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Poorva Sandhya
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dinesh Kapoor
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dinesh Kapoor
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹400 ₹300
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In stock
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
174
अमित बोला, ‘‘कुछ खास नहीं। अभी तक तो रजाई में ही था। अब सोच रहा था, क्या करूँ!’’ विधू ने पूछा, ‘‘कॉलेज नहीं आना?’’ अमित बोला, ‘‘मन नहीं कर रहा।’’ विधू ने पूछा, ‘‘क्यों?’’ अमित बोला, ‘‘यूँ ही।’’ विधू ने पूछा, ‘‘मन क्या कर रहा है?’’ अमित बोला, ‘‘कुछ नहीं। पता नहीं क्या करने को मन कर रहा है! लगता है, आई नीड एन आऊटिंग बैडली।’’ विधू ने कहा, ‘‘दैन व्हाई डोंट यू गो?’’ अमित बोला, ‘‘आई थिंक, आई विल…।’’ फिर सहसा बोला, ‘‘तुम्हारी क्लासिक्स कब तक हैं?’’ विधू ने कहा, ‘‘क्लासिस का क्या है, खत्म हो जाएँगी।’’ अमित ने जिद की, ‘‘बताओ न!’’ विधू ने कहा, ‘‘एक बजे तक।’’ अमित बोला, ‘‘अभी 11.30 बजे हैं। डेढ़ घंटा है।’’ फिर कुछ सोचकर बोला, ‘‘क्लासिज के बाद चलो चलते हैं।’’ विधू ने पूछा, ‘‘कहाँ?’’ अमित बोला, ‘‘पता नहीं। आई रियली डोंट नो। लैट अस सी। अभी तैयार होने में एक-डेढ़ घंटा लगेगा, फिर देखते हैं। लेकिन मैं कॉलेज नहीं आऊँगा।’’ इसी उपन्यास से वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों तथा आज के परिवेश पर दृष्टि डालना पठनीय उपन्यास, जो पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच एक तादात्म्य स्थापित करने की पहल करेगा।.
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Description
अमित बोला, ‘‘कुछ खास नहीं। अभी तक तो रजाई में ही था। अब सोच रहा था, क्या करूँ!’’ विधू ने पूछा, ‘‘कॉलेज नहीं आना?’’ अमित बोला, ‘‘मन नहीं कर रहा।’’ विधू ने पूछा, ‘‘क्यों?’’ अमित बोला, ‘‘यूँ ही।’’ विधू ने पूछा, ‘‘मन क्या कर रहा है?’’ अमित बोला, ‘‘कुछ नहीं। पता नहीं क्या करने को मन कर रहा है! लगता है, आई नीड एन आऊटिंग बैडली।’’ विधू ने कहा, ‘‘दैन व्हाई डोंट यू गो?’’ अमित बोला, ‘‘आई थिंक, आई विल…।’’ फिर सहसा बोला, ‘‘तुम्हारी क्लासिक्स कब तक हैं?’’ विधू ने कहा, ‘‘क्लासिस का क्या है, खत्म हो जाएँगी।’’ अमित ने जिद की, ‘‘बताओ न!’’ विधू ने कहा, ‘‘एक बजे तक।’’ अमित बोला, ‘‘अभी 11.30 बजे हैं। डेढ़ घंटा है।’’ फिर कुछ सोचकर बोला, ‘‘क्लासिज के बाद चलो चलते हैं।’’ विधू ने पूछा, ‘‘कहाँ?’’ अमित बोला, ‘‘पता नहीं। आई रियली डोंट नो। लैट अस सी। अभी तैयार होने में एक-डेढ़ घंटा लगेगा, फिर देखते हैं। लेकिन मैं कॉलेज नहीं आऊँगा।’’ इसी उपन्यास से वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों तथा आज के परिवेश पर दृष्टि डालना पठनीय उपन्यास, जो पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच एक तादात्म्य स्थापित करने की पहल करेगा।.
About Author
दिनेश कपूर जन्म: 30 मई, 1951, दिल्ली में। शिक्षा: अंग्रेजी में एम.ए., एच.आर.डी. में एम.बी.ए., जर्नलिज्म तथा जर्मन भाषा में डिप्लोमा। कृतित्व: दस वर्ष की आयु से लेखन। अंग्रेजी में एक पुस्तक ‘दिल्ली-डाउन द एजिज’ टाइम्स ग्रुप द्वारा इसी वर्ष प्रकाशित। हिंदी तथा अंग्रेजी में कई पुस्तकें, लेख तथा कहानियाँ। रेडियो, मंच, टी.वी. पर 300 से अधिक प्रसारण। हिंदी फीचर फिल्म ‘प्यार के रंग हजार’ के निर्माता निर्देशक। कला, संस्कृति तथा प्राचीन स्मारकों पर ‘डॉक्यूमेंटरीज’ का निर्देशन। भारत में तथा पूरे विश्व में व्यापक भ्रमण। ‘हैराल्ड’ पत्र के लिए न्यूयॉर्क में विदेशी संवाददाता।.
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