Neeraj Ki Yaadon Ka Karwan

Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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HIND POCKET BOOKS PRINTS
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Hindi
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SKU 9789353497286 Categories , Tag
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‘चाहे चिर गायन सो जाए, और ह्रदय मुरदा हो जाए, किन्तु मुझे अब जीना ही है ― बैठ चिता की छाती पर भी,मादक गीत सुना लूँगा मैं ! हार न अपनी मानूंगा मैं !’ पद्मश्री गोपाल दास नीरज जी का नाम भारत के अग्रिम कवियों की श्रेणी में आता है । वे कई सालों फिल्मों में सफल गीतकार भी रहे। उनका गीत, ‘कारवां गुज़र गया…’ तो आज भी याद किया जाता है। इस किताब में उनके सुपुत्र मिलन प्रभात ‘गुंजन’ अपने पिता के जीवन के कई अनजाने, अनछुए पहलुओं को उजागर कर रहे हैं। वे बताते हैं कि नीरज जी का बचपन पिता की छत्र-छाया ने होने के कारण कैसे अभावग्रस्त एवं संघर्षपूर्ण रहा और यह कि कैसे उनके कविता पाठ की धूम धीरे-धीरे सभी और इस तरह फैली कि उन्हें फिल्मों के ऑफर आने लगे। उनका ज्योतिष ज्ञान इतना ज़बरदस्त था कि उन्होंने अपनी और दिवंगत प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की मृत्यु की तारीख की भी सही भविष्यवाणी की। ऐसे कई रोचक किस्सों का खज़ाना है यह किताब जिसे पढ़कर पाठक मुग्ध हुए बिना नहीं रह पाएँगे।

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Description

‘चाहे चिर गायन सो जाए, और ह्रदय मुरदा हो जाए, किन्तु मुझे अब जीना ही है ― बैठ चिता की छाती पर भी,मादक गीत सुना लूँगा मैं ! हार न अपनी मानूंगा मैं !’ पद्मश्री गोपाल दास नीरज जी का नाम भारत के अग्रिम कवियों की श्रेणी में आता है । वे कई सालों फिल्मों में सफल गीतकार भी रहे। उनका गीत, ‘कारवां गुज़र गया…’ तो आज भी याद किया जाता है। इस किताब में उनके सुपुत्र मिलन प्रभात ‘गुंजन’ अपने पिता के जीवन के कई अनजाने, अनछुए पहलुओं को उजागर कर रहे हैं। वे बताते हैं कि नीरज जी का बचपन पिता की छत्र-छाया ने होने के कारण कैसे अभावग्रस्त एवं संघर्षपूर्ण रहा और यह कि कैसे उनके कविता पाठ की धूम धीरे-धीरे सभी और इस तरह फैली कि उन्हें फिल्मों के ऑफर आने लगे। उनका ज्योतिष ज्ञान इतना ज़बरदस्त था कि उन्होंने अपनी और दिवंगत प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की मृत्यु की तारीख की भी सही भविष्यवाणी की। ऐसे कई रोचक किस्सों का खज़ाना है यह किताब जिसे पढ़कर पाठक मुग्ध हुए बिना नहीं रह पाएँगे।

About Author

मिलन प्रभात ‘गुंजन’ नीरज जी के सुपुत्र हैं। इनका जन्म 1 जून 1952 को कानपुर में हुआ। ये मैकेनिकल इंजीनियर हैं और 12 वर्ष तक भेल, हरिद्वार में सेवा देने के बाद जनरल मैनेजर के पद से सेवानिवृत हुए हैं। बचपन से ही नीरज जी के साथ रहने से इनमें भी गायन की कला आ गई और ये भी अपने पिता “नीरज” जी के साथ कविता पाठ करते रहे हैं। यह इनकी पहली पुस्तक है जिसमें इन्होंने नीरज के यादों को समाहित किया है।

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