SaleHardback
Shreshtha Schooli Geet
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Mayaram Patang
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹500 ₹375
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Academics, Hindi
Page Extent:
2
छात्रों का सामाजिक-सांस्कृतिक विकास हो, वे अपनी संस्कृति एवं जीवन-मूल्यों को जानें, इसलिए विद्यालयों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गीत, नृत्य, नाटक, वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आदि प्रमुख हैं। प्रायः विद्यालय स्तर पर एक ऐसी उपादेय पुस्तक का अभाव सदैव खटकता रहा है, जो विद्यालय में मनाए जानेवाले उत्सवों की जानकारी तथा उनसे संबंधित गीत एवं कविताओं आदि की सामग्री प्रदान कर सके। प्रस्तुत पुस्तक में छात्रों के नैतिक उत्थान को ध्यान में रखकर पर्व-त्योहार तथा जयंतियों के अनुसार कुछ गीत, कविताएँ आदि संकलित की गई हैं। इन गीतों में संदेश है, संस्कार है और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना का बीज भी। आपसी सौहार्द, देशभक्ति एवं सामाजिकता का जज्बा पैदा करनेवाले ये चुने हुए गीत विद्यार्थियों, अध्यापकों एवं अभिभावकों—सभी को पसंद आएँगे।
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Description
छात्रों का सामाजिक-सांस्कृतिक विकास हो, वे अपनी संस्कृति एवं जीवन-मूल्यों को जानें, इसलिए विद्यालयों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गीत, नृत्य, नाटक, वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आदि प्रमुख हैं। प्रायः विद्यालय स्तर पर एक ऐसी उपादेय पुस्तक का अभाव सदैव खटकता रहा है, जो विद्यालय में मनाए जानेवाले उत्सवों की जानकारी तथा उनसे संबंधित गीत एवं कविताओं आदि की सामग्री प्रदान कर सके। प्रस्तुत पुस्तक में छात्रों के नैतिक उत्थान को ध्यान में रखकर पर्व-त्योहार तथा जयंतियों के अनुसार कुछ गीत, कविताएँ आदि संकलित की गई हैं। इन गीतों में संदेश है, संस्कार है और समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना का बीज भी। आपसी सौहार्द, देशभक्ति एवं सामाजिकता का जज्बा पैदा करनेवाले ये चुने हुए गीत विद्यार्थियों, अध्यापकों एवं अभिभावकों—सभी को पसंद आएँगे।
About Author
आचार्य मायाराम ‘पतंग’ जन्म: 26 जनवरी, 1940 को जिला बुलंदशहर के गुलावठी कस्बे के निकट ग्राम नवादा में। शिक्षा: प्रभाकर, साहित्य-रत्न साहित्याचार्य, बी.ए., एम.ए., शिक्षाशास्त्री के साथ-साथ होम्योपैथी और आयुर्वेद में भी उपाधि प्राप्त। सन् 1958 में प्राथमिक शिक्षक के नाते सरकारी सेवा में लगे। दिल्ली राज्य तथा हिंदी अकादमी की ओर से श्रेष्ठ शिक्षक के नाते सम्मानित। कृतित्व: पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाओं के अतिरिक्त अन्य प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘गुंजन’, ‘उद्गम’ तथा ‘तीन सौ गीत’ (पद्य पुस्तकें); ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘गीतमाला’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘चहकीं चिडि़याँ’; ‘पढ़ें नर-नार मिटे अँधियार’, ‘अच्छे बच्चे: सीधे सच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘सदाचार सोपान’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’, ‘शिक्षक कैसे हों’, ‘बच्चे कैसे हों’, ‘अभिभावक कैसे हों’, ‘व्याकरण भारती’ (एक से छठे भाग तक), ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘भजन मंजरी’ (संपादित), ‘प्रौढ़ शिक्षा गीत’, ‘साक्षरता जिंदाबाद’, ‘ध्येय दीप’ (गद्य पुस्तकें)।.
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