Joda Haril Ki Roopkatha

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
राकेश कुमार सिंह
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
राकेश कुमार सिंह
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 9788119014408 Category
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132

जोड़ा हारिल की रूपकथा –
नयी पीढ़ी के प्रखर कथाकार राकेश कुमार सिंह हिन्दी कथा-लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। उनके विविध आयामी रचना संसार का साक्षी है प्रस्तुत कहानी संग्रह ‘जोड़ा हारिल की रूपकथा’। ये कहानियाँ गाँव-क़स्बे, खेत-खलिहान तथा जंगल-पठार से लगाकर वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं जैसे अछूते क्षेत्रों और उत्तर आधुनिक समाज की विकृत होती जड़ों तक फैली हुई हैं।
राकेश कुमार सिंह ने इन कहानियों में अपने परिवेश और समय को भिन्न-भिन्न कोणों से रेखांकित किया है। उन्होंने भारतीय जन के दुःख-दैन्य, आकांक्षाओं एवं जीवन संघर्ष को अपनी कहानियों में इस प्रामाणिकता के साथ उकेरा है कि इनसे गुज़रते हुए, बदलते समय की आहटों को साफ़-साफ़ सुना जा सकता है। भाषाई चुस्ती, शिल्पगत प्रयोग, मिट्टी के रंग गन्ध, लोकजीवन की गाढ़ी जीवन्त छवियों, गहन संवेदना एवं अभिव्यक्ति सामर्थ्य के कारण राकेश कुमार सिंह की ये कहानियाँ निःसन्देह पाठकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करेंगी।

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Description

जोड़ा हारिल की रूपकथा –
नयी पीढ़ी के प्रखर कथाकार राकेश कुमार सिंह हिन्दी कथा-लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। उनके विविध आयामी रचना संसार का साक्षी है प्रस्तुत कहानी संग्रह ‘जोड़ा हारिल की रूपकथा’। ये कहानियाँ गाँव-क़स्बे, खेत-खलिहान तथा जंगल-पठार से लगाकर वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं जैसे अछूते क्षेत्रों और उत्तर आधुनिक समाज की विकृत होती जड़ों तक फैली हुई हैं।
राकेश कुमार सिंह ने इन कहानियों में अपने परिवेश और समय को भिन्न-भिन्न कोणों से रेखांकित किया है। उन्होंने भारतीय जन के दुःख-दैन्य, आकांक्षाओं एवं जीवन संघर्ष को अपनी कहानियों में इस प्रामाणिकता के साथ उकेरा है कि इनसे गुज़रते हुए, बदलते समय की आहटों को साफ़-साफ़ सुना जा सकता है। भाषाई चुस्ती, शिल्पगत प्रयोग, मिट्टी के रंग गन्ध, लोकजीवन की गाढ़ी जीवन्त छवियों, गहन संवेदना एवं अभिव्यक्ति सामर्थ्य के कारण राकेश कुमार सिंह की ये कहानियाँ निःसन्देह पाठकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करेंगी।

About Author

राकेश कुमार सिंह - जन्म: 20 फ़रवरी, 1960, ग्राम गुरहा, ज़िला पलामू (झारखण्ड)। शिक्षा: स्नातकोत्तर (रसायन विज्ञान) एवं विधि स्नातक। प्रकाशित कृतियाँ: कहानी संग्रह—'होंका और अन्य कहानियाँ', 'ओह पलामू...!' उपन्यास—'जहाँ खिले हैं रक्तपलाश', 'पठार पर कोहरा', 'साधो यह मुर्दों का गाँव', 'जो इतिहास में नहीं है'। किशोर उपन्यास—'वैरागी वन के प्रेत' और 'केसरीगढ़ की काली रात'। बालोपयोगी—'हिमालय की कहानी', 'कहानियाँ ज्ञान की विज्ञान की', 'अग्निपुरुष', 'आदिपर्व', 'उलगुलान', 'अरण्य कथाएँ' और 'अवशेष कथा'। पुरस्कार\सम्मान: सागर (मध्य प्रदेश) का दिव्य रजत अलंकरण के अतिरिक्त कथाक्रम कहानी प्रतियोगिता (2001-2002) एवं 'कथाविच' कथा पुरस्कार (2002)। दूरदर्शन के राष्ट्रीय शैक्षिक चैनल 'ज्ञानदर्शन' हेतु आयोजित पटकथा के लिए अनुबन्धित।

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