Ram Phir Laute

Publisher:
PRABHAT
| Author:
Hemant Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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PRABHAT
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Hemant Sharma
Language:
Hindi
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Paperback

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Page Extent:
304

राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।’राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।

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Description

राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।’राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।

About Author

हेमंत शर्मा पुश्तैनी रिश्ता अयोध्या से, पर जन्म से बनारसी।पढ़ाई के नाम पर बी.एच.यू. से हिंदी में डॉक्टरेट। बाद में वहीं विजिटिंग प्रोफेसर भी हुए।समाज, प्रकृति, उत्सव, संस्कृति, परंपरा, लोकजीवन का ज्ञान काशी में ही हुआ; शब्द तात्पर्य और धारणाओं की समझ भी वहीं बनी। 16 साल तक लखनऊ में रह जनसत्ता, हिंदुस्तान में संपादकी की, फिर दिल्ली में लंबे अर्से से टी.वी. पत्रकारिता। अयोध्या आंदोलन को काफी करीब से देखा । ताला खुलने से लेकर ध्वंस तक की हर घटना की रिपोर्टिंग के लिए अयोध्या में मौजूद इकलौते पत्रकार ।पत्रकारिता के सर्वोच्च पुरस्कार 'गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान' से पुरस्कृत। उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार 'यशभारती' से सम्मानित ।अयोध्या पर सबसे प्रामाणिक पुस्तकों 'युद्ध में अयोध्या' और 'अयोध्या का चश्मदीद' के लेखक कैलाश मानसरोवर की अंतर्यात्रा कराती पुस्तक 'द्वितीयोनास्ति' बहुचर्चित 'तमाशा मेरे आगे', 'एकदा भारतवर्षे' और 'देखो हमरी काशी' अन्य लोकप्रिय कृतियाँ ।गुजर-बसर के लिए पत्रकारिता और जीवन जीने का सहारा लेखन । अब दिल्ली में बनारसीपन के विस्तार में लगे हैं।

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