Samay Ka Lekh

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Saryu Roy
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Saryu Roy
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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232

सरयू राय और उनके लेखन से परिचय 1980 के दशक में हुआ, जब हम ‘जनमत’ के लिए काम करते थे और ‘रविवार’ में लिखा करते थे। पठन-पाठन और भ्रष्टाचार की खबरों—कृषि, सहकारिता, सिंचाई को लेकर पत्रकारों को रायजी खूब फीड भी किया करते थे। ऐसे में उनके साथ पत्रकारों की खूब बनती थी। ढेर सारे अग्रज उनके मित्र थे। आज लगता है, रायजी अगर पॉलिटिकल क्षेत्र में नहीं गए होते तो एक अकादमिक रिसर्चर होते। उन्होंने द्वितीय सिंचाई आयोग में बिहार की नदियों पर गंभीर कार्य कराया। वे एक बौद्धिक मिजाज के आदमी हैं। यों तो इस पुस्तक में 1990 के बाद की उनकी रचनाएँ हैं, लेकिन दरअसल उनका नियमित लेखन 1985 के बाद से है। हालाँकि लेखन में वे सक्रिय तो 1980 के दशक के पूर्व जनता पार्टी के बनने और उसके बाद से ही थे। तब से 1980-90 के बाद वे सत्ताधारी कांग्रेस के खिलाफ पत्रकारों के साथ लगातार सक्रिय रहे। 1986 में हिंदुस्तान-नवभारत टाइम्स आने के बाद पत्रकारों की फौज भी पटना में बढ़ गई थी। पत्रकार-जीवन और उसके बाद के समस्यापरक लेखों का संग्रह है यह पुस्तक। —श्रीकांत वरिष्ठ पत्रकार एवं निदेशक, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना.

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Description

सरयू राय और उनके लेखन से परिचय 1980 के दशक में हुआ, जब हम ‘जनमत’ के लिए काम करते थे और ‘रविवार’ में लिखा करते थे। पठन-पाठन और भ्रष्टाचार की खबरों—कृषि, सहकारिता, सिंचाई को लेकर पत्रकारों को रायजी खूब फीड भी किया करते थे। ऐसे में उनके साथ पत्रकारों की खूब बनती थी। ढेर सारे अग्रज उनके मित्र थे। आज लगता है, रायजी अगर पॉलिटिकल क्षेत्र में नहीं गए होते तो एक अकादमिक रिसर्चर होते। उन्होंने द्वितीय सिंचाई आयोग में बिहार की नदियों पर गंभीर कार्य कराया। वे एक बौद्धिक मिजाज के आदमी हैं। यों तो इस पुस्तक में 1990 के बाद की उनकी रचनाएँ हैं, लेकिन दरअसल उनका नियमित लेखन 1985 के बाद से है। हालाँकि लेखन में वे सक्रिय तो 1980 के दशक के पूर्व जनता पार्टी के बनने और उसके बाद से ही थे। तब से 1980-90 के बाद वे सत्ताधारी कांग्रेस के खिलाफ पत्रकारों के साथ लगातार सक्रिय रहे। 1986 में हिंदुस्तान-नवभारत टाइम्स आने के बाद पत्रकारों की फौज भी पटना में बढ़ गई थी। पत्रकार-जीवन और उसके बाद के समस्यापरक लेखों का संग्रह है यह पुस्तक। —श्रीकांत वरिष्ठ पत्रकार एवं निदेशक, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना.

About Author

सरयू राय जन्म: 11 जुलाई, 1949 को बिहार के शाहाबाद (बक्सर) जिले के गाँव खनीता में। शिक्षा: स्नातक पटना साइंस कॉलेज से और स्नातकोत्तर (भौतिकी) पटना विश्वविद्यालय। कृतित्व: राजनीति, लेखन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में लगातार सक्रिय। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् एवं बिहार छात्र-जन आंदोलन में सक्रियता। आपातकाल के दौरान भूमिगत कार्य एवं भूमिगत पत्रिका ‘लोकवाणी’ के संपादन एवं प्रसार में सहयोग। 1977 में जनता युवा मोरचा, बिहार के संगठन मंत्री के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में कार्य। 1980 से 1984 के बीच बिहार प्रदेश जनता पार्टी के महामंत्री। 1984 से 1992 तक सक्रिय राजनीति से इतर जे.पी. विचार मंच, खेतिहर मंच, सोन अंचल किसान संघर्ष समिति आदि जन-संगठनों के माध्यम से सामाजिक कार्य एवं स्वतंत्र पत्रकारिता। मासिक पत्रिका ‘कृषि बिहार’ का संपादन। बिहार भाजपा के प्रदेश महामंत्री, प्रदेश प्रवक्ता एवं वनांचल क्षेत्र समिति प्रभारी। दामोदर बचाओ आंदोलन, जल जागरूकता अभियान, स्वर्णरेखा प्रदूषण मुक्ति अभियान, सारंडा संरक्षण अभियान, सोन अंचल विकास समिति, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा संगठन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण एवं गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में सक्रियता। संप्रति: 1998 से 2004 तक बिहार विधान परिषद् के सदस्य। झारखंड सरकार में संसदीय कार्य खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री|

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