Lapujhanna

Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Ashok Pandey
| Language:
English
| Format:
Paperback
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Hind Yugm
Author:
Ashok Pandey
Language:
English
Format:
Paperback

199

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SKU 9789392820205 Category Tag
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224

1970 के दशक के उत्तरार्ध में, उत्तर भारत के एक छोटे-से क़स्बे रामनगर में बिताए गए एक बचपन का वृत्तांत है ‘लपूझन्ना’। नौ-दस साल के बच्चे की निगाह से देखी गई ज़िंदगी अपने इतने सारे देखे-अदेखे रंगों के साथ सामने आती है कि पढ़ने वाला गहरे-मीठे नॉस्टैल्जिया में डूबने-उतराने लगता है। बचपन के निश्चल खेलों, जल्लाद मास्टरों, गुलाबी रिबन पहनने वाली लड़कियों, मेले-ठेलों, पतंगबाज़ी और फ़ुटबॉल के क़िस्सों से भरपूर ‘लपूझन्ना’ भाषा और स्मृति के बीच एक अदृश्य पुल का निर्माण करने की कोशिश है। सबसे ऊपर यह उपन्यास आम आदमी के जीवन और उसकी क्षुद्रता का महिमागान है जिसके बारे में हमारे समय के बड़े कवि संजय चतुर्वेदी कहते हैं—‘रामनगर की इन कथाओं में लपूझन्ना कोई चरित्र नहीं मिलेगा। समाधि लगाकर देखिए तो लपूझन्ना कैवल्य भाव है –
सैर में सैर है छोटा सा एक रामनगरऔर टेसन पै टिकस दिल के बराबर हैगाक़ौम-ए-आदम के लफंटर जो हिंयां रैते हैंउनके इंसान में इंसान का ग्लैमर हैगा।

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Description

1970 के दशक के उत्तरार्ध में, उत्तर भारत के एक छोटे-से क़स्बे रामनगर में बिताए गए एक बचपन का वृत्तांत है ‘लपूझन्ना’। नौ-दस साल के बच्चे की निगाह से देखी गई ज़िंदगी अपने इतने सारे देखे-अदेखे रंगों के साथ सामने आती है कि पढ़ने वाला गहरे-मीठे नॉस्टैल्जिया में डूबने-उतराने लगता है। बचपन के निश्चल खेलों, जल्लाद मास्टरों, गुलाबी रिबन पहनने वाली लड़कियों, मेले-ठेलों, पतंगबाज़ी और फ़ुटबॉल के क़िस्सों से भरपूर ‘लपूझन्ना’ भाषा और स्मृति के बीच एक अदृश्य पुल का निर्माण करने की कोशिश है। सबसे ऊपर यह उपन्यास आम आदमी के जीवन और उसकी क्षुद्रता का महिमागान है जिसके बारे में हमारे समय के बड़े कवि संजय चतुर्वेदी कहते हैं—‘रामनगर की इन कथाओं में लपूझन्ना कोई चरित्र नहीं मिलेगा। समाधि लगाकर देखिए तो लपूझन्ना कैवल्य भाव है –
सैर में सैर है छोटा सा एक रामनगरऔर टेसन पै टिकस दिल के बराबर हैगाक़ौम-ए-आदम के लफंटर जो हिंयां रैते हैंउनके इंसान में इंसान का ग्लैमर हैगा।

About Author

29 नवंबर 1966 को उत्तरकाशी में जन्म। पैतृक गाँव उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले का ग्राम हल्दुवा। स्कूली शिक्षा बिड़ला विद्यामंदिर, नैनिताल से। ‘देखता हूँ सपने’ शीर्षक से कविता-संग्रह 1992 में छपा। विश्व साहित्य से कविता, उपन्यास और गद्य के अनुवादों की क़रीब दो दर्जन पुस्तकें, एक कथा-संग्रह ‘बब्बन कार्बोनेट’ और महिला-विमर्श पर आधारित पुस्तक ‘तारीख़ में औरत’ प्रकाशित। लातीन अमेरिका और यूरोप के अलावा सुदूर हिमालयी इलाक़ों की सीमांत घाटियों की अनेक लंबी यात्राएँ। इनमें से कुछ के विवरण पुस्तकों की सूरत में छपे हैं जिनमें ‘थ्रोन ऑफ़ द गॉड्स’, ‘अनडॉन्टेड स्ट्राइड्स’ और ‘द सॉन्ग सुप्रीम’ प्रमुख हैं। तिब्बत की कविता पर विशेष कार्य। यात्रावृत्तों के अलावा सिनेमा, खेल, हिमालय, चित्रकला और संगीत जैसे विषयों पर लेखन पिछले तीस सालों से अख़बारों-पत्रिकाओं में छपता रहा है। चर्चित ब्लॉग ‘कबाड़ख़ाना’ और उत्तराखंड की संस्कृति पर आधारित पहली वेबसाइट ‘काफल ट्री’ के संस्थापक-संपादक। हल्द्वानी में रहते हैं। यह पहला उपन्यास।

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