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Meri Maa Ke Baees Kamre
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rahul Pandita
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
₹350 ₹263
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1-4 Days
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Weight | 240 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
SKU 9789355213624 Categories Hindi, Uncategorized
Categories: Hindi, Uncategorized
Page Extent:
218
राहुल पंडिता जब महज 14 वर्ष के थे तो उन्हें अपने परिवार सहित श्रीनगर से पलायन करना पड़ा था। वे मुस्लिम बहुल कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के कश्मीरी पंडित थे, जहाँ अस्सी के दशक के आखिर में भारत से ‘आजादी’ को लेकर लगातार उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। ‘मेरी माँ के बाईस कमरे’ कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। राहुल पंडिता की यह कहानी झकझोर कर रख देनेवाली है और इसे बार-बार कहा जाना जरूरी है, ताकि हम इतिहास से सबक ले सकें।
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Description
राहुल पंडिता जब महज 14 वर्ष के थे तो उन्हें अपने परिवार सहित श्रीनगर से पलायन करना पड़ा था। वे मुस्लिम बहुल कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के कश्मीरी पंडित थे, जहाँ अस्सी के दशक के आखिर में भारत से ‘आजादी’ को लेकर लगातार उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। ‘मेरी माँ के बाईस कमरे’ कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है, जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ, हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है, जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। राहुल पंडिता की यह कहानी झकझोर कर रख देनेवाली है और इसे बार-बार कहा जाना जरूरी है, ताकि हम इतिहास से सबक ले सकें।
About Author
राहुल पंडिता पेशे से पत्रकार व लेखक हैं और दिल्ली में निवास करते हैं। उनकी पुस्तक ‘अवर मून हैज ब्लड क्लॉट्स’ सर्वकालिक बिकनेवाली पुस्तकों में शामिल है तथा कई भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद भी किया गया है। वे ‘द लवर बॉय ऑफ बहावलपुर’ एवं ‘हेलो बस्तर : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज मॉइस्ट मूवमेंट’ नामक पुस्तक के लेखक हैं और ‘द ऐब्सेंट स्टेट’ के सह-लेखक भी। उन्होंने इराक और श्रीलंका जैसे युद्ध क्षेत्रों से व्यापक स्तर पर रिपोर्टिंग भी की है। वर्ष 2010 में युद्ध पर रिपोर्टिंग करने के लिए उन्हें ‘इंटरनेशनल रेड क्रॉस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। वर्ष 2015 में उन्हें भारत की ओर से प्रतिष्ठित ‘येल वल्र्ड फेलोशिप’ के लिए चुना गया था।
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