Prachin Evam Purva Madhyakalin Bharat Ka Itihas
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प्रथम संस्करण में ही एक अद्वितीय कृति के रूप में स्थापित हो चुकी प्रोफेसर उपिंदर सिंह की पुस्तक प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास का यह द्वितीय संस्करण प्रस्तुत है जिसमें इस विषय से संबंधित नवीनतम खोज, अनुसंधान और अंतर्दृष्टियां प्रस्तुत की गई हैं। इसमें पाठ्यात्मक, पुरातात्त्विक और दृश्य स्रोतों के विस्तृत आधार पर राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म, दर्शन, कला और अवधारणाओं से जुड़े विमर्शों को एक सूत्र में पिरोकर इतिहास को एक लयबद्ध कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। विगत हज़ारों वर्षों के दौरान इस उपमहाद्वीप में होनेवाले व्यापक स्तर के परिवर्तनों के साथ-साथ आम लोगों के रोज़मर्रा जीवन पर प्रकाश डालती हुई यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों के जटिल तथा सतत गतिशील इतिहास को उजागर करती है। इसने न केवल सामान्य पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है बल्कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत पर एक व्यापक और आधिकारिक पाठ्यपुस्तक के रूप में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। उपिंदर सिंह की सुस्पष्ट, विस्तृत और संतुलित व्याख्या के द्वारा पाठकों में ऐतिहासिक साक्ष्यों का गंभीर मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है। मूल स्रोतों से उद्धृत अंशों और भारत की विविध और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत की तस्वीरों एवं चित्रणों से भरपूर यह पुस्तक पाठकों को अतीत की खोज की एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती है। प्रमुख विशेषताएं – नए-नए आविष्कारों एवं इतिहास लेखन की प्रवृत्तियों पर प्रकाश पुरातत्त्व में प्रयुक्त नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उल्लेख कला और साहित्य के महत्त्व का रेखांकन पारिस्थितिकी, वन्य जनजातियों और पशुचारियों पर चर्चा अधीनस्थ वर्गों एवं जातियों तथा महिलाओं के अनुभवों पर बल विचारों और ज्ञान के इतिहास और उनके प्रसार पर प्रकाश उत्तरपूर्व सम्बंधित अनुसंधानों पर ध्यान भारत के अतिरिक्त दक्षिण एशिया के अन्य क्षेत्रों का अवलोकन भारत को विश्व से जोड़नेवाले विभिन्न तंत्रों की रूपरेखा प्रचुर मात्रा में मानचित्रों, तस्वीरों और रेखाचित्रों का प्रयोग
प्रथम संस्करण में ही एक अद्वितीय कृति के रूप में स्थापित हो चुकी प्रोफेसर उपिंदर सिंह की पुस्तक प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत का इतिहास का यह द्वितीय संस्करण प्रस्तुत है जिसमें इस विषय से संबंधित नवीनतम खोज, अनुसंधान और अंतर्दृष्टियां प्रस्तुत की गई हैं। इसमें पाठ्यात्मक, पुरातात्त्विक और दृश्य स्रोतों के विस्तृत आधार पर राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म, दर्शन, कला और अवधारणाओं से जुड़े विमर्शों को एक सूत्र में पिरोकर इतिहास को एक लयबद्ध कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। विगत हज़ारों वर्षों के दौरान इस उपमहाद्वीप में होनेवाले व्यापक स्तर के परिवर्तनों के साथ-साथ आम लोगों के रोज़मर्रा जीवन पर प्रकाश डालती हुई यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों के जटिल तथा सतत गतिशील इतिहास को उजागर करती है। इसने न केवल सामान्य पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की है बल्कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए प्राचीन एवं पूर्व मध्यकालीन भारत पर एक व्यापक और आधिकारिक पाठ्यपुस्तक के रूप में अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। उपिंदर सिंह की सुस्पष्ट, विस्तृत और संतुलित व्याख्या के द्वारा पाठकों में ऐतिहासिक साक्ष्यों का गंभीर मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है। मूल स्रोतों से उद्धृत अंशों और भारत की विविध और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत की तस्वीरों एवं चित्रणों से भरपूर यह पुस्तक पाठकों को अतीत की खोज की एक रोमांचक यात्रा पर ले जाती है। प्रमुख विशेषताएं – नए-नए आविष्कारों एवं इतिहास लेखन की प्रवृत्तियों पर प्रकाश पुरातत्त्व में प्रयुक्त नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उल्लेख कला और साहित्य के महत्त्व का रेखांकन पारिस्थितिकी, वन्य जनजातियों और पशुचारियों पर चर्चा अधीनस्थ वर्गों एवं जातियों तथा महिलाओं के अनुभवों पर बल विचारों और ज्ञान के इतिहास और उनके प्रसार पर प्रकाश उत्तरपूर्व सम्बंधित अनुसंधानों पर ध्यान भारत के अतिरिक्त दक्षिण एशिया के अन्य क्षेत्रों का अवलोकन भारत को विश्व से जोड़नेवाले विभिन्न तंत्रों की रूपरेखा प्रचुर मात्रा में मानचित्रों, तस्वीरों और रेखाचित्रों का प्रयोग
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