Wah Barah (PB)

Publisher:
REMADHAV
| Author:
R_SANDEEP ROY
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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REMADHAV
Author:
R_SANDEEP ROY
Language:
Hindi
Format:
Hardback

198

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अपनी ​फिल्मों के जरिये पूरी दुनिया में असाधारण शोहरत हासिल करनेवाले सत्यजित राय ने अपने लेखन से भी अपार लोकप्रियता हासिल की।
अपनी अति व्यस्तता के बावजूद उन्होंने बांग्ला भाषा में जिस विपुल परिमाण में साहित्य लेखन किया, वह किसी को भी विस्मित कर सकता है। अपने पितामह उपेन्द्र किशोर रायचौधरी और पिता सुकुमार राय की तरह किशोरों के लिए साहित्य-सृजन की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जासूस फेलूदा, वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु और बातूनी तारिणी चाचा जैसे नायाब पात्रों को साकार किया। यथार्थ और कल्पना तथा लौकिक और अलौकिक के मेल से उन्होंने दर्जनों ऐसे पात्रों और प्रसंगों को अपनी कहानियों में जीवन्त किया, जिन्हें भुला पाना असम्भव है।
सत्यजित राय की कहानियाँ अकल्पनीय रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं, पर ये कहानियाँ परम्परागत रहस्य-रोमांच की कहानियों से बिलकुल भिन्न एक नई भाव-भूमि, एक नए संसार से साक्षात्कार कराती हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ हमारी जानी-पहचानी जगहों और लोगों के बीच से ही कुछ ऐसा उद्घाटित करती हैं जो हमें रोमांचित कर देता है और हमारी कल्पनाशीलता को नई गति प्रदान करता है।
‘वाह बारह’ में सत्यजित राय के लेखन की तमाम रंगतों की बानगी पेश करने वाली एक दर्जन चुनिन्दा कहानियाँ संकलित हैं, जिन्हें पढ़ना निश्चय ही एक अविस्मरणीय अनुभव से गुजरना होगा।

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Description

अपनी ​फिल्मों के जरिये पूरी दुनिया में असाधारण शोहरत हासिल करनेवाले सत्यजित राय ने अपने लेखन से भी अपार लोकप्रियता हासिल की।
अपनी अति व्यस्तता के बावजूद उन्होंने बांग्ला भाषा में जिस विपुल परिमाण में साहित्य लेखन किया, वह किसी को भी विस्मित कर सकता है। अपने पितामह उपेन्द्र किशोर रायचौधरी और पिता सुकुमार राय की तरह किशोरों के लिए साहित्य-सृजन की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जासूस फेलूदा, वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु और बातूनी तारिणी चाचा जैसे नायाब पात्रों को साकार किया। यथार्थ और कल्पना तथा लौकिक और अलौकिक के मेल से उन्होंने दर्जनों ऐसे पात्रों और प्रसंगों को अपनी कहानियों में जीवन्त किया, जिन्हें भुला पाना असम्भव है।
सत्यजित राय की कहानियाँ अकल्पनीय रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं, पर ये कहानियाँ परम्परागत रहस्य-रोमांच की कहानियों से बिलकुल भिन्न एक नई भाव-भूमि, एक नए संसार से साक्षात्कार कराती हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ हमारी जानी-पहचानी जगहों और लोगों के बीच से ही कुछ ऐसा उद्घाटित करती हैं जो हमें रोमांचित कर देता है और हमारी कल्पनाशीलता को नई गति प्रदान करता है।
‘वाह बारह’ में सत्यजित राय के लेखन की तमाम रंगतों की बानगी पेश करने वाली एक दर्जन चुनिन्दा कहानियाँ संकलित हैं, जिन्हें पढ़ना निश्चय ही एक अविस्मरणीय अनुभव से गुजरना होगा।

About Author

सत्यजित राय 

2 मई, 1921 को गड़पार रोड, दक्षिणी कलकत्ता (बंगाल) में जन्म। पिता सुकुमार राय एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। पाँच साल की आयु में माँ सुप्रभा राय के साथ भवानीपुर में नाना के घर जाकर रहने लगे। सन् 1936 में बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया।

बांग्ला फ़िल्मों के अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त निदेशक होने के साथ-साथ उच्च कोटि के संगीतकार, चित्रकार, छायाकार, पत्रकार और लेखक। बच्चों के लिए विशेष तौर पर काम किया है।

'पथेर पांचाली' उनकी विश्वप्रसिद्ध बांग्ला फ़िल्म है। हिन्दी सिनेमा को भी उन्होंने ‘सद्गति’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फ़िल्में दीं। अपनी कला-मर्मज्ञता के कारण वे कई उच्चस्तरीय राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय समितियों के पदाधिकारी रहे। ऑस्कर समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 23 अप्रैल, 1992

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