SalePaperback
राग दरबारी I RAG DARBARI
Publisher:
Rajkamal Prakashan
| Author:
SHRILAL SHUKLA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹399 ₹319
Save: 20%
In stock
Ships within:
3-5 days
In stock
Weight | 300 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
SKU 9788126713967 Categories Classic Fiction, Fiction, General Fiction, Humour, PIRecommends Tag Fiction / related items
Categories: Classic Fiction, Fiction, General Fiction, Humour, PIRecommends
Page Extent:
334
‘राग दरबारी’ एक ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत्त करता है। शुरू से आख़िर तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिन्दी का शायद यह पहला बृहत् उपन्यास है।
फिर भी ‘राग दरबारी’ व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका सम्बन्ध एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे हुए गाँव की ज़िन्दगी से है, जो इतने वर्षों की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थों और अनेक अवांछनीय तत्त्वों के सामने घिसट रही है। यह उसी ज़िन्दगी का दस्तावेज़ है।
1968 में ‘राग दरबारी’ का प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। 1971 में इसे ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया और 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई।
वस्तुतः ‘राग दरबारी’ हिन्दी के कुछ कालजयी उपन्यासों में से एक है।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “राग दरबारी I RAG DARBARI” Cancel reply
Description
‘राग दरबारी’ एक ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत्त करता है। शुरू से आख़िर तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिन्दी का शायद यह पहला बृहत् उपन्यास है।
फिर भी ‘राग दरबारी’ व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका सम्बन्ध एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे हुए गाँव की ज़िन्दगी से है, जो इतने वर्षों की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थों और अनेक अवांछनीय तत्त्वों के सामने घिसट रही है। यह उसी ज़िन्दगी का दस्तावेज़ है।
1968 में ‘राग दरबारी’ का प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। 1971 में इसे ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया और 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई।
वस्तुतः ‘राग दरबारी’ हिन्दी के कुछ कालजयी उपन्यासों में से एक है।
About Author
जन्म : 31 दिसम्बर, 1925 को लखनऊ जनपद (उ.प्र.) के अतरौली गाँव में। शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक। कृतियाँ : उपन्यास : सूनी घाटी का सूरज, अज्ञातवास, राग दरबारी, आदमी का जहर, सीमाएँ टूटती हैं, मकान, पहला पड़ाव, बिस्रामपुर का सन्त। कहानी-संग्रह : यह घर मेरा नहीं, सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ, इस उम्र में। व्यंग्य-संग्रह : अंगद का पाँव, यहाँ से वहाँ, मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ, उमरावनगर में कुछ दिन, कुछ जमीन पर कुछ हवा में, आओ बैठ लें कुछ देर, अगली शताब्दी का शहर, जहालत के पचास साल। आलोचना : अज्ञेय : कुछ राग और कुछ रंग। विनिबन्ध : भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर। बाल-साहित्य : बब्बर सिंह और उसके साथी। अनुवाद : 'पहला पड़ाव’ अंग्रेजी में अनूदित और 'मकान’ बांग्ला में। 'राग दरबारी’ सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेजी में। प्रमुख सम्मान : ज्ञानपीठ सम्मान, पद्मभूषण सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का गोयल साहित्य पुरस्कार, लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, म.प्र. शासन का शरद जोशी सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, व्यास सम्मान। निधन : 28 अक्टूबर, 2011
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “राग दरबारी I RAG DARBARI” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.