Tat Ki Khoj

Publisher:
Vani prakashan
| Author:
Harishankar Parsai
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback

94

Save: 1%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789350000571 Categories , Tags ,
Categories: ,
Page Extent:
108

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Tat Ki Khoj”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Author

हरिशंकर परसाई

22 अगस्त, 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में जन्मे हरिशंकर पारसाई का आरंभिक जीवन कठिन संघर्ष का रहा । पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. किया और फिर 'डिप्लोमा इन टीचिंग' का कोर्स भी ।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं -- हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे (कहानी-संग्रह); रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज (उपन्यास); तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, वैष्णव की फिसलन, पगडंडियों का ज़माना, शिकायत मुझे भी है, सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम इक उम्र से वाकिफ  हैं, जाने -पहचाने लोग, कहत कबीर, ठिठुरता हुआ गणतंत्र (व्यंग्य निबंध-संग्रह); पूछो परसाई से (साक्षात्कार)।

‘परसाई रचनावली’ शीर्षक से छह खंडों में आपकी सभी रचनाएँ संकलित हैं ।

आपकी रचनाओं के अनुवाद लगभग सभी भारतीय भाषाओँ और अंग्रेजी में हुए हैं ।

आपको केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार, मध्य प्रदेश के शिखर सम्मान आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।

निधन : 10 अगस्त, 1995

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Tat Ki Khoj”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED