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YAH PREMCHAND HAIN
Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
APOORVANAND
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
APOORVANAND
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9789389830897
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
406
प्रेमचंद का पूरा साहित्य मनुष्यता की संभावना के ऐसे प्रमाणों का दस्तावेज है। इंसान हुआ जा सकता है, इंसाफ की आवाज़ सुनी जा सकती है, मोहब्बत मुमकिन है और बहुत मुश्किल नहीं, अगर कोशिश की जाए। मनुष्यता का यह अभ्यास करना ही होगा और उस अभ्यास में हमें हौसला बँधाते हमारे बगल में हमेशा प्रेमचंद खड़े मिलेंगे।
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Description
प्रेमचंद का पूरा साहित्य मनुष्यता की संभावना के ऐसे प्रमाणों का दस्तावेज है। इंसान हुआ जा सकता है, इंसाफ की आवाज़ सुनी जा सकती है, मोहब्बत मुमकिन है और बहुत मुश्किल नहीं, अगर कोशिश की जाए। मनुष्यता का यह अभ्यास करना ही होगा और उस अभ्यास में हमें हौसला बँधाते हमारे बगल में हमेशा प्रेमचंद खड़े मिलेंगे।
About Author
आलोचना अपूर्वानंद का व्यसन है। आलोचना अपने व्यापक अर्थ और आशय में । आलोचना का लक्ष्य पूरा मानवीय जीवन है, साहित्य जिसकी एक गतिविधि है। इसलिए शिक्षा, संस्कृति और राजनीति की आलोचना के बिना साहित्य की आलोचना संभव नहीं। लेखक के साहित्यिक आलोचनात्मक निबंधों के दो संकलन, ‘सुंदर का स्वप्न’ और ‘साहित्य का एकांत’, ‘यह प्रेमचंद हैं’ प्रकाशित हैं। कुछ समय तक आलोचना’ पत्रिका का संपादन।
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