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Rajneeti Ki Lok-Sanskriti
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ram Bahadur Rai
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹600 ₹450
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1-4 Days
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Weight | 544 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Categories: Hindi, Politics/Government
Page Extent:
322
आधुनिक भारतीय राजनीति और समाज में गोविंदाचार्य ने एक लोक संबद्ध समाजसेवी, राजनीतिकर्मी और चिंतक के रूप में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चिंतन के ठहराव को गोविंदाचार्य के विचार गतिशीलता के लिए प्रेरित करते हैं, गतिरोध को तोड़ते हैं। वर्तमान भारतीय समाज को बदहाली से मुक्त करने के लिए उन्होंने नितांत मौलिक चिंतन के द्वारा नए रास्ते सुझाए हैं। अगर अपनी दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर गोविंदाचार्य के सुझाव पर विचार किया जा सके तो अनेक सार्थक निष्कर्ष सामने आएँगे। यह पुस्तक गोविंदाचार्य की राजनैतिक यात्रा का रेखाचित्र है। यह उनकी जीवनी नहीं है। संस्मरण भी नहीं है। इसमें गोविंदाचार्य को केंद्र में रखकर पिछले 50 वर्षों की राजनीति के संसार को समझने की कोशिश की गई है।.
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Description
आधुनिक भारतीय राजनीति और समाज में गोविंदाचार्य ने एक लोक संबद्ध समाजसेवी, राजनीतिकर्मी और चिंतक के रूप में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चिंतन के ठहराव को गोविंदाचार्य के विचार गतिशीलता के लिए प्रेरित करते हैं, गतिरोध को तोड़ते हैं। वर्तमान भारतीय समाज को बदहाली से मुक्त करने के लिए उन्होंने नितांत मौलिक चिंतन के द्वारा नए रास्ते सुझाए हैं। अगर अपनी दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर गोविंदाचार्य के सुझाव पर विचार किया जा सके तो अनेक सार्थक निष्कर्ष सामने आएँगे। यह पुस्तक गोविंदाचार्य की राजनैतिक यात्रा का रेखाचित्र है। यह उनकी जीवनी नहीं है। संस्मरण भी नहीं है। इसमें गोविंदाचार्य को केंद्र में रखकर पिछले 50 वर्षों की राजनीति के संसार को समझने की कोशिश की गई है।.
About Author
गोविन्दाचार्य पूरा नाम कोडिपाक्कम नील मेघाचार्य गोविंदाचार्य। 5 मई, 1943 को तिरुपति में जन्म। गोविंद जब डेढ़ साल के थे तो पिता रामानुज संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी में अध्यापक हो गए। गोविंद जी भी माँ के साथ पिता के पास बनारस आ गए। यहीं उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। गणित से प्रथम श्रेणी में एम.एससी.। छात्र जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव। 1965 से 1976 तक बिहार में संघ का कार्य। इसी दौरान बिहार आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका। जेपी से निकटता। 1976 से 1988 तक विद्यार्थी परिषद् में अनेक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं। अक्तूबर 1988 में भा.ज.पा. में प्रवेश। 1990 में आडवाणी जी की रथयात्रा के सूत्रधार। 1991 से 2000 तक भा.ज.पा. के महासचिव। सन् 2000 में दो साल के लिए अध्ययन अवकाश पर जाने की घोषणा। 2004 में भारत विकास संगम की स्थापना। इसी वर्ष राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन की शुरुआत। इसके तहत पिछले 15 वर्षों में समाज परिवर्तन के लिए दर्जनों आंदोलन। रामबहादुर राय वरिष्ठ पत्रकार। बिहार आंदोलन की शुरुआत करनेवालों में। ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ में पत्रकारिता। अभी बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिंदुस्थान समाचार’ के समूह संपादक। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष। पुस्तकें: ‘रहबरी के सवाल’ (2005 तथा 2018), ‘मंजिल से ज्यादा सफर’ (2006), ‘काली खबरों की कहानी’ (2010), ‘शाश्वत विद्रोही आचार्य कृपलानी’ (2012) और ‘हमारे बालासाहब देवरस’ (2017)।.
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