Tata : Ek Carporate Brand Ka Vikas

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Morgen Witzel
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Morgen Witzel
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Hindi
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Hardback

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272

टाटा एक कॉरपोरेट ब्रांड का विकास—मॉर्गन विट्ज़ेल जगुआर लैंड रोवर तथा कोरस स्टील समेत कई हाई प्रोफाइल अधिग्रहणों की श्रृंखला और विश्‍व की 1 लाख रुपए की पहली कार ‘नैनो’ के लॉञ्च होने से भारत का सबसे पुराना और सर्वाधिक सम्मानित कॉरपोरेट ब्रांड हमारी विचारधारा बदलने को तैयार है। इस्पात, चाय, रसायन, संचार और सॉफ्टवेयर समेत तमाम क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति के साथ टाटा अब वल्र्ड ब्रांड वैल्यूएशन लीग* में 65वें नंबर पर आ गया है और अब सच्चे अर्थों में अंतरराष्‍ट्रीय ब्रांड बनने के कगार पर है।

लेकिन असल में टाटा ब्रांड क्या है? इसके मूल्य क्या हैं? भारत और विश्‍व में लोगों की इसके बारे में क्या राय है? इस रोचक और सूचनाप्रद पुस्तक में मॉर्गन विट्ज़ेल ने टाटा इंटरप्राइजेज की तह में जाने की कोशिश की है।

इसके आरंभ, प्रतिष्‍ठा और छवि के विकास तथा इस छवि के शक्‍तिशाली एवं मूल्यवान ब्रांड में रूपांतरण के बारे में बताया गया है। ‘टाटा : एक कॉरपोरेट ब्रांड का विकास’ टाटा के मानदंडों की तह तक जाती है और टाटा समूह तथा भारतीय जनता के बीच उन अद्वितीय संबंधों की तलाश करती है, जो सफल कारोबार की उपलब्धियों से लेकर इसके कर्मचारियों के लिए तथा उससे भी आगे समाज के लिए योगदान तक जाते हैं।

अंत में, यह पुस्तक सवाल भी करती है कि टाटा के अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में उतरने से इसकी प्रतिष्‍ठा को किस रूप में देखा-समझा जाएगा। चाहे आप उद्यमी हों, मैनेजर हों, मार्केटर हों या टाटा के निष्‍ठावान सदस्य, यह पुस्तक आप सभी को इस ब्रांड के टिकाऊपन को समझने में मदद करेगी और अंतरराष्‍ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसके मूल्यों से आपको प्रेरित करेगी। * स्रोत : मार्च 2010 में प्रकाशित ब्रांड फाइनेंस ग्लोबल 500 की रिपोर्ट

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टाटा एक कॉरपोरेट ब्रांड का विकास—मॉर्गन विट्ज़ेल जगुआर लैंड रोवर तथा कोरस स्टील समेत कई हाई प्रोफाइल अधिग्रहणों की श्रृंखला और विश्‍व की 1 लाख रुपए की पहली कार ‘नैनो’ के लॉञ्च होने से भारत का सबसे पुराना और सर्वाधिक सम्मानित कॉरपोरेट ब्रांड हमारी विचारधारा बदलने को तैयार है। इस्पात, चाय, रसायन, संचार और सॉफ्टवेयर समेत तमाम क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति के साथ टाटा अब वल्र्ड ब्रांड वैल्यूएशन लीग* में 65वें नंबर पर आ गया है और अब सच्चे अर्थों में अंतरराष्‍ट्रीय ब्रांड बनने के कगार पर है।

लेकिन असल में टाटा ब्रांड क्या है? इसके मूल्य क्या हैं? भारत और विश्‍व में लोगों की इसके बारे में क्या राय है? इस रोचक और सूचनाप्रद पुस्तक में मॉर्गन विट्ज़ेल ने टाटा इंटरप्राइजेज की तह में जाने की कोशिश की है।

इसके आरंभ, प्रतिष्‍ठा और छवि के विकास तथा इस छवि के शक्‍तिशाली एवं मूल्यवान ब्रांड में रूपांतरण के बारे में बताया गया है। ‘टाटा : एक कॉरपोरेट ब्रांड का विकास’ टाटा के मानदंडों की तह तक जाती है और टाटा समूह तथा भारतीय जनता के बीच उन अद्वितीय संबंधों की तलाश करती है, जो सफल कारोबार की उपलब्धियों से लेकर इसके कर्मचारियों के लिए तथा उससे भी आगे समाज के लिए योगदान तक जाते हैं।

अंत में, यह पुस्तक सवाल भी करती है कि टाटा के अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में उतरने से इसकी प्रतिष्‍ठा को किस रूप में देखा-समझा जाएगा। चाहे आप उद्यमी हों, मैनेजर हों, मार्केटर हों या टाटा के निष्‍ठावान सदस्य, यह पुस्तक आप सभी को इस ब्रांड के टिकाऊपन को समझने में मदद करेगी और अंतरराष्‍ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसके मूल्यों से आपको प्रेरित करेगी। * स्रोत : मार्च 2010 में प्रकाशित ब्रांड फाइनेंस ग्लोबल 500 की रिपोर्ट

About Author

मॉर्गन विट्ज़ेल यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर बिजनेस स्कूल के मानद सीनियर फेला तथा व्रिथ्रॉप ग्रुप ऑफ बिजनेस हिस्टॉरियंस के सीनियर कंसल्टेंट हैं। बिजनेस व मैनेजमेंट पर उनकी 15 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘मैनेजमेंट हिस्ट्री’, ‘डूइंग बिजनेस इन चाइना’ तथा ‘बी योर ओन मैनेजमेंट गुरु’ बेस्टसेलर्स हैं। उनके लेख व समीक्षाएँ नियमित रूप से ‘फाइनेंशियल टाइम्स’, ‘स्मार्ट मैनेजर’, ‘फाइनेंशियल वर्ल्ड’ तथा अन्य अनेक विश्‍व प्रसिद्ध जर्नल्स व पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।

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