश्वस्त ठेकेदार भइया जी को ठेका मिलना ही था। ठेका मिला भी और घोटाले के आरोपों के बीच काम भी शुरू हो गया। किन्तु मुग़ल शासन की समस्या का अन्त नहीं। इधर औरंगजेब ने सत्ता सँभाली और उधर दारा शिकोह उसके पीछे पड़ गया। अदालत ने हस्तक्षेप किया तो औरंगजेब की ताजपोशी ही ख़तरे में पड़ गई। अब क्या औरंगजेब को भी चुनाव लड़ना पड़ेगा? ऐसी परिस्थिति में ताजमहल का उद्घाटन कैसे होगा?
About Author
अजय शुक्ला
जन्म : 7 जुलाई, 1955
आपने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया तथा 1980 में आप भारतीय रेल यातायात सेवा में अधिकारी हुए। वर्ष 2015 में सदस्य यातायात के पद से आप सेवानिवृत्त हुए तथा अब लखनऊ में रह रहे हैं।
आपकी कृतियाँ हैं : हिन्दी में—‘दूसरा अध्याय’, ‘ताजमहल का टेंडर', ‘ताजमहल का उद्घाटन’ (नाटक); ‘प्रश्नचिह्न’, ‘प्रतिबोध’ (कविता-संग्रह)।
अंग्रेज़ी में : ‘Silent Raindrops’, ‘Philosophy of Bhagavada Gita’, ‘4 Lane Expressway to Stress Management and Happiness’, ‘E books—Yoga : Karma to Nirvana’, ‘Awakening’, ‘Muddle Management’, ‘‘My Life’ as a Ghost’, ‘Smile.’
आकाशवाणी के लिए लिखे एकमात्र नाटक ‘हम होंगे कामयाब’ के लिए आप राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
ई-मेल : ajayshukla1955@gmail.com
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