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Yuddha Mein Ayodhya
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Hemant Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹900 ₹675
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In stock
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789352667536
Category Uncategorized
Category: Uncategorized
Page Extent:
48
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब, जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बदल ये तीन गुंबद राष्ट्र की स्मृति में दर्ज हैं। ये गुंबद हमारे अवचेतन में शासक बनाम शासित का मनोभाव बनाते हैं। सौ वर्षों से देश की राजनीति इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घूम रही है। आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं। सालों-साल नैरेटिव चला। पर किसी ने उसे बूझने की कोशिश नहीं की। ये सबकुछ इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घटता रहा। अब भी घट रहा है। अब हालाँकि गुंबद नहीं हैं, पर धुरी जस-की-तस है। इस धुरी की तीव्रता, गहराई और सच को पकड़ने का कोई बौद्धिक अनुष्ठान नहीं हुआ, जिसमें इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का माद्दा हो, ताकि इतिहास के तराजू पर आप सच-झूठ का निष्कर्ष निकाल सकें। उन तथ्यों से दो-दो हाथ करने के प्रामाणिक, ऐतिहासिक और वैधानिक आधार के भागी बनें|
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Description
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब, जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बदल ये तीन गुंबद राष्ट्र की स्मृति में दर्ज हैं। ये गुंबद हमारे अवचेतन में शासक बनाम शासित का मनोभाव बनाते हैं। सौ वर्षों से देश की राजनीति इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घूम रही है। आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं। सालों-साल नैरेटिव चला। पर किसी ने उसे बूझने की कोशिश नहीं की। ये सबकुछ इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घटता रहा। अब भी घट रहा है। अब हालाँकि गुंबद नहीं हैं, पर धुरी जस-की-तस है। इस धुरी की तीव्रता, गहराई और सच को पकड़ने का कोई बौद्धिक अनुष्ठान नहीं हुआ, जिसमें इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का माद्दा हो, ताकि इतिहास के तराजू पर आप सच-झूठ का निष्कर्ष निकाल सकें। उन तथ्यों से दो-दो हाथ करने के प्रामाणिक, ऐतिहासिक और वैधानिक आधार के भागी बनें|
About Author
हेमंत शर्मा जन्म और संस्कार पाया काशी में। समाज, प्रकृति, उत्सव, संस्कृति का ज्ञान यहीं हुआ। शब्द, तात्पर्य और धारणाओं की समझ भी वहीं बनी। नौकरी के लिए लखनऊ में रहे। वहीं राजनीति के बहुलवादी चरित्र, समाज परिवर्तन, सांप्रदायिकता, दलित-उभार, चुनाव संबंधी अध्ययन हुआ। पंद्रह साल तक जनसत्ता के राज्य संवाददाता रहने के बाद दो साल हिंदुस्तान, लखनऊ में संपादकी की। फिर लंबे अर्से तक टीवी पत्रकारिता । अब दिल्लीवास। लेकिन बनारस भी छूटा नहीं। अयोध्या आंदोलन को काफी करीब से देखा। ताला खुलने से लेकर ध्वंस तक की हर घटना की रिपोर्टिंग के लिए अयोध्या में मौजूद इकलौते पत्रकार। | व्यवस्थित पढ़ाई के नाम पर बी.एच.यू. से हिंदी में डॉक्टरेट। लिखाई में समकालीन अखबारी दुनिया में कलम घिसी। कितना लिखा? गिनना मुश्किल है। गिनने की रुचि भी कभी नहीं रही। भारतेंदु समग्र का संपादन जरूर याद है। कैलास-मानसरोवर की अंतर्यात्रा कराती पुस्तक द्वितीयोनास्ति' बहुचर्चित । व्यक्ति, समाज, समय, उत्सव, मौसम पर केंद्रित किताब 'तमाशा मेरे आगे' बहुपठित। । राजनीति, समाज, परंपरा को समझने और पढ़ने का क्रम अब भी अनवरत जारी। पहले लेखन को गुजर-बसर का सहारा माना, अब जीवन जीने का। संपर्क: जी-180, सेक्टर-44, नोएडा।
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