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SETU SAMAGRA : VISHNU KHARE
Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
VISHNU KHARE
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
VISHNU KHARE
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹1,030 ₹773
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In stock
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3-5 Days
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ISBN:
SKU
9788194047087
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
544
विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे। इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण है। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति, वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है।
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Description
विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे। इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण है। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति, वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है।
About Author
जन्म: 9 फरवरी, 1940, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) निधन : 19 सितंबर, 2018 शिक्षा : क्रिश्चियन कॉलेज, इंदौर से 1963 में अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.। प्रकाशित कृतियाँ : ‘खुद अपनी आँख से’, ‘पिछला बाकी’, ‘सब की आवाज के पर्दे में’, ‘काल और अवधि के दरमियान’, ‘लालटेन जलाना’, ‘कवि ने कहा’, ‘पाठांतर’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ एवं और अन्य कविताएँ। अशोक वाजपेयी द्वारा पहचान’ सीरीज (1970) की शुरुआत ‘विष्णु खरे की बीस कविताएँ’ से। मरु-प्रदेश और अन्य कविताएँ (टी.एस. एलियट की कविताओं का अनुवाद), गोएठे का काव्य-नाटक ‘फाउस्ट’, फ़िनी महाकाव्य ‘कालेवाला’, एस्टोनियाई महाकाव्य ‘कलेवीपोएग’, डच उपन्यासकार-द्वय सेस नोटेबोम और हरी मूलिश की कृतियों का अनुवाद। लोठार लुत्से के साथ हिंदी कविता के जर्मन अनुवाद ‘डेअर ओक्सेनकरेन’ का संपादन। नवभारत टाइम्स में सैकड़ों संपादकीय, लेख, फिल्म समीक्षाएँ, अंग्रेजी में दिपायनियर, दि हिंदुस्तान टाइम्स, फ्रंटलाइन में फिल्म तथा साहित्य पर लेखन। पुरस्कार : फिनलैंड का राष्ट्रीय ‘नाइट ऑफ दि ऑर्डर ऑफ दि व्हाइट रोज’ सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, शिखर सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्य सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान।
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