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Khuli Hava
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Shakti Trivedi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹350 ₹263
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In stock
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU 9789380839714 Categories Children, Hindi Tag Children's / Teenage general interest: Biography and autobiography
Page Extent:
176
कुछ दिन इसी प्रकार और बीत गए। अभिवादनों का आदान-प्रदान हो गया। और एक दिन जब सायंकाल को दीये जल चुके थे, तभी अलका लौट रही थी। ऊपर से मणिकलाल ने धीरे से कहा— ‘‘भाभी?’’ वह ठिठक गई और उसने भी धीरे से कहा, ‘जी’। ‘‘आप से एक-दो मिनट बात करना चाहता हूँ?’’ मणिकलाल ने नम्रता भरे शब्दों से कहा। ‘‘इस समय?’’ अलका ने घूँघट में से ही पूछा। ‘‘हाँ। अभी! केवल दो मिनट! आप तनिक मेरे पास इधर आ जाए!’’ ‘‘क्या बात है यहीं कह दीजिए!’’ अलका ने वहीं खड़े-खड़े कहा। ‘‘भाभी ये रास्ता है यहाँ ठीक नहीं है, आप डरिए नहीं। तनिक इधर आ जाओ।’’ कहकर वह द्वार से भीतर को बैठक में चला गया। अलका ने मन-ही-मन सोचा कदाचित् आज ही वह दिन आ गया, जिसकी उसे आशंका थी। उसने सोचा ‘नहीं!’ इसके प्रस्ताव को ठुकरा दो, इसे स्पष्ट मना कर दो। पर उन वस्त्रों और खाद्य पदार्थों के दबाव ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और वह अपने स्थान से थोड़ी सी हटकर बैठक के द्वार के निकट खड़ी हो गई बोली—‘‘कहिए?’’ ‘‘देखिए, आप घबराएँ नहीं, अंदर ही आ जाएँ!.
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Description
कुछ दिन इसी प्रकार और बीत गए। अभिवादनों का आदान-प्रदान हो गया। और एक दिन जब सायंकाल को दीये जल चुके थे, तभी अलका लौट रही थी। ऊपर से मणिकलाल ने धीरे से कहा— ‘‘भाभी?’’ वह ठिठक गई और उसने भी धीरे से कहा, ‘जी’। ‘‘आप से एक-दो मिनट बात करना चाहता हूँ?’’ मणिकलाल ने नम्रता भरे शब्दों से कहा। ‘‘इस समय?’’ अलका ने घूँघट में से ही पूछा। ‘‘हाँ। अभी! केवल दो मिनट! आप तनिक मेरे पास इधर आ जाए!’’ ‘‘क्या बात है यहीं कह दीजिए!’’ अलका ने वहीं खड़े-खड़े कहा। ‘‘भाभी ये रास्ता है यहाँ ठीक नहीं है, आप डरिए नहीं। तनिक इधर आ जाओ।’’ कहकर वह द्वार से भीतर को बैठक में चला गया। अलका ने मन-ही-मन सोचा कदाचित् आज ही वह दिन आ गया, जिसकी उसे आशंका थी। उसने सोचा ‘नहीं!’ इसके प्रस्ताव को ठुकरा दो, इसे स्पष्ट मना कर दो। पर उन वस्त्रों और खाद्य पदार्थों के दबाव ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और वह अपने स्थान से थोड़ी सी हटकर बैठक के द्वार के निकट खड़ी हो गई बोली—‘‘कहिए?’’ ‘‘देखिए, आप घबराएँ नहीं, अंदर ही आ जाएँ!.
About Author
शक्ति त्रिवेदी सन् १९५३ में पहली कहानी ‘प्यार और जलन’ छपी। पहला उपन्यास ‘खिलते फूल’ पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया। साठ-सत्तर के दशक में ‘राजा सूरजमल’, (ऐतिहासिक उपन्यास), ‘हजार हाथ’ (पुरस्कृत), वैज्ञानिक कहानियों का संग्रह ‘उड़न तश्तरियों का रोमांच’, ‘खँडहर की मैना’ प्रकाशित। लगभग ५० वर्ष के लेखन में साहित्यिक, वैज्ञानिक, ऐतिहासिक विषयों पर ५५ से अधिक पुस्तकें तथा विज्ञान एवं खाद्य कृषि समस्याओं पर एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। ‘रेगिस्तान के भगीरथ’ और ‘जीवों का संसार’ पुस्तकें भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से पुरस्कृत। रेडियो नाटक, एकांकी एवं संपूर्ण नाटक, कविताएँ और लेख-वार्त्ताओं के प्रसारण-प्रकाशन की संख्या हजार से ऊपर। हिंदी पत्रकार के रूप में १९५३ से आज तक अनेक दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्रों के संपादक रहे और विभिन्न राष्ट्रीय पत्रों में एवं रेडियो पर विविध विषयों पर निरंतर लिखते रहे। संप्रति भारतीय कृषि पत्रकार संघ के अध्यक्ष और किसान-फीचर्स मासिक पत्र एवं सूचना सेवा के मुख्य संपादक।.
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