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Jharkhand : Samay Aur Sawal
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Harivansh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Harivansh
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹375
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
224
समय और सवाल—हरिवंशजी झारखंड कुछ वर्ष पूर्व बिहार से अलग होकर नया राज्य बना। तब अलग राज्य बनने की पृष्ठभूमि में क्या बेचैनी थी? जब अलग राज्य बन गया तो क्या सवाल खड़े हुए? विकेंद्रीकरण के सपने यथार्थ में बदले या नहीं बदले? छोटे राज्यों में राजनीति को किन नई ताकतों ने प्रभावित करना शुरू किया? दिल्ली में बैठी ताकतों ने किन स्थानीय ताकतों को बल दिया? छोटे राज्य क्यों सफल या विफल होते हैं? उनकी चुनौतियाँ व खतरे क्या हैं? इन सबके मकसद और परिणाम क्या हैं? ऐसे बहुत सारे सवाल, जो नीचे से देश और दिल्ली को समझने में मदद करते हैं, पढऩे को मिलेंगे। आज उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बाँटने की बात हो रही है, आंध्र में तेलंगाना जल रहा है, अलग विदर्भ (महाराष्ट्र) का मसला गंभीर है? क्या छोटे राज्य विकास के कारक हैं? या अभिशाप हैं? आज देश में नए राज्यों का गठन सही है या गलत? इन माँगों के पीछे विकास की भूख है या सत्ता पाकर लूटने की आदर्शविहीन नीति? इस पुस्तक में ऐसे अनेक सवालों के व्यावहारिक उत्तर मिलते हैं।.
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Aur Sawal” Cancel reply
Description
समय और सवाल—हरिवंशजी झारखंड कुछ वर्ष पूर्व बिहार से अलग होकर नया राज्य बना। तब अलग राज्य बनने की पृष्ठभूमि में क्या बेचैनी थी? जब अलग राज्य बन गया तो क्या सवाल खड़े हुए? विकेंद्रीकरण के सपने यथार्थ में बदले या नहीं बदले? छोटे राज्यों में राजनीति को किन नई ताकतों ने प्रभावित करना शुरू किया? दिल्ली में बैठी ताकतों ने किन स्थानीय ताकतों को बल दिया? छोटे राज्य क्यों सफल या विफल होते हैं? उनकी चुनौतियाँ व खतरे क्या हैं? इन सबके मकसद और परिणाम क्या हैं? ऐसे बहुत सारे सवाल, जो नीचे से देश और दिल्ली को समझने में मदद करते हैं, पढऩे को मिलेंगे। आज उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बाँटने की बात हो रही है, आंध्र में तेलंगाना जल रहा है, अलग विदर्भ (महाराष्ट्र) का मसला गंभीर है? क्या छोटे राज्य विकास के कारक हैं? या अभिशाप हैं? आज देश में नए राज्यों का गठन सही है या गलत? इन माँगों के पीछे विकास की भूख है या सत्ता पाकर लूटने की आदर्शविहीन नीति? इस पुस्तक में ऐसे अनेक सवालों के व्यावहारिक उत्तर मिलते हैं।.
About Author
हरिवंश जी जन्म: 1956 को बलिया (उ.प्र.) जिले के सिताबदियारा में। शिक्षा: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.ए. (अर्थशास्त्र)। टाइम्स ऑफ इंडिया समूह से पत्रकारिता में कॅरियर की शुरुआत; साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ तथा आनंद बाजार पत्रिका समूह के साप्ताहिक ‘रविवार’ में काम किया। ‘विदुरा’ में सलाहकार संपादक रहे। फिर वर्ष 1990-91 में प्रधानमंत्री कार्यालय में सहायक सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) बने। प्रकाशन: ‘झारखंड: दिसुम मुक्तिगाथा और सृजन के सपने’, ‘जोहार झारखंड’, ‘जनसरोकार की पत्रकारिता’, ‘संताल हूल’, ‘झारखंड: अस्मिता के आयाम’, ‘झारखंड: सुशासन अब भी संभावना है’, ‘बिहारनामा’, ‘बिहार: रास्ते की तलाश’, ‘बिहार: अस्मिता के आयाम’ तथा श्री चंद्रशेखर से जुड़ी चार पुस्तकों का भी संपादन। कई चर्चित लोगों द्वारा संपादित अंग्रेजी पुस्तकों में आलेख प्रकाशित। एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव सहित कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं के सदस्य, कुछ के निदेशक मंडल में। अनेक देशों की विदेश यात्रा। संप्रति: ‘प्रभात खबर’ के प्रधान संपादक।.
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