Zed Plus-(HB)
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राजनीति की निगाह में आम आदमी की कोई क़ीमत नहीं है। उसके लिए वह बस एक खिलौना है। इस उपन्यास का नायक असलम ऐसा ही एक मामूली आदमी है जो दुर्योग से राजनीति के बड़े खिलाड़ियों के हत्थे चढ़ जाता है और न सिर्फ़ अपनी छोटी-छोटी ख़ुशियों से वंचित हो जाता है, बल्कि उसे अपना जीवन तक बचाना मुश्किल हो जाता है। देश के सर्वोच्च सुरक्षा-घेरे में कसा हुआ असलम समझ नहीं पाता कि बिना माँगे मिले इस वरदान का वह क्या करे, और अन्तत: ग़ायब हो जाता है। पता नहीं कहाँ! हाल ही में चर्चित हुई फ़िल्म ‘जज़ेड प्लस’ का आधार बना यह उपन्यास जनसाधारण और शीर्ष पर आसीन सत्ताधीशों के बीच सीधे साक्षात्कार की दीर्घ बिम्ब-शृंखला है जिसमें बार-बार हमें साधारण होने के नाते अपनी निरर्थकता का गहरा आभास ही नहीं होता, मारक आघात पहुँचता है। पेंचदार, दिलचस्प और थ्रिलर उपन्यासों की-सी रफ़्तार से चलता हुआ यह उपन्यास अपनी प्रस्तुति में हिन्दी के लोकप्रिय कथा-लेखन के लिए एक गम्भीर और सरोकार-सजग प्रस्थान बिन्दु है।
राजनीति की निगाह में आम आदमी की कोई क़ीमत नहीं है। उसके लिए वह बस एक खिलौना है। इस उपन्यास का नायक असलम ऐसा ही एक मामूली आदमी है जो दुर्योग से राजनीति के बड़े खिलाड़ियों के हत्थे चढ़ जाता है और न सिर्फ़ अपनी छोटी-छोटी ख़ुशियों से वंचित हो जाता है, बल्कि उसे अपना जीवन तक बचाना मुश्किल हो जाता है। देश के सर्वोच्च सुरक्षा-घेरे में कसा हुआ असलम समझ नहीं पाता कि बिना माँगे मिले इस वरदान का वह क्या करे, और अन्तत: ग़ायब हो जाता है। पता नहीं कहाँ! हाल ही में चर्चित हुई फ़िल्म ‘जज़ेड प्लस’ का आधार बना यह उपन्यास जनसाधारण और शीर्ष पर आसीन सत्ताधीशों के बीच सीधे साक्षात्कार की दीर्घ बिम्ब-शृंखला है जिसमें बार-बार हमें साधारण होने के नाते अपनी निरर्थकता का गहरा आभास ही नहीं होता, मारक आघात पहुँचता है। पेंचदार, दिलचस्प और थ्रिलर उपन्यासों की-सी रफ़्तार से चलता हुआ यह उपन्यास अपनी प्रस्तुति में हिन्दी के लोकप्रिय कथा-लेखन के लिए एक गम्भीर और सरोकार-सजग प्रस्थान बिन्दु है।
About Author
रामकुमार सिंह
लेखक-पटकथा लेखक रामकुमार सिंह दिलचस्प क़िस्सागोई के लिए जाने जाते हैं। फतेहपुर शेखावाटी, राजस्थान के बिरानिया गाँव में किसान परिवार में पैदा हुए। राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता में नाम कमाया। पुरस्कृत हुए। कहानियाँ लिखीं। प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में छपे। कहानियों के अनुवाद दूसरी भाषाओं में हुए। कहानी-संग्रह आया। राजस्थानी फ़िल्म ‘भोभर’ की कथा, संवाद और गीत लिखे। राजकमल प्रकाशन से आए उनके उपन्यास ‘जेड प्लस’ पर इसी नाम से डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में फ़िल्म बनी। इस फ़िल्म की पटकथा और संवाद लिखे। रामगोपाल वर्मा की ‘सरकार-3’ के संवाद और ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ के कुछ गीत भी लिख चुके हैं। हाल में प्रकाशित उनका नया उपन्यास ‘सुपरस्टार की मौत’ काफी चर्चित रहा। लोक-कथाओं का दिलचस्प अन्दाज़ में पुनर्पाठ ‘बातपोश’ नाम से पॉडकास्ट करते हैं। इन दिनों मुम्बई में फ़िल्म-पटकथाओं और वेब सीरीज़ पर लगातार काम कर रहे हैं।
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