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YAH PREMCHAND HAIN

Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
APOORVANAND
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
APOORVANAND
Language:
Hindi
Format:
Hardback

694

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3-5 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789389830897 Category
Category:
Page Extent:
406

प्रेमचंद का पूरा साहित्य मनुष्यता की संभावना के ऐसे प्रमाणों का दस्तावेज है। इंसान हुआ जा सकता है, इंसाफ की आवाज़ सुनी जा सकती है, मोहब्बत मुमकिन है और बहुत मुश्किल नहीं, अगर कोशिश की जाए। मनुष्यता का यह अभ्यास करना ही होगा और उस अभ्यास में हमें हौसला बँधाते हमारे बगल में हमेशा प्रेमचंद खड़े मिलेंगे।

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Description

प्रेमचंद का पूरा साहित्य मनुष्यता की संभावना के ऐसे प्रमाणों का दस्तावेज है। इंसान हुआ जा सकता है, इंसाफ की आवाज़ सुनी जा सकती है, मोहब्बत मुमकिन है और बहुत मुश्किल नहीं, अगर कोशिश की जाए। मनुष्यता का यह अभ्यास करना ही होगा और उस अभ्यास में हमें हौसला बँधाते हमारे बगल में हमेशा प्रेमचंद खड़े मिलेंगे।

About Author

आलोचना अपूर्वानंद का व्यसन है। आलोचना अपने व्यापक अर्थ और आशय में । आलोचना का लक्ष्य पूरा मानवीय जीवन है, साहित्य जिसकी एक गतिविधि है। इसलिए शिक्षा, संस्कृति और राजनीति की आलोचना के बिना साहित्य की आलोचना संभव नहीं। लेखक के साहित्यिक आलोचनात्मक निबंधों के दो संकलन, ‘सुंदर का स्वप्न’ और ‘साहित्य का एकांत’, ‘यह प्रेमचंद हैं’ प्रकाशित हैं। कुछ समय तक आलोचना’ पत्रिका का संपादन।

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