Samyak-sambuddha

Publisher:
Voice of India
| Author:
Sita Ram Goel (1921-2003)
| Language:
English
| Format:
Paperback
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Voice of India
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Sita Ram Goel (1921-2003)
Language:
English
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Paperback

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132

“सम्यक-सम्बुद्ध” नामक पुस्तक जो सीता राम गोयल जी द्वारा लिखी गई है, एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो बौद्ध धर्म और उसके महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित है। इस पुस्तक में, ग्रंथकार ने बौद्ध धर्म के इतिहास, तत्त्व, और महत्व को विस्तार से व्याख्यान किया है और इसे व्यापक दृष्टिकोण से समझाया है।
“सम्यक-सम्बुद्ध” एक गहरे अध्ययन के परिणामस्वरूप है, जो हमें बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों, इतिहास, और उसके प्रमुख विचारों को समझने में मदद करती है। यह पुस्तक बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहरे अध्ययन करती है और इसे समझने में मदद करती है कि इस धर्म का महत्व क्या है और इसका भारतीय समाज पर कैसा प्रभाव होता है। “सम्यक-सम्बुद्ध” सीता राम गोयल जी की महत्वपूर्ण लेखनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और धर्म और दर्शन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन है।

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Description

“सम्यक-सम्बुद्ध” नामक पुस्तक जो सीता राम गोयल जी द्वारा लिखी गई है, एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो बौद्ध धर्म और उसके महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित है। इस पुस्तक में, ग्रंथकार ने बौद्ध धर्म के इतिहास, तत्त्व, और महत्व को विस्तार से व्याख्यान किया है और इसे व्यापक दृष्टिकोण से समझाया है।
“सम्यक-सम्बुद्ध” एक गहरे अध्ययन के परिणामस्वरूप है, जो हमें बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों, इतिहास, और उसके प्रमुख विचारों को समझने में मदद करती है। यह पुस्तक बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहरे अध्ययन करती है और इसे समझने में मदद करती है कि इस धर्म का महत्व क्या है और इसका भारतीय समाज पर कैसा प्रभाव होता है। “सम्यक-सम्बुद्ध” सीता राम गोयल जी की महत्वपूर्ण लेखनी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और धर्म और दर्शन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन है।

About Author

Sita Ram Goel (16 October 1921 – 3 December 2003) was an Indian religious and political activist, writer and publisher in the late twentieth century. He had Marxist leanings during the 1940s, but later became an outspoken anti-communist and also wrote extensively on the damage to Indian culture and heritage wrought by expansionist Islam and missionary activities of Christianity. In his later career he emerged as a commentator on Indian politics, and adhered to Hindu nationalism.

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