Hindi Cinema Ke 150 Sitare

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Vinod Viplav
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Vinod Viplav
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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हिंदी सिनेमा के 150 सितारे हमारे देश में क्रिकेट की तरह सिनेमा भी एक धर्म है और सिनेमा के सितारे उनके चाहनेवालों के लिए भगवान् हैं। ये सितारे सिनेमा के आविर्भाव के समय से ही हमारे दिलो-दिमाग पर राज करते आए हैं। लोग इनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानना चाहते हैं। यह पुस्तक सामाजिक सोच को प्रभावित करनेवाले सबसे सशक्‍त माध्यम सिनेमा की हस्तियों के बारे में प्रामाणिक जानकारियाँ देने के उद‍्देश्‍य से लिखी गई है। इस पुस्तक में भारतीय सिनेमा के आरंभ से लेकर अब तक की प्रमुख हस्तियों के बारे में विस्तृत जानकारियाँ दी गई हैं। इसमें न केवल परदे पर दिखनेवाली हस्तियों के बारे में, बल्कि परदे के पीछे काम करके भारतीय सिनेमा को नई ऊँचाई देनेवाली हस्तियों को भी शामिल किया गया है। यह पुस्तक सिनेमा के आरंभ से लेकर अब तक की विभिन्न विधाओं की हस्तियों के बारे में जानकारियाँ देने के अलावा सिनेमा के आठ दशक से अधिक समय की विकास-यात्रा को भी समझने में मददगार साबित होगी। प्रस्तुत पुस्तक न केवल सिनेमा-प्रेमियों को बल्कि आम पाठकों को भी पसंद आएगी।.

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Description

हिंदी सिनेमा के 150 सितारे हमारे देश में क्रिकेट की तरह सिनेमा भी एक धर्म है और सिनेमा के सितारे उनके चाहनेवालों के लिए भगवान् हैं। ये सितारे सिनेमा के आविर्भाव के समय से ही हमारे दिलो-दिमाग पर राज करते आए हैं। लोग इनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानना चाहते हैं। यह पुस्तक सामाजिक सोच को प्रभावित करनेवाले सबसे सशक्‍त माध्यम सिनेमा की हस्तियों के बारे में प्रामाणिक जानकारियाँ देने के उद‍्देश्‍य से लिखी गई है। इस पुस्तक में भारतीय सिनेमा के आरंभ से लेकर अब तक की प्रमुख हस्तियों के बारे में विस्तृत जानकारियाँ दी गई हैं। इसमें न केवल परदे पर दिखनेवाली हस्तियों के बारे में, बल्कि परदे के पीछे काम करके भारतीय सिनेमा को नई ऊँचाई देनेवाली हस्तियों को भी शामिल किया गया है। यह पुस्तक सिनेमा के आरंभ से लेकर अब तक की विभिन्न विधाओं की हस्तियों के बारे में जानकारियाँ देने के अलावा सिनेमा के आठ दशक से अधिक समय की विकास-यात्रा को भी समझने में मददगार साबित होगी। प्रस्तुत पुस्तक न केवल सिनेमा-प्रेमियों को बल्कि आम पाठकों को भी पसंद आएगी।.

About Author

बिहार में पाँच नवंबर, 1963 को जनमे विनोद विप्लव इस समय भारतीय भाषाओं की संवाद समिति ‘यूनिवार्ता’ में विशेष संवाददाता हैं। इससे पूर्व उन्होंने मुंबई में ‘यूनीवार्ता’ के वरिष्‍ठ संवाददाता के रूप में कार्य करने के दौरान सिनेमा एवं संगीत के बारे में विशेष अध्ययन एवं शोध किया। उन्होंने मगध विश्‍वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक, भारतीय जनसंचार संस्थान (नई दिल्ली) से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। सिनेमा, कला, विज्ञान और स्वास्थ्य विषय के जाने-माने लेखक विनोद विप्लव पेशे से पत्रकार हैं। महान् गायक मोहम्मद रफी पर उनकी लिखी जीवनी ‘मेरी आवाज सुनो’ काफी लोकप्रिय हुई। विभिन्न विषयों पर लिखे उनके आलेख, फीचर, कहानियाँ एवं व्यंग्य प्रमुख समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। उनका पहला कहानी संग्रह ‘विभव दा का अँगूठा’ हिंदी अकादमी, दिल्ली के वित्तीय सहयोग से प्रकाशित हुआ। स्वास्थ्य विषयों पर उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें ‘चिकित्सा विज्ञान से नई आशाएँ’, ‘मानसिक रोग: कारण एवं बचाव’, ‘कमर दर्द: कारण एवं बचाव’, ‘हृदय रोग: कारण एवं बचाव’, ‘फैमिली हेल्थ गाइड’ और ‘खुशहाल बचपन’ प्रमुख हैं।.

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