Ramayan Mahatirtham

Publisher:
BHARATIYA JNANPITH
| Author:
कुबेरनाथ राय
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

476

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Book Type

ISBN:
SKU 9789355189264 Category
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Page Extent:
351

प्रख्यात ललित निबन्धकार और मनीषी चिन्तक स्व. कुबेरनाथ राय की यह पुस्तक रामायण महातीर्थम् स्वयं श्री राय द्वारा संयोजित उनकी अन्तिम कृति है, अत इसके प्रकाशन का एक ऐतिहासिक महत्व भी है । संयोगवश इस कृति का प्रकाशन ऐसे समय में हो रहा है जब राम विचार और विवाद दोनों के केन्द्र में हैं । इस दृष्टि से रामायण महातीर्थम् जैसे ग्रन्थ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

राम का आनन्दमय चेतना स्वरूप कुबेरनाथ राय को सदैव सम्मोहित करता रहा है । अपने अन्तिम दिनों में वे रामकथा के भावात्मक और बौद्धिक सौन्दर्य के अध्ययन और उद्घाटन में एकाग्र थे । उसी का प्रतिफल है रामायण महातीर्थम् । कुबेरनाथ जी ने इसमें राम और रामकथा को नये बौद्धिक सम्मोहन से मण्डित किया है एक नयी लालित्यपूर्ण भंगिमा के साथ । उनका मानना है कि अनहदनाद के साधना शिखर पर स्थित राम को पहचानने का अर्थ ही भारतीयता के सारे स्तरों के आदर्श रूप को, भारत के सहज चिन्मय रूप को पहचानना है ।

पुस्तक में रामकथा में निहित आर्ष भावना और विचारों का विस्तृत और गम्भीर विवेचन है ।

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Description

प्रख्यात ललित निबन्धकार और मनीषी चिन्तक स्व. कुबेरनाथ राय की यह पुस्तक रामायण महातीर्थम् स्वयं श्री राय द्वारा संयोजित उनकी अन्तिम कृति है, अत इसके प्रकाशन का एक ऐतिहासिक महत्व भी है । संयोगवश इस कृति का प्रकाशन ऐसे समय में हो रहा है जब राम विचार और विवाद दोनों के केन्द्र में हैं । इस दृष्टि से रामायण महातीर्थम् जैसे ग्रन्थ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

राम का आनन्दमय चेतना स्वरूप कुबेरनाथ राय को सदैव सम्मोहित करता रहा है । अपने अन्तिम दिनों में वे रामकथा के भावात्मक और बौद्धिक सौन्दर्य के अध्ययन और उद्घाटन में एकाग्र थे । उसी का प्रतिफल है रामायण महातीर्थम् । कुबेरनाथ जी ने इसमें राम और रामकथा को नये बौद्धिक सम्मोहन से मण्डित किया है एक नयी लालित्यपूर्ण भंगिमा के साथ । उनका मानना है कि अनहदनाद के साधना शिखर पर स्थित राम को पहचानने का अर्थ ही भारतीयता के सारे स्तरों के आदर्श रूप को, भारत के सहज चिन्मय रूप को पहचानना है ।

पुस्तक में रामकथा में निहित आर्ष भावना और विचारों का विस्तृत और गम्भीर विवेचन है ।

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